मुंबई | उड़ी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को भी असहज कर दिया है। उनका कहना है कि यदि पाकिस्तान पड़ोसी धर्म ठीक से निभाने के बजाय दुश्मनी पर उतरता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। अन्ना का कहना है कि ऐसी स्थिति में यदि जरूरत पड़ी तो 79 वर्ष की उम्र होने के बावजूद वह स्वयं एक बार फिर सीमा पर जाकर लड़ना पसंद करेंगे।
अन्ना हजारे युवावस्था में सेना में काम कर चुके हैं। पाकिस्तान के साथ 1965 में हुए युद्ध में वह खेमकरण सीमा पर ड्राइवर के रूप में तैनात थे। पाकिस्तानी हमले में उनके साथ के सभी लोग मारे गए। लेकिन उनके माथे पर गोली का एक छर्रा भर लगा और वह बच गए। तभी से उन्होंने तय कर लिया कि भाग्य से मिला यह “पुनर्जन्म” अब देश की सेवा में लगा देना है।
शनिवार को मुंबई में समाचार चैनल एबीपी न्यूज के कार्यक्रम में भाग लेने आए अन्ना ने अपने माथे की ओर इशारा करते हुए कहा कि पाकिस्तान का दिया यह दाग मैं आज भी माथे पर लिए घूम रहा हूं। वैसे अन्ना गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांतों में गहरी आस्था रखते हैं।
वह यह भी मानते हैं कि युद्ध से दोनों तरफ जन-धन की भारी हानि होती है, इसलिए युद्ध से बचना चाहिए। लेकिन उनका मानना है कि पाकिस्तान इस समय पड़ोसी धर्म ठीक से नहीं निभा रहा है। हमारे जवान रोज मारे जा रहे हैं। इसलिए वह सीमा पर जाकर लड़ना अपना धर्म समझते हैं। उनके ऐसा करने से देश के नौजवानों को प्रेरणा मिलेगी और वे भी देश के लिए बलिदान होना पसंद करेंगे।
करीब तीन साल पहले देश में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में 288 घंटे अनशन कर चुके अन्ना हजारे पर एक फिल्म भी बन रही है। स्वयं 40 साल से कोई फिल्म न देखनेवाले अन्ना का मानना है कि यह फिल्म देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकती है।
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रामलीला मैदान आंदोलन में अन्ना के साथी रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में पूछने पर अन्ना का चेहरा उतर जाता है। वह कहते हैं कि जब अरविंद राजनीतिक दल बनाने की बात कर रहे थे, तब मैंने उनसे पूछा था कि इसमें साथ आनेवाले लोगों के पाक-साफ होने की जांच कैसे की जाएगी? इसका जवाब तब अरविंद के पास नहीं था। आज जब उनके मंत्रिमंडल में छह में से तीन मंत्री विभिन्न आरोपों से घिरे दिखते हैं, तो लगता है कि मैं उस समय सही सोच रहा था।