लखनऊ। बस्ती जनपद के कप्तानगंज ब्लाॅक के नकटीदेई गांव निवासी दौलत राम वर्मा की पुत्री अर्चना वर्मा ने अपने दूसरे प्रयास में भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में 73वीं रैंक हासिल कर आईएएस के लिए चयनित होने के उपरांत अपनी जन्मभूमि के लिए कामयाबी की एक इबारत लिख दी थी। सिविल सेवा में चयनित होने की सूचना के बाद उनकी सफलता पर पूरे गांव सहित जनपद में जश्न का माहौल बन गया था किन्तु बतौर आईएसएस उनके द्वारा किए जा रहे कार्य और बड़े मिशाल कायम कर रहे है। वह नागरिको के बीच एक सफल एवं मानवतावादी प्रशासनिक अफसर के रूप में लोकप्रियता हासिल कर रही है।
आईएएस अफसर बनना आसान नहीं है। उसके बाद उस पद की जिम्मेदारियां निभाना और भी कठिन है किन्तु कुछ महिला आईएएस अफसर घर-परिवार और प्रसासनिक दायित्व की जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही हैं। उत्तर प्रदेश के हाथरस की जिलाधिकारी अर्चना वर्मा भी उन्हीं में से एक हैं। जो एक आईएसएस अधिकारी के रूप में अपने दायित्व की बखूबी निर्वहन करते हुए नागरिको के दिल में जगह बनाते हुए नित नए मिशाल पेश कर रही है।
कुछ दिनों पहले हाथरस की तेजतर्रार जिलाधिकारी अर्चना वर्मा की एक फोटो सोसल मीडिया पर वायरल हुई थी. इसमें वह पीली साड़ी पहने हुए गेहूं के खेत में फसल काटने में किसानों की मदद कर रही थी। उन्हें अपने बीच देखकर किसान चौंक गए थे। उन्होंने किसानों से फसल के उत्पादन, मौसम के प्रभाव, फसल की गुणवत्ता आदि के बारे में जानकारी लेते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया था।
गोंडा जिले की करनैलगंज तहसील में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनाती के समय आईएएस अर्चना वर्मा ने लापरवाह कर्मचारियों को प्रेरणा देने के लिए खुद अपने हाथों में झाडू उठा कार्यालय में खुद सफाई करनी प्रारम्भ कर दी थी। एक आईएएस अफसर का यह अंदाज देखकर कर्मचारियों को पसीना छूट गया था। उस दिन से उन्होंने तय किया कि वो खुद ही अपने कार्यालय की प्रतिदिन सफाई करेंगी। उनका तेजतर्रार व्यवहार देखकर कर्मचारी ड्यूटी के प्रति सजग हो गये थे।
मानवतावादी विचारधारा से ओत -प्रोत तेजतर्रार आईएसएस अर्चना वर्मा एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं। उन्होंने अपने बेटे का दाखिला आंगनवाड़ी केंद्र में कराया है। अगर वह चाहतीं तो आसानी से किसी मिशनरी स्कूल या पब्लिक स्कूल में बच्चे का एडमिशन करा सकती थीं, लेकिन उन्होंने सरकारी संस्थान आंगनवाड़ी केंद्र में दाखिला दिलाया है। आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चे के दाखिले के जरिए उन्होंने सभी सरकारी अफसर और कर्मचारियों के लिए एक मिशाल पेश कर दी है। उनके इस कदम ने चौंका दिया है। वहीं, आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चे के दाखिले के बाद से स्थिति में सुधार हुआ है। इस प्रकार के प्रयासों से सरकारी शिक्षण संस्थाओं की महत्ता बढ़ने की भी बात कही जा रही है। आमतौर पर किसी भी बड़े अधिकारी के बच्चे मिशनरीज या फिर इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करते दिखते हैं।
आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चे के एडमिशन को लेकर जिलाधिकारी अर्चना वर्मा का कहना है कि मेरा बेटा अभी तो बहुत छोटा है। 17 महीना का हुआ है। इस कारण आंगनवाड़ी में दाखिला कराया है। इससे उसका सोशल स्किल्स की अच्छी तरह डेवलप होगा। आंगनवाड़ी अच्छी जगह है। गांव से भी बच्चे आते हैं। अलग- अलग जगह से बच्चे आते हैं। वहां वह बेहतर सीखता है। आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों के अच्छे विकास होने के चांसेज रहते हैं। वहां उसे अपनी उम्र के बच्चे मिलेंगे। आंगनवाड़ी में जो महिला होती है, वह अच्छी ट्रेंड होती हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी सिस्टम भी अब पूरा स्ट्रांग हो गया है। यहां किंडरगार्डन से बेहतर लर्निंग बच्चों की होती है। अगर यहां सभी लोग अपने बच्चों को भेजेंगे तो अच्छा ही होगा।
17 माह का अभिजित अन्य बच्चों के साथ खूब घुलमिल कर रहता है। उन्हीं के साथ खाना भी खाता है। कई घंटे वह यहां बिताता है। उन्हीं बच्चों के साथ बैठकर आंगनबाड़ी में मिलने वाला मिड-डे मील को भी खाता है। जिलधिकारी अर्चना वर्मा प्रतिदिन सुबह गाड़ी से उसे छोड़ने के लिए जाती हैं। वहां 20 से 30 मिनट तक अन्य बच्चों के साथ भी रहती हैं। उसके बाद बच्चे को छोड़कर कार्यालय चली जाती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 4 नवंबर 2022 को हाथरस जिले की कमान आईएसएस अर्चना वर्मा के हाथ सौपा था तबसे वह निरंतर जिले के विकास हेतु समर्पित रहते हुए आम नागरिको के प्रति भी सम्बेदंशील है।
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