लखनऊ .राजनीति कब किस करवट बैठ जाय कहा नहीं जा सकता ,राजनीति के अखाड़े में सामने वाले की छाती पर चढ़ कर साम दाम दंड भेद की प्रक्रिया का पालन कर अपने को आगे प्रतिस्थापित करने में ही भलाई है. इतिहास गवाह है इस तरह की राजनैतिक भूचाल कई बार देखा गया है. खुद सपा सुप्रिमो मुलायम सिंह यादव ने भी इसी प्रक्रिया को अपना कर अपना राजनैतिक मुकाम बनाया था .वर्ष 1969 दिल्ली में 24 अकबर रोड की घटना 19 विक्रमादित्य. मार्ग लखनऊ में भी दोहराने की प्रक्रिया का शुभारम्भ हो चूका है .सपा के सियासी हालात ऐसे ही इशारे कर रहे हैं.
अखिलेश यादव और रामगोपाल सपा से निष्कासित
समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी पर अपना एकाधिकार जमा सकते है. बिगत कई माह से सपा और परिवार में चल रही जंग में चाचा शिवपाल को अलग-थलग कर चुके अखिलेश के लिए ये अब कोई बहुत मुश्किलल काम नहीं रह गया है. टिकटों के बहाने अखिलेश शिवपाल के कई करीबियों को भी खुद के पाले में गिरा चुके है.
सपा से २ माह पूर्व जब पार्टी और परिवार की अंदरूनी लड़ाई सड़क पर आई थी उसी समय तय हो गया था की अखिलेश की नजर पार्टी अध्यक्ष पद पर है ,आज नहीं तो कल पार्टी अखिलेश के हाथो में ही होगी .जिस तरह से वर्ष 1969 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर देश में एक राजनीतिक भूचाल खड़ा कर दिया था ठीक वैसा ही अखिलेश यादव लखनऊ में करने की फ़िराक में है जिसमें उनके चाचा पार्टी के थिंक टैंक प्रो राम गोपाल यादव का साथ मिल रहा है.
सपा में हो गई टूट,अखिलेश ने जारी किया 167 की नई लिस्ट
आज दिखावे के तौर पर सपा सुप्रीमो ने अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी से बाहर का रास्ता तो दिखा दिया है किन्तु यह भी जगजाहिर हो गया है कि अंदरखाने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का व दिग्गज समाजवादियो समर्थन अखिलेश के पक्ष में है.प्रो रामगोपाल यादव सहित घर के दो बुजुर्ग और चचेरे भाइयों और भतीजों की फौज भी अखिलेश के साथ बताई जा रही है. इतिहास गवाह है की उगते सूरज को सब सलाम करते है.फिरहाल समाजवादी पार्टी में मची घमासान किस ज्वाला के रूप में फटती है वो वक्त बताएगा.