प्रयागराज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टोंस नदी पर बने जिस पुल का लोकार्पण दो दिन पहले ही किया था, उस पुल पर आवागमन शुरू होने के कुछ घंटे बाद ही दरार आ गई। नवनिर्मित पुल में दरार आते ही सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया। प्रशासन ने आनन फानन में पुल को बंद कर दिया गया किन्तु मरम्मत के बाद पुल को दोबारा शुरू तो कर दिया गया है, लेकिन लापरवाही और भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़े इस पुल पर अब सियासत शुरू हो गई है।
सपा सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो ट्वीट कर प्रयागराज के इस पुल की तुलना गुजरात के मोरबी वाले पुल से कर दिया। बहरहाल सियासी घमासान के बीच बैकफुट पर आए सरकारी अमले ने पुल में आई गड़बड़ी पर अपनी सफाई पेश की है। प्रयागराज में शहर से तकरीबन साठ किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश बॉर्डर के नजदीक नारीबारी इलाके में टोंस नदी पर पुल का निर्माण किया गया है। तकरीबन 63 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पुल का शिलान्यास ढाई साल पहले सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने किया था। पुल प्रयागराज और मध्य प्रदेश के 200 से ज्यादा गांवों के लोगों की सुविधा के मद्देनजर बनाया गया है। इस पुल का लोकार्पण दो दिन पहले 30 अक्टूबर को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज के सोरांव इलाके में आयोजित भाजपा के दलित महासम्मेलन में किया था। इस पुल का निर्माण यूपी राज्य सेतु निगम ने कराया था। सम्म्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उनकी सरकार में निर्माण के काम न सिर्फ समय पर पूरे हो रहे हैं, बल्कि क्वालिटी का भी खास ध्यान रखा जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि प्रयागराज में 14 महीने बाद लगने वाले महाकुंभ के कामों को क्वालिटी के साथ समय पर पूरा कराया जाएगा।
अखिलेश यादव ने कहा :
उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से ऐसा हुआ है। कुंभ मेला नजदीक है, ऐसे में लोगों की जिंदगी को कतई खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए। उन्होंने इस पुल की तुलना गुजरात में बड़े हादसे का सबक बनने वाले पुल से भी की। हालांकि प्रयागराज में राज्य सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक अनिरुद्ध कुमार ने दरार की बात को नकारते हुए कहा है कि मिट्टी धंस जाने की वजह से कुछ तकनीकी खामी आई थी, जिसे ठीक कर दिया गया है और पुल को दोबारा चालू कर दिया गया है।
सवाल यह है कि जो पुल किसी हादसे का सबब बन सकता था, उसे हड़बड़ाहट में आखिरकार क्यों खोल दिया गया और बिना तैयार हुए पुल का लोकार्पण मुख्यमंत्री के हाथों क्यों कराया गया। अब देखना यह होगा कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है या फिर सियासी उठापटक के बीच मामले को यहीं दफन कर दिया जाएगा।
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