एक आंकलन के अनुसार देश में प्रति वर्ष लगभग ५०,००० करोड़ प्लास्टिक से बने बस्तुओ का उपयोग हो रहा हैं बल्कि प्रति मिनट लगभग १० लाख प्लास्टिक की बोतलें बिकती हैं। एक और आंकलन के अनुसार मात्र पिछले वर्ष में ५१ लाख करोड़ माइक्रो प्लास्टिक के कणों ने हमारे महासागरों को प्रदूषित किया है। यह हमारे तारामंडल के तारों की संख्या…
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किसानों का MSP गारंटी को लेकर आंदोलन और स्वामीनाथन को भारत रत्न!
किसान अपनी मांगों पर केंद्र की मोदी सरकार का ध्यान खींचने के लिए दिल्ली का रुख कर रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाना और उसे लागू करना किसानों की प्रमुख मांगों में से एक है जिसे लेकर किसान दिल्ली आ रहे हैं लेकिन केंद्र व राज्यों की भाजपा सरकारें उन्हें रोकने का पूरा प्रयत्न कर रही हैं।…
नागरिक समाज का मोदी सरकार पर चार्जशीट, पिछले 10 वर्षों में संसदीय लोकतंत्र पर सुनियोजित हमले का आरोप
2024 लोकसभा चुनाव में अब कुछ सप्ताह की ही देरी है, जिसके लिए पीएम मोदी की ओर से व्यूहरचना में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी गई है। इस बार के बजट सत्र में उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सवालों के जवाब में 10 वर्ष पूर्व के यूपीए शासनकाल को ही सवालों के घेरे में नहीं रखा, बल्कि देश के पहले…
मनुवाद ,अंधविश्वास और पाखंडवाद के विरोध ने ले ली प्रो. लक्ष्मण यादव की नौकरी
नई दिल्ली। पिछड़ों, वंचितों के हक़ एवं हुकूक की आवाज उठा कर सामन्तवादियों की नीव में कील ठोकने वाले सामाजिक समरसता के धुर समर्थक एवं ब्राह्मणवाद को तमाचा मार संबिधान को साक्षी मान प्रिया चौहान के साथ दाम्पत्य जीवन की शुरुवात करने वाले प्रो. लक्ष्मण यादव से उनकी नौकरी छीन ली गई। दलित,पिछड़े,आदिवासियों को मंदिर की जगह स्कूल जाने की…
हिंदुत्व के खतरे में हैं ?
हिंदुत्व के खतरे में होने के बारे में उन्माद लगातार फैल रहा है और अब यह उदार एवं प्रबुद्ध हिंदुओं तक को बरगला कर अपनी जद में लेने को प्रयत्नरत है। संप्रति यह न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए बल्कि संपूर्ण भारतीय समाज और स्वयं हिंदुत्व के लिए भी सर्वाधिक गंभीर चुनौती है। हिंदू बुद्धिजीवियों, चाहे वे धर्मनिरपेक्ष हों, नकली-धर्मनिरपेक्ष…
सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉ. आंबेडकर: जानिए किन मसलों पर थीं समानताएं और असहमतियां ?
आज जब पूरा देश सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में मना रहा है तब यह जानना और दिलचस्प होगा कि डॉ. आंबेडकर और सरदार पटेल किन मसलों पर एकमत थे, और किन मुद्दों पर असहमतियां थीं. सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें “भारत का लौह पुरुष” भी कहा जाता है, स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले…
आर्यों द्वारा छल से मूलनिवासी राजाओं की हत्या
आर्यो द्वारा मूलनिवासी राजाओ की घड्यन्त्र पूर्वक हत्या एवं मूलनिवासी राजाओ के इतिहास को छुपाने एवं आर्यो द्वारा मूलनिवासी राजाओ के चरित्र व स्वरुप को बिभत्स्व रूप असुर,देत्य ,दानव,राक्षस से उपकृत कर परोसने को लेकर चिंतक भानू नन्द ने अपने विचार सोसल मीडिया X पर व्यक्त किया है। इस भारत देश पर विदेशी आर्यों का आगमन हुआ आर्यों ने हमारे…
अम्बेडकर जनमोर्चा से डर गए योगी ?
उत्तर प्रदेश सरकार के दमनकारी रवैया का एक और उदाहरण सामने आया है। 10 अक्टूबर को अम्बेडकर जन मोर्चा का गोरखपुर के मण्डलायुक्त कार्यालय पर धरना प्रदर्शन था। कोई चार से पांच हजार की भीड़ जुटी थी। बड़ी मांग यह थी कांशीराम द्वारा पहले उठाई गई मांग कि प्रत्येक भूमिहीन दलित, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक…
व्यवसायीकरण पत्रकारिता के कारण निरंकुश होती राजसत्ता
पत्रकारिता समाज की दशा को सच्ची दिशा देने का एक मिशन माना जाता है समाज को उच्च आदर्शों के प्रति योगदान और समर्पण के लिए प्रेरित करता है पत्रकारिता को इसीलिए एक पेशा,व्यवसाय कभी नही माना गया..यह एक मिशनरी सेवा है जिसमें बलिदान के प्रतिफल में सिर्फ सम्मान व यश ही मिलता है. बलिदान भी ऐसा जिसमें पत्रकारिता के लिए…
अस्तित्व की लड़ाई में जूझ रहा मूलनिवासी कुड़मी
छोटानागपुर पठार आदि काल से आदिवासियों का निवास स्थान रहा है, जहां हो, मुंडा, संथाल, उरांव आदि जनजातिय समुदायों के साथ कुड़मी / कुरमी (महतो) जनजाति भी आदि काल से साथ साथ रहते आ रहे हैं. मगर आज के वर्तमान परिस्थिति में टोटेमिक कुड़मी आदिवासी चौतरफा पक्षपात की नीतियों के बीच पिसते अपने पहचान व अस्तित्व की लड़ाई में जूझ…