लखनऊ। भ्रस्ट्राचार की गंगा में हिलोरे मार रहे पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अधिकारी के अबैध कमाई का घड़ा भर जाने के बाद अब जाँच का शिकंजा शुरू हो गया है। अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आगरा की एक फर्म को एनओसी देने के मामले में निलंबित यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के मुख्य पर्यावरण अधिकारी विवेक राय की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट में उनके खिलाफ दाखिल जनहित याचिका में 70 मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश दिया कि सिर्फ एक मामले में कार्रवाई पर्याप्त नहीं है बल्कि विवेक के खिलाफ भ्रष्टाचार के सभी मामलों की एक साथ जांच की जाए।
मंडी सचिव के भ्रस्ट्राचार में मंडी निदेशक भी हिस्सेदार ?
पिछले हफ्ते विवेक राय को विभाग ने सस्पेंड किया गया था। उस् पर आरोप है कि अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निरीक्षण आख्या की संस्तुति की सहमति के बिना एक पत्र का निस्तारण कर दिया। बोर्ड में लाल श्रेणी के उद्योगों के सहमति व बायो मेडिकल वेस्ट आवेदन पत्र निस्तारण के लिए सदस्य सचिव की संस्तुति व यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का अनुमोदन अनिवार्य है, लेकिन मेडिकल पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी फर्म के मामले में इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। विवेक के खिलाफ मामले में नया मोड़ उस समय आ गया, जब हाईकोर्ट में दाखिल एक पीआईएल में उनके खिलाफ 70 मामलों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए। ये याचिका उनके निलंबन से पहले दाखिल की गई थी। इस पर हाईकोर्ट ने विवेक राय के खिलाफ सभी मामलों की जांच करने के आदेश दिए। अकेले एक फाइल में ही विवेक राय पर 22 केस में अवैध रूप से एनओसी देने व करोड़ों रुपये रिश्वत लेने के आरोप लगाए गए हैं।
सनद रहे कि इससे पूर्व एक अन्य मुख्य पर्यावरण अधिकारी घनश्याम को सस्पेंड किया गया था। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने पर्यावरण विभाग से उनकी शिकायत की थी। जांच में पता चला कि घनश्याम ने कई निजी स्लाटर हाउस को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जिलों में मीट सप्लाई का एकाधिकार पत्र जारी कर दिया। इसके लिए संबंधित विभाग नगर विकास और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। उच्चाधिकारियों से भी अनुमति नहीं ली गई। इतना ही नहीं अयोध्या, मथुरा और काशी में धार्मिक स्थलों के पास भी स्लॉटर हाउस को एकाधिकार पत्र जारी कर दिए।
ये तो वे मामले हैं, जहां शिकायतें उच्च स्तर तक पहुंचीं और NGT तक को निर्देश देना पड़ा। विभाग के ही अधिकारियों के अनुसार इनके अलावा भी कई मामले हैं, जिनकी उच्च स्तर तक शिकायतें की जा चुकी हैं। मानकों को दरकिनार कर NOC दिए जाने और रोक लगाए जाने की इन शिकायतों पर भी जांच की जा रही है। जल्द कई और पर कार्रवाई हो सकती है।
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