और बढ़ सकती है शिवपाल-अखिलेश की जंग? - न्यूज़ अटैक इंडिया
Search

और बढ़ सकती है शिवपाल-अखिलेश की जंग?

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

लखनऊ .सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और भाई शिवपाल सिंह यादव ने जिस यूवा को राजनीति की ककहरी सिखाई और समझाई आज उसी तेज तर्रार यूवा पर नियंत्रण करने का पूरा जोर लगाया जा रहा है,राजनीति की पाठशाला का वह यूवा भी जिद्दी स्वाभाव का होने के कारण जरूरत पड़ने पर नियंत्रण रेखा की सीमाए भी लांघने में गुरेज नहीं करेगा .जिसका भय भी सपा के शीर्ष नेतृत्व को सता रहा है ,क्रिया की प्रतिक्रिया देने में उस युवा का जोड़ नहीं.आज उस युवा अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच सपा में बर्चस्व की जंग चल रही है.आज सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव द्वरा जारी सपा प्रत्याशियों की लिस्ट में अखिलेश समर्थको को नजरअंदाज किया जाना पुनः नए जंग को अंजाम दे सकता है. प्रत्याशियों की सूची जारी होने में अखिलेश की मर्जी नहीं चली. प्रतिक्रिया में अखिलेश ने सुरभि शुक्ला और संदीप शुक्ला दो दर्जा प्राप्त मंत्रियों को फिर हटा दिया है और मंत्रिमंडल की बैठक बुला ली है.



सनद रहे अक्टूबर में भी पार्टी में चल रही अंदरूनी कलह उभर कर सड़क पर आ गई थी. अखिलेश यादव ने अपने वफादार नेताओं की बैठक में मंत्री और सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव समेत चार मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था. इस झगड़े में पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.उस समय अखिलेश यादव ने कहा था कि अमर सिंह के करीबी पार्टी का माहौल खराब कर रहे हैं. उसी समय अखिलेश ने अमर सिंह की करीबी जया प्रदा को फिल्म विकास परिषद से हटा दिया था.हालांकि, सार्वजनिक तू-तू मैं-मैं के बाद मुलायम के दबाव में अखिलेश ने कुछ फैसलों को वापस लिया था.

325विधानसभा सीटों पर सपा प्रत्याशियों के नामो की घोषणा
मुलायम सिंह यादव ने सत्ता के सिंहासन पर बेटे अखिलेश को बैठा कर शिवपाळ को पूरी तरह संगठन की कमान सौंपने के इच्छुक दिखते हैं किन्तु अखिलेश सत्ता के साथ –साथ पार्टी पर भी अपना एकाधिकार चाहते है वही शिवपाल सत्ता न मिलता देख संघटन पर एकाधिकार बनाये रखना चाहते है .



वैसे तो अखिलेश यादव के सत्ता की बागडोर हाथ में लेते ही राजनीति से लेकर आम जन तक इस बात की मजबूत चर्चा रही की उत्तर प्रदेश को पहलीबार साढ़े चार मुख्यमंत्री मिला हैं. एक मुलायम सिंह, तीन चाचागण और आधा अखिलेश यादव ,इस चर्चा की भनक मुख्यमंत्री अखिलेश को भी लगी जिसके बाद से ही अखिलेश अपने कार्यकाल के अंत तक अपनी कठपुतली छवि तोड़ना चाहते थे.इस बीच अखिलेश ने यूवाओ में अपनी लोकप्रियता बनाते हुए पैठ बना ली.
अखिलेश सपा पर लगे आपराधिक पार्टी के दागदार दामन को धुल कर अपनी छबि पाक –साफ़ करने के प्रयाश में लगे रहे.पार्टी से कुछ आपराधिक नेतावो को बहार का रास्ता दिखा कर अखिलेश ने यही सन्देश देने का प्रयाश तो किया परन्तु चाचा शिवपाल के कारण सफल नहीं हुए.जिसके कारण पिछले कई महीने से मुलायम, शिवपाल और अखिलेश में जिस तरह से रार मची है, उससे बार बार यह अंदेशा जताया जाता है कि पार्टी टूट की तरफ बढ़ रही है.

क्या भाजपा कर रही है योगी आदित्यनाथ के पर कतरने की तैयारी?
अखिलेश ने मुख्तार अंसारी जैसे तमाम अपराधी छवि के नेताओं से दूरी बनाने के लिए भरपूर जोर लगाया और नाकाम रहे. मुलायम सिंह और शिवपाल में इस बात पर सहमति है कि बाहुबलियों, जातीय समीकरणों आदि के बगैर यूपी का चुनाव जीतना संभव नहीं है.
एक बार पार्टी में जिस तरह की जूतमपैजार हुई थी, उसके बाद उम्मीद थी कि अब आगे सभी नेता और कार्यकर्ता एकजुट होकर चुनाव की तैयारी करेंगे. लेकिन पार्टी में दोबारा जूतम –पैजार की सम्भावना दिख रही है. मुलायम परिवार की यह जंग मतदाताओं के बीच पार्टी की साख कमजोर करेगा.

शिवपाल गुट का पीसीएफ पर पुनः कब्ज़ा, आदित्य यादव सभापति निर्वाचित

Share This.

Related posts