लखनऊ. चुनाव आयोग के 4 जनवरी को पांच राज्यों के चुनाव की तारीखों का ऐलान करने के बाद से ही सभी राजनैतिक दलों ने सियाशी दाव पेच प्रारंभ कर अपनी –अपनी जीत के दावे कर रहे है.
जिन पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव होने हैं उनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के चुनाव की चर्चा है.उत्तर प्रदेश की राजनीति से ही केंद्र की राजनीति तय होती है,यही नहीं यूपी के चुनाव को आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए सेमीफाइनल मान कर राजनैतिक दलों द्वारा जीत का चक्रब्यूह रचा जा रहा है.
उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक राजनीतिक रसूख वाला राज्य है,यहाँ की माटी में पले बढे तमाम नेताओ ने देश की गद्दी का प्रतिनिधित्व किया है,इसीलिए सूबे में अगली सरकार किसकी बनेगी इसे लेकर राजनीतिक पंडितों के बीच माथापच्ची जारी है. 2014 के लोक सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने जिस अप्रत्याशित तरीके से भाजपा गठबंधन को वोट दिया उसके बाद से ही राज्य के आगामी विधान सभा चुनाव के त्रिकोणीय होने के आसार जताए जाने लगे थे किन्तु मोदी सरकार के नोट बंदी की अचानक घोषणा के बाद मिल रही प्रतिक्रिया से भाजपाई फुले नहीं समा रहे है उन्हें लगता है की लोकसभा की तरह इस बार के चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व सफलता मिलने जा रही है,इस दिवास्वपन सफलता के लिए भाजपा ने ताना बाना ६ माह पूर्व बिभिन राजनैतिक दलों में सेंध लगाकर बुनना शुरु कर दिया था,जिसका नतीजा रहा की आज भाजपा में अपराधियों से लेकर दलबदलुवो तक की आमद बढ़ गई है ,जिनके सहारे भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की बात कर रही है .
उत्तर प्रदेश की सत्तासीन समाजवादी पार्टी पारिवारिक और पार्टी की अंदरूनी जंग से परेशान है ,समाजवादी पार्टी के मतदाता उहापोह की स्थिति में होने के कारण सपा का बेस वोट बैंक भी चटकने को बेचैन है. दलित राजनीति के सहारे सत्ता हासिल कर शासन कर चुकी बहुजन समाज पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनावी रणक्षेत्र में उतरने की योजना को मूर्त रूप दे रही है बहुजन समाज पार्टी ने ही फुल फ़ाइनल प्रत्याशियों की सूची जारी कर बसपा सुप्रीमो मायवाती मीडिया के सहारे केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है .
विगत चुनावो में अधिक मत प्रतिशत पाकर बसपा अब भी सभी दलों से आगे है,जिसकी रणनीति जी भनक बिरोधी दलों को भी नहीं लगती .
बसपा को 2002 से 2014 के बीच हुए 3 विधानसभा और 3 लोकसभा चुनावों में कुल मिलाकर 151.04 प्रतिशत वोट मिले तो समाजवादी पार्टी को 149.97 प्रतिशत वोट और भाजपा को कुल 134.35 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था, चौथे नंबर पर रही कांग्रेस ने इन 6 चुनावों में सिर्फ 60.44 प्रतिशत वोट हासिल किया है.इन मत प्रतिशत के हिसाब से आज बसपा इन सभी दलों पर भारी दिख रही है .जो सोशल फार्मूले के सहारे इस बार सत्ता की ख्वाहिस देख रही है.
क्या कहता है आकड़ा-