एक आंकलन के अनुसार देश में प्रति वर्ष लगभग ५०,००० करोड़ प्लास्टिक से बने बस्तुओ का उपयोग हो रहा हैं बल्कि प्रति मिनट लगभग १० लाख प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं। एक और आंकलन के अनुसार मात्र पिछले वर्ष में ५१ लाख करोड़ माइक्रो प्लास्टिक के कणों ने हमारे महासागरों को प्रदूषित किया है। यह हमारे तारामंडल के तारों की संख्या से भी ५०० गुना अधिक है। आज के वर्तमान दौर में मनुष्य द्वारा निर्मित कोई वस्तु आज सर्वव्यापी है, तो वह है प्लास्टिक से फैला प्रदूषण ,चाहे सागर हो या वायु, आकाश हो या पृथ्वी, इससे कहीं भी छुटकारा नहीं है। ६०-७० वर्ष के छोटे से कार्यकाल में प्लास्टिक ने आज हर जगह प्रवेश कर लिया है।
प्लास्टिक की लंबी उम्र,के कारण ही इसकी इतनी उपयोगिता है जो पृथ्वी के लिये सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। इसका प्राकृतिक रूप से जैविक अनुक्रमण ना हो पाने के कारण ऐसा माना जाता है कि आज तक उत्पादित लगभग सभी प्लास्टिक किसी न किसी रूप में आज भी उपस्थित है। भूमि और सागर में अत्याधिक मात्रा में उपस्थित प्लास्टिक का कचरा इस बात का प्रमाण है। यह चिंता का विषय है। एक अध्ययन के मुताबिक विश्व के सम्पूर्ण पीने के पानी में प्लास्टिक के कण मौजूद हैं। जिस कारण आज विश्व एक विशाल आपदा के सामने खड़ा है। प्लास्टिक में फंसकर दम घुटने से, या उसे निगलने से, या फिर उससे निकलने वाले हानिकारक रसायनों से पशुओं और चिड़ियों का नाश हो रहा है। यह मनुष्यों में विभिन्न स्वास्थ्य मापदंडों और हार्मोनल तंत्र को भी बाधित कर रहा है। उपरोक्त गतिविधियां हमारे पर्यावरण को बुरी तरह से नष्ट करते हुए मानव जीवन को भी संकट में डाल रही हैं, यदि पर्यावरण और मानव जीवन को बचाना है तो न सिर्फ प्लास्टिक के कचरे को खत्म करना होगा, जंगल बचाने होंगे बल्कि नये पौधे भी लगाने होंगे और हवा के साथ-साथ पानी को भी बचाना होगा।
उपरोक्त समस्याओ के निदान हेतु सुप्रसिद्ध क्लाइमेट एक्शन लीडर और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. हीरालाल पटेल बरसों से जुटे हैं , जिनका सिर्फ एक ही ध्येय है कि हमारी धरती प्लास्टिक मुक्त और पेड़-पानी युक्त हो ..यानी पेड़ और पानी को बचाना है और प्लास्टिक को दूर भगाना है । विश्व विख्यात अयोध्या से लगे बस्ती जनपद के साऊघाट ब्लॉक के ग्राम बागडीह में जन्मे डॉ. हीरालाल ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर न सिर्फ प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के कार्यों के साथ ही गावो के विकास हेतु मांडल गांव के मार्फत सक्रिय नेतृत्व भी कर रहे हैं। अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय लखनऊ से गुड गवर्नेंस ( सुशासन) विषय पर शोध करने वाले डॉ. हीरालाल ने बांदा में जिलाधिकारी रहते हुए पर्यावरण के क्षेत्र में जन सहभागिता के साथ पुरस्कार विजेता पहल के साथ कार्य किया। जलवायु परिवर्तन एवं ग्रामीण विकास में डॉ. हीरालाल द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों को लेकर एक पुस्तक भी लिखी गई जिसका शीर्षक है “डायनेमिक डीएम“ जो बेस्टसेलर की श्रेणी में है।
आईएएस डॉ. हीरालाल के मन में शुरू से ही धरा के संरक्षण का भाव रहा है जिसने उन्हें पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाली प्लास्टिक के उन्मूलन , पेड़ व पानी को बचाने का संकल्प लेकर जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रेरित किया और वह क्लाईमेट चेंज लीडर के रूप में उभरते हुए मांडल गांव के मार्फत ग्रामीण विकास पर समर्पित होकर युवा, बुजुर्ग, ग्रामीण और शहरी लोगों को सीधे तौर पर जोड़ते हुए जलवायु परिवर्तन के लिए कार्य कर रहे है । उन्होंने पर्यावरण को बचाने और स्वच्छ बनाने के लिए क्लाईमेट चेंज मॉडल विकसित किया जिसके तीन मुख्य भाग हैं। सबसे पहले जल संरक्षण …यानी पानी को बचाना है। हम जानते हैं कि वृक्ष हमें प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं, इसलिए पेड़ों का संरक्षण करना है जिससे ऑक्सीजन-बार का निर्माण हो सके और हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु मिल सके। तीसरा हमें धरती को प्लास्टिक मुक्त बनाना है क्योंकि प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा शत्रु है ।
वर्तमान की वर्षा ऋतु को दृश्टिगत रखते हुए वृक्षों हेतु अनुकूल समय होने के कारण प्राण दायक ऑक्सीजन को विकसित करने और वृक्षों के संरक्षण के लिए डॉ. हीरालाल ने पेड़ जियाओ अभियान शुरू किया जिसके तहत बड़ी संख्या में पौधारोपण किया गया। रोपे गए पौधों को संरक्षित करने का संदेश भी दिया जिससे पौधे हरे-भरे वृक्ष के रूप में फलें-फूलें और स्वच्छ प्राणवायु के लिए वातावरण में ऑक्सीजन विकसित हो सके। लखनऊ के तमाम बड़े विद्यायलयो में वृक्षारोपण को लेकर डॉ हीरालाल के नेतृत्व में संगोष्ठी का आयोजन करते हुए वृक्षारोपण का कार्य हो रहा है।
बाँदा में जिलाधिकारी रहते हुए डॉ हीरालाल ने प्लास्टिक को चलन से खत्म करने के लिए झोला युक्त, प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाया था। जिसकी शुरुआत सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों से हुई। फाइल और जरूरी कागजात कहीं भी लाने -ले जाने हेतु कपड़े के थैले का प्रयोग करने के लिए चिट्ठी -पाती के माध्यम से उन्हें संदेश भेजा गया वहीं छात्र-छात्राओं के बीच पचास हजार पौधे बांटे गए और पूजा स्थलों पर पेड़-प्रसाद के रूप में पांच सौ पौधे वितरित किए गए। जन्मदिन और शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों पर भी सौ-सौ पौधे उपहार स्वरूप दिए गए। पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए लोगों को शिक्षित किया गया और अपने घरों को पौधों से सजाने वालों को सराहना पत्र भेजे गए।
इतना ही नहीं पानी के समस्याओ से जूझ रहे बुंदेलखंड के वाशियो की पीड़ा से व्यथित डॉ. हीरालाल ने बांदा में जिलधिकारी का चार्ज ग्रहण करते ही इस दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया , जिनके नेतृत्व में अक्टूबर 2018 में प्रारम्भ हुआ जल संरक्षण महापर्व । बांदा जिले के 470 गांवों में ढाई हजार से ज्यादा तालाबों का निर्माण हुआ जिससे लगभग चार हजार किलोलीटर जल का भंडारण सुनिश्चित हुआ और धरती की जल-धारण क्षमता में ग्यारह हजार किलोलीटर की वृद्धि हुई। इससे भूजल स्तर में भी करीब डेढ़ मीटर की वृद्धि दर्ज की गई और कृषि उत्पादन में अठारह फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई। बांदा में जल संरक्षण को लेकर जागरुकता इतनी बढ़ गई कि 470 गांवों में वॉटर बजट यानी पानी के हिसाब-किताब को लेकर बैठकें होनी शुरू हो गईं।
आईएएस डॉ. हीरालाल के इस अभियान को विश्व लेबल पर पहचान मिली और उन्हें तमाम प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया। उनका नाम जल-चौपाल के लिए लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी दर्ज हो चुका है। उन्हें तमाम बड़े संस्थानों ने क्लाईमेट चेंज लीडर के रूप में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया। डॉ. हीरालाल ने मॉडल गांव भी विकसित किए जिसमें क्लाईमेट चेंज के तीनों सिद्धांत लागू किए गए। मॉडल गांव प्लास्टिक मुक्त, हरे-भरे और वर्षा जल संचयन की व्यवस्था के साथ विकसित किए गए।
महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज और डॉक्टर कलाम की गांव की परिकल्पना से प्रेरित डॉ. हीरालाल का मानना है कि गांव के विकास से ही देश का विकास हो सकता है। डॉ. हीरालाल ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जीवनदायिनी गोमती नदी को स्वच्छ करने के अभियान गो फॉर गोमती में भी विशेष सहयोग दिया। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज के शिक्षकों और छात्रों के साथ डॉ. हीरालाल ने सहारनपुर में विकसित मॉडल गांव थरोली का क्लाईमेट चेंज परीक्षण के लिए भ्रमण कर दिल्ली के प्रतिष्ठित कांस्टीट्यूशन क्लब में पुरस्कार समारोह में व्याख्यान भी दिया।
फिरहाल जल ,जीवन एवं हरियाली को समर्पित IAS डॉ हीरालाल इन दिनों लखनऊ के प्रतिष्ठित सिटी मांटेसरी स्कूल की सभी शाखाओ में बच्चो को प्रेरित करते हुए तमाम सामजिक संघटनो से तालमेल कर वृहद् वृक्षारोपण के प्रति समर्पित है।