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नयी दिल्ली.केंद्र की मोदी सरकार भारत में कैशलेश व्यवस्था लागू करने के सारे हथकंडे अपना रही है.पान की दूकान से लेकर ऑटो रिक्शा चालक तक डिजीटल वॉलेट का उपयोग करना शुरु कर चुके है.नोट बंदी के बाद ही डिजीटल वॉलेट की बड़ी कंपनी पेटीएम् को मानो सरकार का बड़ा उपहार मिल गया हो ,नोट बंदी की घोषणा के तुरन्त बाद इस कम्पनी ने प्रधानमंत्री की फोटो सहित एक विज्ञापन भारत के सभी बड़े समाचार पत्रों में प्रकाशित करा कर एक ही दिन में करोंड़ों उपभोक्ता बनाकर सबसे बड़ी डिजीटल वॉलेट कम्पनी बनने का किताब सा हासिल कर लिया. अब यही कंपनी खुद के लुटे जाने का प्रचार भी कर रही है अभी कुछ दिनों पूर्व इस कंपनी ने लुट जाने की प्राथमिकी दर्ज करवाई थी और मामला सीबीआई के हवाले हो गया था ,जिसका अभी तक खुलाशा नहीं हुआ है .
एक बार फिर पेटीएम ने खुद लुट जाने की सुचना सीबीआई को दिया है जिन आरोपों के आधार पर सीबीआई ने कंपनी के सात कथित ग्राहकों के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है. कंपनी का आरोप है कि इन लोगों ने पिछले दो साल में 37 ऑर्डरों के जरिए उसके साथ 3.21 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है.
सीबीआई ने अपनी नयी शिकायत में कंपनी द्वारा सूचीबद्ध किए गए सात ग्राहकों और पेटीएम के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. सात ग्राहकों को नामजद कराने वाली कंपनी ने अपने किसी अधिकारी के नाम का उल्लेख नहीं किया है. हालांकि उसने यह जरुर कहा कि रीफंड करने के लिए उसके कर्मचारियों को विशेष लॉग इन आईडी और पासवर्ड दिए गए हैं. इससे यह पहचान करना आसान हो सकता है कि किसने रीफंड कार्रवाई को अंजाम दिया.
कंपनी के विधि प्रबंधक एम शिवकुमार ने कहा खातों की नियमित जांच के दौरान शिकायतकर्ता कंपनी को ऐसे 37 मामले मिले, जिनमें ग्राहक के वॉलेट या बैंक खाते में धन वापसी की गई थी, जबकि उनकी ओर से किए गए ऑर्डर की आपूर्ति सफलतापूर्वक की जा चुकी थी. सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के प्रावधानों के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कराया है.
फिरहाल अब सवाल यह उठता है की इतनी बड़ी कंपनी जिसके आज करोंड़ों उपभोक्ता है जब वो खुद के लुट जाने की प्राथमिकी दर्ज करवा रही है तो आम उपभोक्ता जो आज नया नया डिजिटल लेन देन प्रारंभ किया है उसके डिजिटल एकाउंट में अगर सेध लगती है तो जिम्मेदार कौन होगा.