भ्रस्ट्राचार का अड्डा मंडी परिषद , दागियों के पदोन्नति का खेल हो गया फेल - न्यूज़ अटैक इंडिया
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भ्रस्ट्राचार का अड्डा मंडी परिषद , दागियों के पदोन्नति का खेल हो गया फेल

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जब पूरा देश लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती को एकता दिवस के रूप में मना रहा था तो मंडी के भ्रष्ट्राचारी भी एक होकर दागी अफसरों की पदोन्नति कराने की साजिश में लीन थे किन्तु उनकी यह साजिस एका एक विफल हो गई शासन के हस्तक्षेप के बाद डीपीसी निरस्त हुई।

उत्तर प्रदेश मंडी परिषद किसान एवं व्यापारियों के हितो की बजाय भ्रस्ट्र अधिकारियो एवं कर्मचारियों की लूट का अड्डा बन गया है , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश से भ्रस्ट्राचार खात्मे का दावा करते नहीं थकते किन्तु उनके ही अध्यक्षता वाले विभाग में अधिकारी भ्रस्ट्राचार खात्मे के मुख्यमंत्री के दावे को ठींगा दिखाते हुए भ्रस्ट्राचार कर काली कमाई में मस्त है। मंडी परिषद में निर्माण से लगायत अन्यत्र तरीके से फर्जीवाड़ा तो हुआ ही बल्कि दागियों को प्रमोशन का खेल भी बड़े पैमाने पर चल रहा है।

मंडी निदेशक अंजनी कुमार सिंह के रसूख के सामने विभागीय मंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी बौने साबित हो रहे है , मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के शिकायती एवं कार्यवाही के पत्र भी रद्दी टोकरी में पड़े है। ताजा मामला यह आया है कि जब पूरा देश लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती को एकता दिवस के रूप में मना रहा था तो मंडी के भ्रष्ट्राचारी भी एक होकर दागी अफसरों की पदोन्नति कराने की साजिश में लीन थे किन्तु उनकी यह साजिस एका एक विफल हो गई शासन के हस्तक्षेप के बाद डीपीसी निरस्त हुई।

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बताया जाता है कि राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के दागियों की गुपचुप पदोन्नति बैठक सोमवार की सुबह निरस्त हो गई। मंडी परिषद के दागियों की पदोन्नति हेतु डीसीपी गुपचुप तरीके से 31 अक्टूबर की सुबह 11 बजे करने की योजना थी क्योंकि शाम को एक साहब को रिटायर भी होना था । रणनीति के तहत एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर की शाम चार बजे डीपीसी के लिए मंडी परिषद के अपर निदेशक को अचानक एक पत्र जारी होता है। डीपीसी कराने के लिए पूरी रात तैयारी होती है। लेकिन सुबह एक आदेश आता है कि डीपीसी नहीं होगी , इसके बाद ही घोटालेबाजो की सारी रणनीति धराशाई हो जाती है। हालाकि गुपचुप डीपीसी कराने वाले विशेष सचिव शाम को रिटायर भी हो जाते हैं। यह डीपीसी उन हालातों में हो रही थी जब इन दागियों की डीपीसी पर हाईकोर्ट से कंटेंप्ट की चेतावनी है। इन दागी कार्मियों के खिलाफ लोकायुक्त में परिवाद दाखिल हो चुका है।

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इन दागियों पर शासनादेश के विपरीत जाकर कूटरचित तरीके से ग्रेड-टू की नौकरी प्राप्त करने के आरोप लगे हैं। मंडी परिषद के जिन अधिकारियों की डीपीसी होनी है, उनमे से सात अधिकारियों के खिलाफ कूटरचित तरीके से नौकरी हासिल करने के आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जांच भी शुरू हो चुकी है। आरोप है कि तत्कालीन अपर निदेशक राम विलास यादव ने शासनादेश के विपरीत जाकर डेलीवेज के नौ कर्मचारियों को ग्रेड-टू यानी सहायक अभियंता बना दिया था । इन नौ कार्मिकों में दो रिटायर हो चुके हैं, जबकि सात उपनिदेशक (निर्माण) के पद पर महत्वपूर्ण तैनाती पाए हुए हैं। उक्त सभी का प्रमोशन संयुक्त निदेशक (निर्माण) के पद पर होना है। सभी कार्मिक इस डीपीसी को कराने के लिए तन-मन-धन से लगे हुए थे, लेकिन स्वयं को फंसाने की जहमत कोई नहीं ले रहा था। इसलिए यह डीपीसी दो बार स्थगित भी हो चुकी है।

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अब विशेष सचिव राजीव श्रीवास्तव को 31 अक्टूबर को रिटायर होना था, इसलिए प्लानिंग बनी कि रिटायर होते-होते भला कर जाइए। डीसीपी की रणनीति बड़े ही गोपनीय ढंग से बनी किन्तु विशेष सचिव द्वारा मंडी परिषद को भेजा गया पत्र वायरल हो गया। सूचना मिलते ही पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वर्तमान विधायक रविदास मेहरोत्रा ने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को ई-मेल के माध्यम से पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया, जिसके बाद डीपीसी रोकने का फरमान जारी हो गया।

मैने इस अनियमित भर्ती की शिकायत पहले से कर रखी है। जांच होने के बाद ही डीपीसी होनी चाहिए। गुपचुप तरीके से डीपीसी कराई जा रही थी, इसलिए आला अफसरों से शिकायत की।
– रविदास मेहरोत्रा, पूर्व कैबिनेट मंत्री व सपा विधायक

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