भाजपा के रामराज्य में सच बोलना , लिखना गुनाह है , भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बड़े – बड़े मंचो से सच बोलने का साहस रखने वालो की तारीफों का पुल बांधते नहीं थकता किन्तु वही भाजपाई खुद के जूठ व गुनाहो को उजागर करने वालो के दुश्मन बन साम-दाम- दंड-भेद के सहारे सच लिखने वालो पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवा उसे खामोश करने की जुगाड़ में भीड़ जाते है। देश के प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम नेताओ की करतूतों का पर्दाफास करने हेतु चर्चित “अचूक संघर्ष” के सम्पादक अमित मौर्य भी इस बार सरकार के मंत्री के कुचक्र में फस फर्जी मुकदमे में तथाकथित अपराधी बन गए। सम्पादक मौर्य के मुताबिक भ्रस्ट्राचार में शामिल मंत्री मुकदमे के सहारे हमारी जुवान पर लगाम लगाने का असफल प्रयाश कर रहा है। जबकि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के तत्कालीन चेयरमैन व पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू ने आदेश दिया था कि पत्रकार भीड़ का हिस्सा नहीं है। बगैर जांच किये पत्रकार पर केस दर्ज न किया जाए, लेकिन पुलिस आज भी अंग्रेजी राज की तरह ही काम कर रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार समाचार पत्र “अचूक संघर्ष” द्वारा उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग में चल रहे करोड़ो के काले कारोबार के कुकर्मो की एक्सक्लूसिव खबरें लगातार दो बार प्रकाशित की गई थीं. इन खबरों में बताया गया कि भ्रष्टाचार के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह सीधे-सीधे जिम्मेदार व हिस्सेदार हैं. इस खबर से मंत्री दयाशंकर सिंह का पारा चढ़ गया और “अचूक संघर्ष” के संपादक अमित मौर्य पर मुकदमा दर्ज करा दिया.
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अचूक संघर्ष में प्रकाशित खबर में मुख्य आरोपी पूर्वांचल ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष प्रमोद सिंह द्वारा ही मंत्री के इशारे पर तहरीर देकर वाराणसी के थाना पांडेयपुर-लालपुर में 28 सितंबर 2023 को धारा 386, 389, 504, 506 में मुकदमा मुकदमा दर्ज करवाया गया है।। प्रमोद सिंह का आरोप है कि अमित मौर्य ने उनसे कहा कि आप आरएस यादव की मुकदमे की पैरवी मत करिए तो आरएस यादव आपको 1 करोड़ देंगे, अगर आप उक्त मुकदमे से नहीं हटते हैं तो 1 लाख रुपया प्रतिमाह मुझे आप को देना पड़ेगा, आप पैसा नहीं देते है तो मैं आप के खिलाफ अपने समाचार पत्र अचूक सँघर्ष में खबर निकालूंगा, जिससे आप की छवि खराब होगी।
इस संबंध में अचूक संघर्ष समाचार पत्र के संपादक अमित मौर्य ने पुलिस आयुक्त वाराणसी को एक प्रार्थना पत्र देते हुए उक्त मुकदमे को फर्जी करार देते हुए निष्पक्ष जांच कराए जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने लिखा लिखा है कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे में कोई सत्यता नहीं है । जिस दिन की बात प्रमोद सिंह द्वारा की गई है उस दिन तो मैं अपने ऑफिस (जहां कि मैं स्वयं रहता भी हूं) वहां से निकला तक नहीं। पत्र में लिखा है कि चूंकि प्रमोद कुमार सिंह से उनके संबंध हैं तो आना जाना लगा रहता है, लेकिन इधर काफी समय से मैं उनके घर गया भी नहीं जिसकी पुष्टि सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से की जा सकती है। जब आरएस यादव जेल में थे तब मेरा अखबार भी नहीं निकलता था। ऐसे में सारे आरोप किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करते हुए किसी के दबाव और साजिश में आकर लगाया जाना प्रतीत हो रहा हैं।
संपादक अमित मौर्य ने पुलिस आयुक्त को स्वयं द्वारा दिये गए प्रार्थना पत्र में लिखा है कि ये सब मन गढ़ंत आरोप लगाया गया है ताकि परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार सम्बन्धी खबर न छपे और आगे इस तरह का दबाव बना रहे। पत्र में अमित मौर्य ने कहा कि चूंकि उन्होंने 20 सितंबर से 3 अक्टूबर के संयुक्तांक में इनके खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी खबर छापा था, जिस कारण खिन्न होकर दबाव बनाने के लिए झूठा तथ्यविहीन मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है।.फिरहाल पुलिस अभी जांच कर रही है। सम्पादक अमित मोर्य ने सीसीटीबी फुटेज सहित अन्य प्रमाण पुलिस को सौप चुके है।
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