इटावा में बंटी नजर आ रही है सपा
इटावा में इस बार चुनावी बयार कुछ अलग ही है. यहां समाजवादी पार्टी दो धड़े में बंटी नजर आ रही है. गौर करने वाली बात यह है कि समाजवादी पार्टी में सत्ता परिवर्तन के बाद जितने भी कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ी उन्होंने किसी अन्य दल को ज्वाइन नहीं किया. वे सभी मुलायम और शिवपाल के साथ खड़े हैं. उनका कहना है कि वे नेताजी के दर्द और बेबसी से आहत हैं. इनका कहना है कि समाजवादी विचारधारा उनकी खून में हैं और वे नए पार्टी नेतृत्व के इस बात से सहमत नहीं है कि पुराने नेताओं को दरकिनार कर दिया जाए. उनका यहां तक कहना है कि वे मरते दम तक मुलायमवादी रहेंगे.
दूसरी तरफ राजनैतिक विशेषज्ञों का भी कहना है कि इटावा और उससे सटे जिलों में मुलायम और शिवपाल की पकड़ अच्छी है. पिछले चुनावों में सपा ने इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, एटा एवं अन्य जिलों की 69 में से 55 सीटें जीतीं थीं. लेकिन इस बार अखिलेश के लिए उनका अपना ही घर चुनौती बना हुआ है. इस बार यहां मुलायम को साइडलाइन करने का मुद्दा अहम हो सकता है. यही नहीं मुलायम द्वारा सपा-कांग्रेस गठबंधन का विरोध करना भी खासा असर डालेगा.
(साभार अमित तिवारी न्यूज 18 इंडिया की रिपोर्ट )