नई दिल्ली. कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन ने कहा है कि ऊंची जाति के जज कानून अपने हाथ में ले रहे हैं. इसी के साथ अपनी ज्यूडिशियल पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. आपको बता दें कि जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल ही में नोटिस दिया गया है. इसी पर उन्होंने कोर्ट के रजिस्ट्रार को लेटर लिखा है, जिसमें यह बात कही गई है. यह पहला केस था जब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के मौजूदा जज को अवमानना का नोटिस भेजा था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस कर्णन ने चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली 7 जजों की बेंच पर सवाल उठाया है. जस्टिस कर्णन ने अपने लेटर में लिखा, “मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस के रिटायरमेंट के बाद होनी चाहिए।” इसके साथ “अगर बहुत जल्दी हो तो मामले को संसद को रेफर किया जाना चाहिए.वहीं “इस दौरान मेरे ज्यूडिशियल और एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क मुझे वापस दिए जाने चाहिए.
आपको बता दें कि जस्टिस कर्णन ने आगे लिखा, “मुझसे कोई स्पष्टीकरण लिया जाए इससे पहले बताना चाहता हूं कोर्ट को हाईकोर्ट के सिटिंग जज को सजा देने का हक नहीं है.” वहीं “ऑर्डर में इसका कोई लॉजिक साफ नहीं है. ऐसे में यह सुनवाई लायक नहीं है. इसके साथ ही “यह ऑर्डर साफतौर पर बताता है कि ऊंची जाति के जज कानून अपने हाथ में ले रहे हैं और अपनी ज्यूडिशियल पावर का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. आगे कहा कि “यह एक एससी/एसटी (दलित) जज से छुटकारा पाने के लिए किया जा रहा है.
बता दें कि जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी को पीएम को लेटर लिखकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों और मद्रास हाईकोर्ट के मौजूदा जजों पर करप्शन के आरोप लगाए थे। इसमें कहा गया था कि नोटबंदी से करप्शन कम हुआ है, लेकिन ज्यूडिशियरी में मनमर्जी और बेखौफ करप्शन हो रहा है। उन्होंने लेटर में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के मौजूदा और रिटायर्ड 20 जजों के नाम भी लिखे थे। मामले की किसी एजेंसी से जांच की मांग भी की थी.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी को जस्टिस कर्णन को नोटिस जारी पूछा था कि क्यों न इसे कोर्ट की अवमानना माना जाए। बता दें कि कोर्ट ने उन्हें मामले की सुनवाई होने तक सभी ज्यूडिशियल और एडमिनिस्ट्रिव फाइलें कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को लौटाने को कहा था. मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को 13 फरवरी को कोर्ट में पेश हाने को कहा है.