आज 14 अप्रैल हमलोग भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर साहब जी की जयंती की बधाई एक दूसरे को दे रहे है। इसी क्रम में मेरी भी बधाई स्वीकार करे….
आज मैं आप सब से एक सवाल करने की इच्छा से पूछ रहा हु, कि क्या जयंतिया मना लेने या कुछ फोटोज को इधर उधर भेज देने भर से, देश मे व्याप्त कुरीतिया, भेदभाव, छुआछूत, उच्च नीच,या इस तरह की अन्य और भी विषमताएं समाप्त हो जाएंगी, शायद नही। जिन मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने में डॉक्टर अम्बेडकर साहब और इनके जैसे अन्य सामाजिक, राजनैतिक आर्थिक, व्यवहारिक सद्भाव की लड़ाई लड़ने वाले सामाज सुधारको ने जो सपना भारत के लिए देखा था। आज आज़ादी के 70 सालों बाद भी मानसिक गुलामी का दंश झेलना पड़ रहा है। डॉ. अम्बेडकर साहब कहा करते थे समानता लाये बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नही होगा। इसके लिए पिछड़े, दलित व सर्वहारा समाज को पढ़ा लिखा होना होगा, जब वंचित वर्ग शिक्षा को प्राप्त कर लेंगे स्वयं से वह अपने अधिकारों के प्रति सजग और जागरूक होगा, किन्तु दुर्भाग्य है कि पिछड़े, दलित, वंचित शोषित सर्वहारा समाज के कई सारे लोग आज भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के सहारे उच्च स्थानों पर विराजमान होने के वावजूद भी, अपने स्वयं के अहंकार और समाज के प्रति उदासीनता के वजह से पिछड़े और दलित आज फिर हासिये पर है। मैं ये नही कहता कि इससे पहले बीच का कालखंड स्वर्णिम था। परंतु, पिछड़े, दलित और कमेरा समाज के लिए भारतीय संविधान से जो भी अधिकार प्राप्त है, आज उस पर भी प्रहार करने का कार्य कुछ पाखंडियो द्वारा किया जा रहा है, “अभी निजी कॉलेजों में से आरक्षण को समाप्त करके ये संदेश दिया है” कि आगे इसे पूरी तरह से समाप्त कर देंगे। अब विचार करने की आवश्यकता है कि कुछ उच्च पदस्थ नेताओ एवम वरिष्ठजनो के आपसी अहम के चलते समाज तथा समूचे वर्ग का जो नुकसान हो रहा, उसकी जवाबदेही किसकी होगी???????
मेरा आप स्नेहीजनो से सादर अनुरोध है कि आप लोग इस आरक्षण और इसी तरह की अन्य विषयों पर गहनतापूर्वक विचार करे तथा अपने हक एवम अधिकार के प्रति सजग रहते हुए, संघर्ष के लिए तैयार रहे तथा अपने मित्रों तथा स्नेहीजनों को भी प्रेरित करते रहे। शायद यही सही मायने में हमारी सच्ची श्रद्धासुमन होगी….
विशेष—-
यह मेरी अपनी राय है, मैं किसी जाति या वर्ग को ठेस नही पहुचाना चाहता। बल्कि, स्वयम के अधिकार के लिए संघर्षरत होने के लिए प्रयासरत रहे ऐसी एक कोशिश है….
जय हिंद जय भारत…
-रविन्द्र सिंह पटेल
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