लखनऊ |एकला चलो के अंदाज में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तीन नवंबर से विकास से विजय की ओर समाजवादी विकास रथयात्रा का एलान कर दिया है। इसके जरिये मुख्यमंत्री ने पांच नवंबर को समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह में हिस्सा नहीं लेने का संदेश भी दिया है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 24 अक्टूबर को सरकार के मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक बुलायी है। प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के ठीक दो दिन बाद आहूत बैठक को कुनबे में गहराती गृह यूद्ध से जोड़कर देखा जा रहा है।सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह को भेजे पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा कि वह तीन अक्टूबर से समाजवादी विकास रथयात्रा निकालना चाहते थे लेकिन किन्ही कारणों से प्रारंभ नहीं कर सके। अब तीन नवंबर से विकास से विजय की ओर समाजवादी विकास रथयात्रा शुरू करेंगे। अखिलेश ने रथयात्रा का ऐसे समय में एलान किया है जब समाजवादी परिवार में सत्ता का घमासान चरम पर है। युवा ब्रिगेड ने पांच नवंबर को पार्टी के रजत जयंती समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा पहले ही कर दी है। ऐसे में अखिलेश ने विकास रथ यात्रा की घोषणा कर युवा ब्रिगेड के पक्ष में खड़े रहने का संदेश दिया है। इस पत्र के सार्वजनिक होने से पहले अपने सरकारी आवास पर एक कार्यक्रम में यह पूछे जाने पर कि क्या आप पार्टी के रजत जयंती समारोह में हिस्सा लेंगे? अखिलेश ने कहा कि आज कुछ नहीं बोलेंगे।
सनद रहे कि 12 सितंबर को समाजवादी परिवार का गृह यूद्ध सड़क पर आने केबाद से समाजवादी पार्टी की युवा ब्रिगेड अखिलेश यादव के समर्थन में खुलकर खड़ी है। विधायकों का एक ग्रुप उनके समर्थन में है। मुख्यमंत्री खुद यह कह चुके हैं कि युवा ब्रिगेड के सदस्यों ने उनके पक्ष में नारेबाजी की थी, किसी नेता के विरोध में नारे नहीं लगाये थे। युवा कार्यकर्ताओं पर की गई कार्रवाई वापस होनी चाहिए। बहरहाल, अखिलेश की विकास यात्रा की घोषणा एकला चलो अभियान के रूप में देखी जा रही है।
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समाजवादी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि परिवार के संग्राम को थामने के अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं, उनमें अखिलेश यादव ने दो टूक कहा है कि विधानसभा चुनाव में इम्तिहान उनका है। इसलिए टिकट बांटने का अधिकार उनका हो और युवा ब्रिगेड की वापसी की जाए। सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को मुलायम, शिवपाल, अखिलेश व कुछ अन्य नेताओं के बीच विक्रमादित्य मार्ग पर बैठक हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री इसी स्टैंड पर कायम थे। पार्टी के उपाध्यक्ष किरनमय नंदा ने अखिलेश का पक्ष लेते हुए कहा था कि टिकट वितरण का अधिकार उन्हें मिलना चाहिए।