बलरामपुर ।प्यासे को पानी पिलाना भले ही सभी धर्मो मे पुण्य का कार्य माना जाता हो लेकिन भारत नेपाल सीमा पर बसे थारु बाहुल्य गाँवो मे पानी पर सियासत तेज हो गई है।पूर्व सपा सरकार द्वारा इन गाँवो को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य हैण्ड पम्प लगवाने का कार्य शुरू किया गया था लेकिन नेताओ के खीचातानी के चलते थारू जनजाति के लोगो मे गले मे पानी की तरावट की जगह प्यास की चिंता सताने लगी है।सरकार द्वारा कराये जा रहे कार्य में रोड़े अटकाए जाने से नाराज़ ग्रामीणों ने नेताओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया।
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ग्राम प्रधान राम भरोसे थारु ने बताया की भारत नेपाल सीमा पर बसे अंतिम भारतीय थारु जनजाति बहुल गांव जारवा,टेढवा,मोहकम में पिछली सपा सरकार पेय जल हेतु हैंडपंप लगाने की स्वीकृति दी थी जिसमे दो हैंडपंप अलग अलग स्थानों पर लगाये जा चुके है।जरवा स्थित गांव में तीसरा हैंडपंप की बोरिंग का काम शुरू हुआ था ,लेकिन सत्ता पक्ष नेताओ के दबाव में बोरिंग का काम रुकवा दिया गया जिससे न सिर्फ गाँवो में रहने वाली करीब एक हज़ार की आबादी पानी से महरूम है ,बल्कि बोरिंग का काम रोके जाने से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश दिखाई दे रहा है ।
बताते चले कि भारत नेपाल सीमा पर बसे इन गाँवो मे शुरू से पानी की समस्या रही है लेकिन सूरज की तपिश बढने के साथ ही इन थारू बाहुल्य गावो मे पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है।पेय जल की समस्या से जूझ रहे इन गाँवो के महिलाओ बुजुर्गो को पानी के लिए आज भी कोसो दूर जाना पड़ता है।ग्रामीण का आरोप है की सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाओ में हैंडपंप निर्माण कार्य को रोके जाने का एक सुनियोजित प्रयास है। ग्रामीण ने चेतावनी देते हुए कहा है की अगर हैंडपंप को यहाँ से हटाने का प्रयास किया गया तो हज़ारो ग्रामीण सड़को पर उतर कर आंदोलन शुरू कर देंगे।
रिपोर्ट-फरीद आरज़ू/सलीम सिद्दीक़ी
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