लखनऊ.विधान सभा चुनाब की आचार संघिता लागू होने के साथ ही राजनैतिक दलों की सरगर्मिया उफान ले रही है .बैठको से लेकर प्रत्याशियों के चयन तक घोर मंथन चल रहा और सभी दल अपने अपने जीत के ताने बाने बुन रहे है .राज्य की बहुजन समाज पार्टी ने बिगत कई माह पूर्व लगभग प्रत्याशियों का चयन कर बतौर प्रभारी क्षेत्र में काम करने का निर्देश दे दिया था किन्तु बसपा प्रमुख मायावती ने बिगत 4 माह पूर्व स्थानीय जिला व विधान सभा कमेटी की संस्तुति पर प्रत्याशियों/विधान सभा प्रभारी का परिवर्तन कर 2 माह पूर्व नए प्रत्याशी/विधान सभा प्रभारी चुनावी समर में उतार दिया जिनकी कुछ दिन पहले बसपा प्रमुख ने लिस्ट जारी कर अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा कर कर दी .
बसपा प्रमुख द्वरा अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा के छठे दिन बाराबंकी बहुजन समाज पार्टी के कुछ सेक्टर अध्यक्षों ने कुर्सी विधान सभा से घोषित प्रत्याशी वी पी सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक पत्र मीडिया के हवाले किया जो पत्र बसपा प्रमुख मायावती को संबोधित था .
पत्र में सेक्टर अध्यक्षों ने जो आरोप लगाया वो वी पी सिंह वर्मा के नौकरशाही के दौरान का है.पत्र में आरोप है कि घोषित प्रत्याशी बी .पी .सिंह वर्मा दलित विरोधी मानसिकता के है और उनके सम्बंध दूसरे दलों के नेताओं से रहे हैं. बी.पी. सिंह को पूर्व केन्द्रीय मन्त्री बेनी प्रसाद वर्मा का करीबी बताते हुए कहा कि बेनी की कृपा से ही वह बाराबंकी में काफी समय तक मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनात रहे और मायावती के खिलाफ हुए सबसे चर्चित गेस्टहाउस काण्ड में भी विरोधियों की ओर से मुख्य भूमिका में रहे थे .इस चर्चित काण्ड के दौरान बी.पी .सिंह वर्मा ने ही लखनऊ में बतौर सिटी मजिस्ट्रेट गेस्ट हाउस की बिजली काटी. थी.बसपा कार्यकर्ताओं ने पूर्व मंत्री लालजी वर्मा पर निशाना साधते हुए कहा कि लालजी वर्मा ने मायावती को अंधेरे में रखकर बी .पी. सिंह की सच्चाई छुपाते हुए उन्हें टिकट दिलवाने का काम किया.
हमारे संबाददाता ने इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद कुर्सी विधानसभा के तमाम बसपा पदाधिकारियों से बात किया,तो सबने अनभिज्ञता जाहिर कर दी और पार्टी में वी पी सिंह वर्मा के विरोध को सिरे से नकार दिया,अब सवाल उठना लाजमी है कि बाकी के पदाधिकारी वी पी सिंह वर्मा को दलित विरोधी क्यों नहीं मान रहे है.वीपी सिंह वर्मा के पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के संबंधो पर बसपा नेतावो ने कहा कि जो आदमी नौकरी में होगा उसे सम्बन्ध तो बनाकर रखना पड़ता है पत्रकार साहब.एक बसपा नेता ने तो यहाँ तक कहा की जब वी पी सिंह बाराबंकी में मुख्य विकास अधिकारी थे तो साहब काम करवाना बहुत आसान था उनके ऑफिस में हमेशा भीड़ जमा रहती थी जो उन पर दलित बिरोधी होने का आरोप लगा रहे है वो गलत आरोप बोल रहे है.
बाराबंकी के एक बसपा नेता ने नाम न प्रकाशित करने के अनुरोध पर यहाँ तक कहा की अभी कुछ दिन पहले बाराबंकी में भाईचारा सम्मलेन हुआ था जिस सम्मलेन में जिले भर के बसपा नेता शामिल हुए थे उस सम्मेलन में मुख्य जोनल कोआर्डिनेटर डॉ राम कुमार कुरील ,राम कारन बाबु ,विश्वनाथ पाल ,विजय कुमार समेत तमाम बसपा पदाधिकारी आए थे किन्तु वहा वी पी सिंह वर्मा का विरोध नहीं हुआ,मीडिया में आरोप पत्र की जानकारी के बाद हम खुद नहीं समझ पा रहे है कि विगत २ माह से वी पी सिंह वर्मा बतौर विधान सभा कुर्सी के प्रभारी बनकर क्षेत्र में स्थानीय बसपा नेतावो के साथ जनसंपर्क कर रहे है, तो आज से पहले विरोध क्यों नहीं हुआ.साहब बिरोध की आग एकाएक लगी है,चिंगारी होती तो पहले पता चल जाता.
फिर हाल सही क्या है यह तो वी पी सिंह वर्मा और शिकायतकर्ता जाने किन्तु शिकायती पत्र को गौर से देखा जाय तो शिकायती सन्दर्भ कंप्यूटर से टाइप है किन्तु शिकायतकर्ताओ का नाम किन्ही दो व्यक्तियों द्वारा लिखा जाना प्रतीत होता है,इस मामले में सन्देह होना लाजमी है की जब शिकायतकर्तावो का नाम पहले से तय था तो उन नामो को टाइप क्यों न कराके हाथ से लिख कर हस्ताक्षर करवाया गया है.शिकायती पत्र बसपा मुखिया को भेजा गया या नहीं इसकी भी पुष्टि नहीं हो पायी है.बसपा के बाराबंकी जिलाध्यक्ष सुरेश गौतम ने आरोपों को बेबुनियाद बताया .
फिरहाल इस पत्र ने बाराबंकी के बसपाई राजनीति को गर्म कर दिया है और चर्चा है की यह पत्र किसी प्रयोजन का लक्ष्य तो नहीं .
Nice khabar..B.P.S Verma ke .virodhi apni rajnaitik gotiyan bichhane ke liye bali ka bakaraa banana chah rahe hai…