गन्ना उत्पादन करने वाले ​पश्चिमी यूपी का क्या है राजनीतिक मिजाज - न्यूज़ अटैक इंडिया
Search

गन्ना उत्पादन करने वाले ​पश्चिमी यूपी का क्या है राजनीतिक मिजाज

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का इलाका गन्ने की मिठास के साथ-साथ राजनीतिक कड़वाहट के लिए भी जाना जाता है. देश में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन इसी इलाके में होता है. इसके बावजूद यहां धर्म कारोबार से ऊपर है.

इस इलाके में जाट और मुसलमानों की आबादी ज्यादा है, जो किसी भी चुनाव के नतीजों को मोड़ने की कूव्वत रखते हैं.

बेहद अहम है पश्चिमी उत्तर प्रदेश

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का इलाका मेरठ, मुज्जफरनगर, कैराना, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा से लेकर अलीगढ़ तक फैला हुआ है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिहाज से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का इलाका काफी अहम है.

राज्य में कुल 403 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इनमें से 77 सीटें अकेले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं. यहां की आबादी में 17 फीसदी जाट हैं जो तकरीबन 50 सीटों का फैसला कर सकते हैं.

जाटों का समर्थन लंबे समय से राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजित सिंह को मिलता आ रहा है. पिछली बार 2016 के लोकसभा चुनावों से पहले मार्च 2014 में मुज्जफरनगर में दंगे भड़के थे, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ.

चुनावी रणनीति में ध्रुवीकरण का अहम रोल 

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

पश्चिमी उत्तरप्रदेश की चुनावी रणनीति में ध्रुवीकरण का काफी अहम रोल है. धर्म के नाम पर बीजेपी हिंदुओं को लुभाने की कोशिश करती है तो मुसलमानों का वोट अभी तक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में बंट जाता था.

इस बार कांग्रेस और समाजवादी एकसाथ हैं और जनता को भरोसा दिला रहे हैं कि यूपी को ये साथ पसंद है. लेकिन जनता की अपनी नाराजगी है.

इस इलाके में चीनी मिलों और मजदूरों की बड़ी तादाद है. मजदूरों की रोजी रोटी का एकमात्र जरिया है, लेकिन अभी मजदूरों की स्थिति ठीक नहीं हुई है. हालांकि, इलाके के बड़े खेतिहरों के पास पैसा है.

पिछली बार बीजेपी ने मुज्जफरनगर के दंगों के बाद हिंदुओं को अपने पाले में करने में कामयाब रही थी. लेकिन इस बार सरकार के नोटबंदी के फैसले से सारा खेल बिगाड़ दिया है.

नोटबंदी की मार कितनी असरदार

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attackखेत से गन्ना काटने के बाद जहां किसान पैदावार बेचकर कमाई करने की तैयारी में थे, वहीं नोटबंदी के फैसले ने उन्हें रुपए-रुपए को मोहताज कर दिया है.

हालांकि, इलाके के मिजाज को भांपने से लगता है कि किसानों ने नोटबंदी का दर्द भूला दिया है और एकबार फिर उन पर धर्म हावी है.

इस इलाके में इस बार चौतरफा संघर्ष देखने को मिलेगा. जाटों का समर्थन आमतौर पर अजित सिंह के साथ रहता है. पिछली बार लोकसभा चुनावों में बीजेपी इन्हें अपने पाले में करने में कामयाब हो गई थी, लेकिन इस बार ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.

दूसरी तरफ अजित सिंह को जाटों का समर्थन तो हासिल है लेकिन इनकी सरकार बन जाए, ऐसी सूरत नजर नहीं आती है. तीसरी पार्टी के तौर पर कांग्रेस और समाजवादी का गठबंधन है, लेकिन इनके सत्ता विराधी हवा से जूझना पड़ेगा.

मायावती को पश्चिमी यूपी में मुसलमानों का वोट मिलता रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के एक साथ आने से समीकरण कुछ बदल सकते हैं.

फिर ध्रुवीकरण की कोशिश क्या कामयाब होगी ?

बीजेपी इस बार भी ध्रुवीकरण की राजनीति करने की कोशिश कर रही है. बीजेपी के विवादित विधायक सुरेश राणा ने पिछले हफ्ते शामली की एक रैली में ऐलान किया कि अगर उन्हें दोबारा चुना जाता है तो वे कैराना, देवबंद, मुरादाबाद और रामपुर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में कर्फ्यू लगा देंगे. उन्होंने कहा कि वह 11 मार्च को ही ऐसा कर देंगे. 11 मार्च को ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं.

बड़ी तादाद में गन्ने की पैदावार होने के बावजूद इलाके के लोगों पर कारोबार से ज्यादा धर्म हावी है.यहां गन्ने की पेमेंट में देरी से लेकर किसानों की मजदूरी तक की तमाम समस्याएं हैं लेकिन इनका हल सिर्फ धर्म में खोजा जा रहा है.





(खबर कैसी लगी बताएं जरूर. आप हमें फेसबुक,ट्विटर  और जी प्लस  पर फॉलो भी कर सकते हैं.)
साभार-प्रतिमा शर्मा फर्स्ट पोस्ट 
loading…


Share This.

Related posts