देश के मंदिरों की मठाधीसी का एकाधिकार ब्राह्मणों के अनुसार सिर्फ मनुवाद के हाथ निहित है ,तमिलनाडु के मंदिरों में अन्य समाज के महंत , पुजारी की नियुक्ति की घोषणा के बाद मनुवादियो की मानो लंका लग गई , देश के तमाम हिस्सो में विरोध के सुर तेज हुए थे । देश मे कुछ ही मंदिर होंगे जहाँ पिछड़ा ,दलित समाज का व्यक्ति गद्दीनसीन हो , मंदिरों के महंतो की दबंगई मीडिया के माध्यम से अनेकों बार सामने आए है किंतु त्याग की भावना से गेरुवा बस्त्र का लिवास ओढे तमाम संत भेड़िया निकले , मंदिर के ट्रस्टों की संपत्तियों को लेकर तमाम हत्याए हुई , भोली- भाली युवतियों के साथ रेप एवं शोषण की घटनाएं हुई , पूजा पाठ एवं प्रवचन के नाम पर जुटी भीड़ में गेरुवा बस्त्र के पीछे छिपे हबस के पुजारियों की निगाहें शिकार की खोज में होती है किंतु तमाम कर्मकांडो का भंडाफोड़ होने के बाद भी मनुवादियों की जुवान नही खुलती बल्कि ज्ञान का भंडार होने के बाद भी मंदिरों की गद्दी पर पिछड़े एवं दलित की मौजूदगी पंर मनु का विधान खतरे में पड़ जाता है , जिस कारण पिछड़ा एवं दलित समाज का संत मनुवादियो के आँखों मे चुभने लगता है ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था का दम भरते नहीं थकते हैं, लेकिन हकीकत अलग ही है। जिस हनुमानगढ़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या दौरे के दौरान दर्शन-पूजन करने जाते हैं, वहां के साधु-संतों से उनकी नजदीकी जगजाहिर है। इसी विश्व विख्यात सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के एक नागा साधु की बेरहमी से हत्या कर दी गई। मृतक नागा साधु राम सहारे दास हनुमानगढ़ी के प्रवेश द्वार, सिंह द्वार की सीढ़ी पर बने आश्रम में रहते थे।हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी एवं बसंतिया पट्टी के नागा साधु राम सहारे दास की पहले किसी पतले तार से उनका गला कसा गया, फिर चाकू से वार कर निर्मम हत्या हुई है , उनके गले, सीने व पीठ पर धारदार हथियार के गहरे निशान थे। गुरुवार की सुबह इस घटना के बारे में पता चलने पर हड़कंप मच गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अंबेडकरनगर के भीटी में करीब 10 बीघा जमीन के स्वामित्व को लेकर हत्या की घटना को अंजाम दिया गया बताया गया है। पुलिस हनुमानगढ़ी में रहने वाले लोगों और संतों से पूछताछ कर रही है। हनुमानगढ़ी से जुड़े बाबाओं की हत्या को लेकर 1 महीने के अंदर यह दूसरी वारदात है ।
घटना की जानकारी मिलते ही आईजी और एसएसपी सहित पुलिस के अन्य अफसर हनुमानगढ़ कैंपस में पहुंचे। बताया जा रहा है कि परिसर में सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए गए थे। कैंपस में रहने वाला ऋषभ शुक्ला नामक युवक घटना के बाद से ही गायब चल रहा है। उस पर ही हत्या का शक जताया जा रहा है। हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रवेश द्वार के पास स्थित कमरे में साधु राम सहारे दास रहते थे। इसी कमरे में उनका शव मिला है। उनके गले पर गहरे निशान पाए गए हैं। पुलिस के साथ फोरेंसिक टीम भी घटना की छानबीन में जुटी हुई है।
पुलिस जांच में मंदिर परिसर में लगा सीसीटीवी भी बंद हाल में मिला है, जिससे हत्या को लेकर संदेह और पुख्ता हो गया है। हनुमानगढ़ी से जुड़े बाबाओं की हत्या को लेकर 1 महीने के अंदर यह दूसरी वारदात है। कुछ दिन पहले एक और नागा साधु की मौत का मामला चर्चा में आया था जो आत्महत्या का मामला बताया गया। थाना राम जन्मभूमि इलाके के कटरा चौकी क्षेत्र में नागा साधु की हत्या से हनुमानगढ़ी मंदिर इलाके में बढ़ती अपराधिक घटनाओं को लेकर साधु-समाज ने चिंता जताई है। रामजन्मभूमि पुलिस ने बसंतिया पट्टी के महंत रामचरण दास की तहरीर पर अज्ञात पर हत्या का केस दर्ज किया है
मृतक साधु राम सहारे दास बसन्तीय पट्टी से जुड़े थे। खबरों के मुताबिक राम सहारे दास आश्रम के सबसे अंदरूनी हिस्से के तीसरे कमरे में रहते थे। उनके साथ दो शिष्य भी रहते थे। घटना के बाद ऋषभ शुक्ला नाम का शिष्य मौके से फरार पाया गया जबकि दूसरा गोविंद दास को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
जानकारी के मुताबिक, ऋषभ शुक्ला 15 दिन पहले ही मृतक साधु के साथ रहने लगा था और वहीं खाना बनाने का काम करता था। सभी कमरों में सीसीटीवी लगा हुआ था, लेकिन किसी ने उसे बंद कर दिया। पुलिस को कुछ फुटेज मिले हैं जिसमें सीसीटीवी बंद करने वाला शख्स कैद हुआ है। पुलिस ने फुटेज और हार्ड डिस्क अपने कब्जे में ले ली है।
अयोध्या में इस बात की चर्चा है कि हत्या की वजह 10 बीघा जमीन है या गद्दी पर कब्जा कर गद्दी की सम्पूर्ण प्रॉपर्टी पर कब्जा ,करने की नियति से सुनियोजित खड्यंत्र के तहत हत्या , सवाल लाजमी है कि मंदिर परिसर के सीसीटीवी कैमरे क्यो बंद थे , 15 दिन पहले ऋषभ शुक्ला यहाँ कैसे आया एवं हत्या के बाद से ही फरार क्यो है ? क्या ऋषभ शुक्ला ही हत्यारा है अथवा मास्टरमाइंड कोई और है , इस हत्या कांड की जांच किसी एजेंसी से करवाते हुए अयोध्या में भगवा बस्त्र में छिपे महंतो की भी जांच होनी चाहिए ताकि हिंदुओ के धार्मिक केंद्र विंदु अयोध्या हत्याओं की बजह से बदनाम न हो। पिछड़े समाज से जुड़े लोगो का कहना है कि सभी मठो पर एक ही वर्ग का कब्ज़ा है , पिछड़ा एवं दलित जब भी ऐसे पदों को प्राप्त करते है तो मनु के विधान का हवाला देते हुए खड्यंत्र किया जाता है , इस हत्याकांड में सुनियोजित खड्यंत्र की बू आ रही है।
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