क्या पंकज पाठक की टाइमसिटी लुटेगी निवेशकों का अरबो रुपया, कार्यवाही की बजाय लखनऊ पुलिस मौन - न्यूज़ अटैक इंडिया
Search

क्या पंकज पाठक की टाइमसिटी लुटेगी निवेशकों का अरबो रुपया, कार्यवाही की बजाय लखनऊ पुलिस मौन

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

महाठग पंकज पाठक खुद को भाजपा का नेता एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी बताकर ठगी के साम्राज्य का सञ्चालन किया। इसने अपने सोसल मीडिया एकाउंट पर भाजपा के बड़े नेताओ के साथ फोटो डाल करीबी बन पीड़ितों को धमकाता रहा।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सहित देश के गरीवो का लगभग  60 हजार करोड़ रुपया लूट कर फरार हुई साइन सिटी ग्रुप के मालिक महाठग रसीद नसीम अपने फ्राड का साम्राज्य चलाने के बाद से ही पुलिस की पकड़ से बाहर है , प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले में 128 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त भी करते हुए उसके लिए काम कर रहे लोगो को पकड़ कर जेल भेज रही है किन्तु उसी तर्ज पर काम कर महाठगी को अंजाम देकर अरबो डकारने में जुटी लखनऊ की कुछ कंपनिया ऊंची पहुंच का फायदा उठा का ठगी के धंधे के साम्राजय को चला रही है , शिकायतों के बाद भी पुलिस मूकदर्शक बन तमासा देख रही है।

उत्तर प्रदेश सहित आस -पास के राज्यों में रिजर्व बैंक आफ इंडिया के जाली दस्ताबेज के सहारे फ्राड की बैंकिंग करने वाले अंबेडकरनगर निवासी पंकज पाठक की कंपनियों का विस्तार और पदचिन्ह साइनसिटी की तरह हो रहा है । हजारो निवेशकों से सैकड़ों करोड़ जमा कराकर पंकज पाठक निवेशकों की पहुंच से बाहर हैं। निवेशको का करोड़ो डकारे जाने के बाद निवेशकों ने कार्यवाही हेतु तमाम प्रयाश किए किन्तु हमेशा निराशा हाथ लगी ,किसी तरह मामला पंचम तल तक पहुंचने के पक्षात 18 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज हो गया,किन्तु आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर है , इस मामले में गुडंबा पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठा है । चर्चा है कि राजधानी लखनऊ में रहते हुए पंकज पाठक ने कुछ दिन पहले करोड़ों की जमीनें भी बेच डाली किन्यु मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने उसपर हाथ नहीं डाला । निवेशकों के अनुसार पंकज पाठक ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया का प्रमाणपत्र भी दिखाया था लेकिन बाद में पता चला कि यह प्रमाणपत्र भी फर्जी है।

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ आरोपी की फोटो

निवेशकों के मुताबिक टाइमसिटी का सिलसिला बिल्कुल साइनसिटी की तर्ज पर चल रहा था। शुरू में कोई सोंच भी नहीं सकता था कि टाइमसिटी में इतना बड़ा फ्राड हो सकता है। जिला मुख्यालयों पर ही नहीं बल्कि तहसीलों और छोटे-छोटे बाजारों में भी टाइम सिटी ने शाखाएं खोलकर शाखा प्रबंधक बैठा रखे थे। सहारा इंडिया की तर्ज पर प्रतिदिन करोड़ों रुपए छोटे-छोटे धन के रूप में टाइम सिटी के बैंक खातों में जमा हो रहे थे। खुलासा तब हुआ जब मेच्योरिटी का समय आने लगा। किसी भी निवेशक को मेच्योरिटी का एक भी पैसा वापस नहीं हुआ । प्राप्त जानकारी के अनुसार टाइम सिटी द्वारा निवेशकों से कई सौ करोड़ रुपए जमा कराए जा चुके हैं। इस ठगी के कारण निवेशको के घरों में बवाल मचा हुआ है,कितने निवेशको के भाइयों और बहनों की शादियां रुक गई हैं जिस कारण निवेशको को जहर खाने की स्थिति आ गई है।

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

आरोपी का सोसल मीडिया एकाउंट

टाइम सिटी ग्रुप के कर्ताधर्ता पंकज पाठक की पुलिस और प्रशासन में साठगांठ का ही नतीजा है कि सैकड़ों निवेशकों ने थानों में तहरीर दी, लेकिन कहीं भी मुकदमा नहीं दर्ज हुआ किन्तु फरियाद पंचम तल तक पहुंचने के उपरांत दर्ज मुकदमें में अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई निवेशकों के अनुसार पंकज पाठक एवं उसकी टीम ने करोड़ों रुपए जमीनों में निवेश कर रखा है। एक एक कर सभी जमीनें बेची जा रही हैं। निवेशक को कुछ नहीं दिया जा रहा है। अगर कोई पंकज पाठक तक पहुंच भी जाता है तो वह निवेशकों को बाउंसरों से पिटवाता है।

सनद रहे बैंकिग सेवाओं हेतु आरबीआई से नान बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से पंजीकरण कराना पड़ता है। इस समय आरबीआई के अंतर्गत 9356 संस्थाएं हैं किन्तु उसमें भी टाइम सिटी का नाम नहीं है। आरबीआई ने अभी तक 5628 संस्थाओं को बाहर कर दिया। जिन संस्थाओं को बाहर किया गया उन संस्थाओं की लिस्ट में भी टाइमसिटी का नाम नहीं है। ऐसे में टाइम सिटी द्वारा कार्यालयों में लगा एवं निवेशको के मध्य वितरित रिजर्व बैंक आफ इंडिया का प्रमाण पत्र भी फर्जी है।

टाइम सिटी के विरुद्ध गुडंबा थाने में मुकदमा दर्ज होने बाद विवेचक एवं छुइयापुर चौकी इंचार्ज प्रदीप सिंह ने कुछ वादियों का वयान लिया। जिसके बाद पता चला कि टाइमसिटी पूर्ण रूप से संस्थागत रूप में संचालित हो रहा था। जिलों, तहसीलों एवं ब्लॉक क्षेत्रों में भी ब्रांच खुले हुए थे। आरडी, एफडी और एमआईएस होता था। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने पैसा जमा कर रखा था। खुलासा तब हुआ जब लोगों की मिच्योरिटी (भुगतान) का समय आ गया। फिर एक-एक कर खुलासे होने लगे।

टाइमसिटी ने अपने फ्राड के साम्राजय को फ़ैलाने के लिए उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों में बैंक खोल रखा था। बैंकों में ब्रांच मैनेजर और अन्य कार्मिक कार्यरत थे। बस्ती, रुदौली, अयोध्या, गोरखपुर, परतावल बाजार, आजमगढ़, मऊ, कालपी, प्रतापगढ़, वाराणसी, अंबेडकर नगर के अहिरौला और सोनहा में ब्रांच खुले हुए थे। टाइमसिटी ने प्रदेश के कई महानगरों में इन्वेस्टमेंट का भी कार्य किया था। इन्वेस्टमेंट के सहारे ही करोड़ों की ठगी को अमली जामा पहनाया गया।

टाइमसिटी घोटाले के मुख्य आरोपी पंकज कुमार पाठक की पत्नी बेबी पाठक कंपनी में एचआर हेड की भूमिका निभा रही थी। सैलरी जारी करने से लेकर कार्मिकों की भर्ती की जिम्मेदारी बेबी पाठक की थी। रीना शुक्ला के हस्ताक्षर से कार्मिकों की नियुक्ति होती थी। शिकायकर्ताओं ने उक्त तीनों के साथ 18 लोगों को आरोपी बनाया है। गुडंबा थाने में एक एफआईआर दर्ज होने के बाद कई निवेशकों ने थानों और अदालतों में आरोपियों के खिलाफ तहरीर डाली है। कप्तागंज के सुज्जन सिंह, महराजगंज के दयानंद पटेल, बभनान बस्ती के राजेश कुमार वर्मा, परशुरामपुर बस्ती के अरुण दुबे आदि ने भी आरोपियों के खिलाफ थानों और 156/3 के तहत अदालतों में आवेदन किया है।

FIR वापसी के लिए पीड़ितों पर दबाव बना रहे आरोपी –

टाइम सिटी के फर्जीवाड़े के विरुद्ध सैकड़ों निवेशक एफआईआर दर्ज कराने के लिए परेशान हैं, वहीं जिन पीड़ितों का एफआईआर दर्ज हो गया है , उनपर दबाब डाल कर एफआईआर वापसी का प्रयाश किया जा रहा है। पीड़ितों से कहा जा रहा है कि तुम अपना पैसा लो और एफआईआर वापस कर किनारे हो जाओ इस तर्ज पर आरोपी दबाव का प्रयाश कर रहे है ,मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में गुडम्बा पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है क्योकि स्वयं पुलिस ही समझौता कराने पर उतारू है। हालांकि कई और निवेशकों ने 156/3 अंतर्गत अदालत से मुकदमा दर्ज कराने के लिए वाद दाखिल कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट एवं सूत्रों के मुताबिक तीन जनवरी को थाने में ही दोनो पक्षों में बैठक होगी। यह बातें निवेशकों के बीच वायरल हो रही है। उधर एफआईआर दर्ज होने के बाद अभी तक टाइमसिटी के मालिक एवं अन्य साथी डायरेक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यहा भी पता चला कि टाइमसिटी मालिक पंकज पाठक किसी घटना में घायल होने कारण अस्पताल में भर्ती हैं। पंकज पाठक के घायल होने पर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। गौरतलब हो कि टाइमसिटी पर निवेशकों का करोड़ों रुपए जमा कर फरार होने के आरोप हैं। एक एफआईआर दर्ज होने के बाद अब कई निवेशक थानों पर एफआईआर दर्ज कराने पहुंच रहे हैं। कुछ निवेशकों ने अपने जिलों के पुलिस अधीक्षकों से भी गुहार लगाई है। निवेशकों का कहना है कि एफआईआर ही पैसा वापसी का एक मात्र माध्यम बचा है।

टाइम सिटी के कर्ताधर्ता पंकज पाठक एवं अन्य आरोपियों की गिरफतारी के सवाल पर एसएचओ गुडम्बा ने बताया कि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पंकज पाठक के सोसल मीडिया एकाउंट से पता चला की वह भाजपा का नेता है , मुख्यमंत्री सहित भाजपा के अनेक बड़े नेताओ से उसका संपर्क है। इस संबंध में बताया जाता है कि उक्त कंपनी में भाजपा के एक पूर्व विधायक का बड़ा हाथ है , जिस विधायक को लेकर बस्ती , सिद्धार्थनगर आदि जिलों में बेहद चर्चा है , बताया जाता है कि पंकज पाठक के काले साम्राज्य का कर्ताधर्ता यही विधायक है । आपके पास इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की जानकारी हो तो व्हाटसअप नं. 9454606598 पर भेजें।

हाशिए पर खड़े इस समाज की आवाज बनकर उनका साथ देने का न्यूज़ अटैक एक प्रयास है. उम्मीद है आप सभी का सहयोग मिलेगा.
न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack
आपके पास शोषित समाज के उत्पीड़न अथवा किसी विभाग में भ्रस्ट्राचार की जानकारी हो तो व्हाटसअप नं. 9454606598 पर भेजें।
न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack
Share This.

Related posts

Leave a Comment