सामाजिक व्यवस्था पर भारी पड़ेगा, चौथे स्तंभ पर हमला ! - न्यूज़ अटैक इंडिया
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सामाजिक व्यवस्था पर भारी पड़ेगा, चौथे स्तंभ पर हमला !

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विवेक शर्मा अंशु

गत दिनो में जिस तरह से लोकतंत्र के चौथ स्तंभ पर हमले देखने को मिले है उसके बाद सबाल उठना स्वाभाविक है की आखिर क्यो मीडिया पर लोग हमलावर हो रहै है तो बही दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन मूक दर्शक की भूमिका में रह कर किस घटना के इंताजार में है,मौके की तलाश में विपक्षी दल इसी माहौल की आड़ लेकर कर रहै भाजपा सरकार पर हमले!

हाल के दिनो में प्रशासनिक व्यवस्था,अधिकारियो एंव उनके मताहतो के प्रति नागरिको में जनाक्रोश देखने को मिल रहा है जो समाजवादी पार्टी के तख्ता पलट के बाद स्वाभाविक था क्योकि योगी सरकार से पूर्व लोगो में सपाई कार्यशैली को लेकर गहरा आक्रोश समाया था विशेष ध्यान रहै की इस दबे आक्रोश को उभारने में जितनी भूमिका मीडिया की रही इतनी तो भारतीय जनता पार्टी और उसके कार्यकर्ताओ की भी नही रही गौर करें प्रदेश की सत्ता बदली मुख्यमंत्री बदले परन्तु नही बदला तो जनाक्रोश,और लोगो की आकाँक्षायें क्योकि भाजपा ने जिस भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश की दिलफरेब तस्बीर प्रशासनिक अमले के मनमाने कामो से त्रस्त लोगो को दिखाई थी बह अभी तक फ्रेम से पूरी तरह नदारद है जिसकी कोफ्त लोग-बाग सरकरी अभियानो में लगी अब तक प्रशासनिक टीमो पर दिखा रहै थे परन्तु कहते है की रोज का मिलना ही कुछ खास रिस्तो को जन्म देता है प्रदेश सरकार बदलने के बाद भी प्रशासन स्तर में फेर बदल न दिखाई देने से लोगो की सोंच में यह बात घर करने लगी है की अधिकारियो की सैटिंग और पहुँच के आगे मुख्यमंत्री महंत योगी अदित्यनाथ वेबस पड़ गये है नई सरकार से स्वच्छ भ्रष्टाचार मुक्त समाज की आस लगाये लोगो की अकांक्षाऐ यही से आक्रोश के लावे में बदल कर टकराव का रूप धारण कर सामाजिक ढाँचे को तबाह करने पर वेइरादा आमादा दिखाई पड़ने लगी है नजारो पर गौर फरमायें तिलहर नवीन गल्ला मंडी में समय दोपहर जिलाधिकारी डा.कर्ण सिंह पहुँचते है और मंडी के नीलामी चबूतरे पर सब्जी विक्रेताओ का कब्जा देख कर उनका पारा चढ़ जाता है क्योकि डीएम साहब पिछले कई दिनो से जिले की समस्त सरकारी गल्ला मंडियो के नीलामी चबूतरे खाली कराने को सभी तहसीलो को कह चुके थे परन्तु स्थित उलट देखते हैं और बह तत्कालीन उपजिलाधिकारी पदम सिंह को तलब कर चबूतरा खाली कराने का आदेश देते है और फिर आनन-फानन में तिलहर के पूर्व एसडीएम पदम सिंह ई.ओ नगरपालिका मनोज सिंह लाव लश्कर लेकर मंडी पहुँच कर तत्काल चबूतरा खाली करने का आदेश दनदना देते है परिणाम व्यापारियो और प्रशासन के बीच समय देने की माँग को लेकर झड़प होती है और इसकी कवरेज कर रहै मीडीया के लोगो को व्यापारियो ने प्रशासन का साथ देने के नाम पर खदेड़ा दिया जम मानस में सम्मानित मीडिया की यह हालत देख कर प्रशासनिक अमला भी सकते में आ गया और बह सर पर पैर रख कर भाग ग़!इसके बाद व्यापारियो ने उग्र प्रर्दशन बाजार बंदी कर उपजिलाधिकारी पदम सिंह और हस्तक्षेप के आरोपी मीडीया का खुला विरोध किया परन्तु नतीजा फुस्स और यही से खबरनवीसो और व्यापारियो में तनातनी शुरू हो गई जिसकी बानगी शनिवार दोपहर उस समय एक बार फिर सामने आई जब गेहूँ खरीद सेंटरो पर अधिकारिक निरिक्षण के समय गड़बड़ी दर्शाते हुये खबर नवीशो ने सवाल दागे और जिसके बाद व्यपारियो का पारा चढ़ गया जिससे बात बिगड़ गई और फिर घटना का पटाक्षेप कथित मीडीया कर्मियो की पिटाई से हुआ दोनो घटनाओ में दो बाते समान है नम्वर एक प्रशासन की मौजूदगी में आपा-धापी और विवाद न सुलझा पाने की विफलता जिसके कारण व्यापारियो का मीडीया पर फूटा आक्रोश, दूसरा प्रशासनिक हनक में अत्यधिक गिरावट जिसने अधिकारिक क्षमताओ पर भी सवालियाँ निशान लगा दिये हा बुजर्ग बताते है पहले साहब का एक चपरासी घूम जाता था तो दो नम्वरी, गड़बड़ी करने बाले के बल स्वता निकल जाते थे और प्रशासनिक कार्यवाही के भय से सतर हो जाते थे परन्तु अब हालात देखिऐ की साहब के गिरेबान तक लोगो के हाथ पहुँचने लगे है इससे स्पष्ट तौर पर प्रतीत होता है गड़बड़ी करने बाले के हौंसले बढ़ चुके है लेकिन दूसरा गंभीर और चितंनिय पहलू है की दशको की नेतागीरी तथा राजनीतीक माहत्व काक्षांऐ ढोते-ढोते प्रशासनिक हौंसले पस्त हो चुके है है जिसके परिणाम स्वरूप दोषी सामने होने पर भी जाँच का आदेश जारी कर दिया जाता है!

प्रशासनिक विफलता अथवा जनाक्रोश यह अपनी जगह के सबाल परन्तु दुनियाँ के सबसे बड़े लोकतंत्र के चौथे आधार स्तंभ पत्रकारिता पर खतरा किसी भी द्रष्टी से सही नही हो सकता क्योकि सामाजिक बुराईयों,कुरीतियो,भ्रष्टाचार,शोषण आदि जैसे अनेक ज्वलंत मुद्दे मीडीया के ही माध्यम से हमारे आपके सामने आये है और अनेक खुलासो से पत्रकारो ने अपनी जान जोखिम में डाल कर समाज को चौकाते हुये उनके सामने सच्चाई रख कर अनेको अवसरो पर छुपे चेहरो को बेनकाव किया है लेकिन आज कल जिस तरह से मीडीया पर हमले हो रहै है अगर उन्हे रोकने के उपाय न किये गये अथवा इसके कारण जानने के इमानदारी से प्रयास न किये गये तो यह कारण सामाजिक ढाँचे के विनाश का सबसे बड़ा कारण बनेगा हालंकि एक कहाबत है की शोर बही होता है जहाँ चोर होता है भ्रष्टाचार हर जगह पनप चुका है जिसके छींटे पत्रकार समाज पर भी हो सकते है एैसे लोगो को सबक सिखाया जाना चाहिये और उन्हे बाहर का रास्ता दिखाने के लिये संबधित मीडीया संस्थानो को आगे आकर एैसे लोगो को अपनी संस्था से बाहर कर स्वच्छ भारत मिशन में योगदान देना ही होगा अगर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को नागरिको का भरोसा और सम्मान अपने प्रति सुरक्षित रखना है!

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