लखनऊ। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले जमीनी नेता, साफ छवि के कुशल वक्ता तथा मंच संचालक, प्रदेश के संगठन पर मजबूत पकड़, यही सब काबिलियत पर्दे के पीछे रहने वाले एक संगठनकर्ता को मजबूत नेता बनाती हैं। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली की सफलता का दायित्व हो, प्रदेश में भाजपा के सदस्यता अभियान को गति देनी हो या युवाओं को पार्टी से जोड़ने की कवायद इन सबके पीछे बस एक ही नाम है स्वतंत्रदेव सिंह.
संगठन पर पकड़ से खामोशी से दिग्गजों में शामिल हो गए हैं स्वतंत्रदेव –
उत्तर प्रदेश में भाजपा की हर रैली, धरना-प्रदर्शन एवं चुनावी रणनीति के प्रमुख कर्ता-धर्ता होने के कारण उनका समर्पण उन्हें पर्दे के पीछे से लाकर लोगों के सामने मुखर कर रहा है। अमूमन कैमरों की चकाचौंध और दिखावे से दूर रहने वाले स्वतंत्रदेव सिंह कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत पकड़ वाले संगठनकर्ता माने जाते हैं। अपनी इसी संगठन क्षमता की बजह से लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तकरीबन सभी रैलियों के प्रभारी के रूप में आपने एक अलग पहचान बनाई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सफल रैलियों के नायक बनकर उभरे-
लोकसभा चुनाव के पहले और वर्तमान विधानसभा चुनाव के समय पीएम की रैली को सफल कराने के लिए स्वतंत्रदेव सिंह एक सप्ताह पहले से ही रैली वाले जिले में डेरा डाल देते हैं, छोटे कार्यकर्ताओं में उत्साह और ऊर्जा का संचार करते हुए रैली को किसी भी तरह सफल कराके ही अगले मिशन के लिए निकलते हैं।
बूथ से मंडल स्तर तक है मजबूत पकड़–
एक बार मैं उनके लखनऊ आवास पर था। कार्यकर्ताओं से मिलने के क्रम में पार्टी का एक कार्यकर्ता उनसे टिकट की आस में मिलने आया वो महराजगंज की किसी सीट से दावेदारी के लिए उनके पास आया था। टिकट की बात करने पर स्वतंत्रदेव बोले अच्छा बताओ तुम्हारी विधानसभा में कितने मंडल हैं और मंडल अध्यक्ष कौन-कौन है? पहले तो उक्त टिकटार्थी ने इनको घुमाने की कोशिश की लेकिन फिर उसे समझ में आ गया कि ऐसे जमीनी नेता को घुमाना आसान नहीं क्योंकि वो ज्यादातर मंडल अध्यक्षों के नाम खुद जानते थे। ये एक उदाहरण भर था ऐसे दर्जनों बाकये मुझे याद हैं जब उन्होंने अपने सवालों से बड़ी-बड़ी गाड़ियों से आने वाले युवा नेताओं को निरुत्तर कर दिया था।
गांव-किसान के विकास का सपना है मन में–
स्वतंत्रदेव सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के गांव,गरीब,किसान विद्यार्थियों का विकास कर एक विकसित प्रदेश बनाने का सपना उनके मन में हैं, जिसे पूरा करने के लिए ही वो राजनीतिक सफर तय कर रहे हैं।
स्वतंत्रदेव की बैठक में तैयारी से आते हैं नेता-
बीजेपी आगरा के महामंत्री दिलीप वर्मा बताते हैं कि जब स्वतंत्र देव सिंह जिले में बैठक के लिए आते हैं तो अच्छे-अच्छे नेता पूरी तैयारी के साथ पहुंचते हैं। तकरीबन हर छोटे-बड़े पदाधिकारी को नाम से जानने वाले स्वतंत्र देव सिंह की संगठन के प्रति सोच और क्षमता उनको अन्य नेताओं से बहुत बड़ा बनाती है।
अध्ययन के समय से ही संघ से जुड़े हैं-
पढने के दौरान से संघ से जुड़े स्वतंत्र देव की रुचि हमेशा संगठन के प्रति ही रही। यही बजह के है कि प्रदेश में लगातार महामंत्री और उपाध्यक्ष रहने के बाद भी आपने सिर्फ एक बार विधानसभा का चुनाव लड़ा। कारण पूंछने पर कहते हैं कि नेता का मतलब नेतृत्व से होता है विधायक,सांसद बन जाना एक बात है नेता बनना अलग बात।
सामान्य कार्यकर्ता की तरह रहने वाले असमान्य संगठनकर्ता हैं स्वतंत्रदेव-
13 फरवरी 1964 को मिर्जापुर के एक ग्रामीण परिवार में रामा देवी एवं अल्लर सिंह के घर में जन्म लिया था। लेकिन कर्मभूमि जालौन और लखनऊ ही रही। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार के स्वतंत्रदेव अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं जो आर.एस.एस.से जुड़कर वर्तमान में बीजेपी जैसी राजनीतिक पार्टी के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
राजनैतिक सफर-
- 1986- आरएसएस से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में संघ का प्रचारक का कार्य करना प्रारम्भ कर दिया.
- 1988-89-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) में संगठन मन्त्री के रूप में कार्य भार ग्रहण किया.
- 1991- भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी थे.
- 1994- बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी के रूप में विशुद्ध राजनीतिज्ञ के रूप में राजनीति में पदापर्ण किया.
- 1996-युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया.
- 1998-दोबारा भाजपा युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया.
- 2001-भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने.
- 2004-विधान परिषद के सदस्य चुने गये व प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये.
- 2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामन्त्री.
- 2010-प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए.
- 2012- फिर महामंत्री बने ,जो जिम्मेदारी के साथ निर्वहन कर रहे है .
-नीरज भाई पटेल
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