भगवा फोबिया से ग्रसित अखिलेश यादव - न्यूज़ अटैक इंडिया
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भगवा फोबिया से ग्रसित अखिलेश यादव

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सत्ता से बाहर होने के बाद समाजवादी पार्टी के मौजूदा मुखिया आजकल हार के कारणों पर चिंतन-मंथन में जुटे हुए हैं … मंथन से क्या निकलेगा ये तो अखिलेश ही जाने लेकिन अंत में हार का ज़िम्मेदार सभी को ईवीएम ही नजर आने वाली है । ये बात बिलकुल तय है ।

सत्ता से बाहर होने के बाद समाजवादी पार्टी के मौजूदा मुखिया आजकल हार के कारणों पर चिंतन-मंथन में जुटे हुए हैं … मंथन से क्या निकलेगा ये तो अखिलेश ही जाने लेकिन अंत में हार का ज़िम्मेदार सभी को ईवीएम ही नजर आने वाली है । ये बात बिलकुल तय है ।

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ख़ैर हार का बोझ उठाना सब के बस की बात नहीं होती क्योंकि जिस तरह अखिलेश आज कल अपनी प्रेस कानफ़्रेंस में पत्रकारों से उलझते दिखाई पड़ रहे इससे साफ़ पता चल रहा है कि अखिलेश के दिमाग़ को हार का झटका इस क़दर लगा है कि वो अपनी ग़लतियाँ और जनता के जनादेश को भूलकर पत्रकारों पर ही अपनी हार का ठीकरा फोड़ने पर अमादा हैं जबकि उनके पिता निंदक को सबसे नज़दीक रखने और निंदा करने वाले के माध्यम से ही जनता की हवा का रूख को परखने में माहिर हैं । लेकिन इसके उलट अखिलेश ने हाल ही में जिस तरह से आज तक के पत्रकार शिवपूजन झा की कत्थयी शर्ट पर तंज कसते हुए उसे भगवा कह कर उनको देश के लिए ख़तरा बता डाला उससे साफ़ प्रतीत होता है की अखिलेश करारी हार के चलते राजनैतिक रूप से अंधे हो चुके हैं .. ” जैसे सावन के अंधे को सब हरा-हरा दिखाई पड़ता है उसी प्रकार बुरी तरह से हारने के बाद अखिलेश को कोई राह नहीं दिख रही इस प्रकार के राजनैतिक अन्धेकरण के चलते अखिलेश को प्रदेश में ही नहीं सपा कार्यालय में भी सब कुछ बस भगवा-भगवा दिखाई पड़ रहा है ।

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अखिलेश का तर्क है कि पत्रकारों को उनके परिवार के झगड़े पर से ध्यान हटा लेना चाहिए लेकिन मेरा इस पर तर्क है कि यदि अखिलेश का राजनैतिक परिवार राजनीति से अपना ध्यान हटा ले तो पत्रकार क्या उनकी पार्टी के आज़म खा जैसे लोग भी मध्यस्तता की मलाई खाने को बेचैन नहीं दिखेंगे । हाँ अखिलेश के पंचवर्षीय विकास की गंगा में जिस तरह से भ्रष्टाचार के मैल में डूबी हुई पाई जा रही है उसकी आँच से अखिलेश के लिए 2019 में समाजवादी पार्टी को उबार पाना दूर की कौड़ी नज़र आने लगी है शयद यही बौखलाहट है जनाब की ।

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अखिलेश की शिवपाल से तनातनी जग ज़ाहिर लेकिन अब मीडिया को हार के बाद रामगोपाल और अखिलेश की बंद कमरे में हुई ज़ोरदार टकरार पर भी थोड़ा ध्यान दे लेना चाहिए क्योंकि जब से चुनाव सम्पन्न हुए हैं रामगोपाल चाचा तो जैसे किसी गुफ़ा में जा छुपे हैं । दोनों भाइयों की खीचातान में नेता जी भी चुटकी बम फोड़ने से नहीं चूक रहे नेता जी कभी अखिलेश के बचाव में कुछ बोलते है तो कभी शिवपाल के बाल सहलाते नज़र आने लगते हैं । फ़िलहाल जिस तरह मुलायम ने एक पार्टी बनाकर उसको शीर्ष तक पहुँचाया और ख़ुद ही नहीं अपने पुत्र को भी मुख्यमंत्री बनाने का सौभाग्य प्राप्त किया ,अखिलेश उस विरासत को सम्भाल कर उतना ही आगे ले जा पाएँगे इसकी सम्भावनाए बेहद काम हैं । क्योंकि अखिलेश की भाषा में पत्रकार शिव पूजन झा जैसे लोग देश के लिए ख़तरनाक हैं .. अब वो किसके लिए ख़तरनाक हैं यह तो समय बताएगा लेकिन भगवा फोबिया से ग्रसित अखिलेश यादव इस तरह से पत्रकारों को अपमानित कर के आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी भावी हार का नींवपूजन ज़रूर कर रहें हैं ।

– अभ्युदय अवस्थी
( उ.प्र. सरकार से राज्य मुख्यालय मानयता प्राप्त पत्रकार )

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