बाहुबली गुड्डू पंडित पुनः विधानसभा पहुचने की फ़िराक में ! - न्यूज़ अटैक इंडिया
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बाहुबली गुड्डू पंडित पुनः विधानसभा पहुचने की फ़िराक में !

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बुलंदशहर के डिबाई विधानसभा सीट से सपा के विधायक व बर्तमान रालोद प्रत्याशी बुलंदशहर भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पण्डित का जीवन परिचय आपराधिक छवि वाला रहा है. नोएडा के एक तिराहे पर साईकिल पंचर लगाने वाले गुड्डू पण्डित एक साइकिल चोरी के मामले में जेल क्या गए उनकी किस्मत ही बदल गई. कोर्ट में अमरमणि त्रिपाठी से मुलाकात होने के बाद वे उनके ड्राइवर बने और फिर मधुमिता हत्याकांड के चश्मदीद बनकर मधुमणि की आड़ में जमकर संपत्ति इकट्ठी की. गुड्डू पण्डित पर बलात्कार का प्रयास, अपहरण, मारपीट और बलात्कार जैसे दर्जनों संगीन मामले दर्ज रहे हैं. हालांकि पीएचडी की एक छात्रा को धोखे में रखकर शादी करने और जबरन रेप के मामले में अदालत ने डिबाई से सपा विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पण्डित को बरी कर दिया था लेकिन इलाकाई लोगों का कहना है कि गुड्डू पण्डित ने अपनी दबंगई से प्रभावित पक्ष को इतना प्रताड़ित किया था कि भयवश प्रभावित परिवार पैरवी के लिए ही नहीं जा सका. बुलंदशहर की तहसील डिबाई में कार्यरत एक लेखपाल ने विधायक गुड्डू पर आरोप लगाया था कि विधायक व उनके जनसंपर्क अधिकारी ने लेखपाल के साथ मारपीट की. इतना ही नहीं उन्होंने लेखपाल को जान से मारने की धमकी दी और रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए अपनी हिस्सेदारी भी मांगी.अलीगढ़ में दिन दहाड़े भाजपा जिलाध्यक्ष को रोक कर जानलेवा हमला कराने के भी आरोप गुड्डू पर लग चुके हैं. इसके अलावा भी गुड्डू पण्डित के खिलाफ लगभग डेढ़ दर्जन आपराधिक मामले दर्ज रहे  हैं.

उत्तर-प्रदेश 2012 विधानसभा चुनाव में दिए गये हलफनामें के अनुसार

आपराधिक गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण          

  1. अश्लील हरकत और गीत (आईपीसी की धारा-294) से संबंधित 1 प्रभार
  2. स्वेच्छा से गंभीर चोट के कारण से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-325)
  3. जबरन वसूली से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-384)
  4. हत्या करने के क्रम में अपहरण से संबंधित एक प्रभार (आईपीसी की धारा-364)
  5. बलात्कार से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-376)
  6. आपराधिक धमकी से संबंधित 9 प्रभार (आईपीसी की धारा-506)
  7. शांति भंग भड़काने के इरादे से जानबूझकर अपमान से संबंधित 8 प्रभार (आईपीसी की धारा -504)
  8. जानबूझकर चोट पहुंचाने से संबंधित 4 प्रभार (आईपीसी की धारा-323)
  9. 3 धोखा से संबंधित आरोपों और संपत्ति की बेईमानी से उत्प्रेरण वितरण (आईपीसी की धारा-420)
  10. आपराधिक विश्वास हनन से संबंधित 3 प्रभार (आईपीसी की धारा-406)
  11. दंगे से संबंधित 2 प्रभार (आईपीसी की धारा-147)
  12. कब्र उकसावे पर की तुलना में अन्यथा हमला या आपराधिक बल से संबंधित 2 प्रभार (आईपीसी की धारा-352)
  13. घातक हथियार के साथ सशस्त्र दंगों से संबंधित एक आरोप है, (आईपीसी की धारा-148)
  14. आम वस्तु के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रतिबद्ध अपराध का दोषी अवैध विधानसभा के हर सदस्य से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-149)
  15. गलत तरीके से संयम से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-341)
  16. हड़पने पहने या धोखाधड़ी के इरादे के साथ लोक सेवक द्वारा इस्तेमाल के लिए टोकन ले जाने से संबंधित एक प्रभार (आईपीसी की धारा-171)
  17. बाद में शादी के लिए अनुबंधित किया गया है, जिनके साथ व्यक्ति से पूर्व शादी की आड़ साथ ही अपराध से संबंधित एक प्रभार (आईपीसी की धारा -495)
  18. गलत तरीके से बंधक से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-342)
  19. चोट, हमला या गलत तरीके से संयम के लिए तैयार करने के बाद सदन अतिचार से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-452)

वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने तत्कालीन सपा सरकार के खिलाफ एक नारा दिया था, ‘चढ़ गुण्डन की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर’. हैरत की बात है कि जिस चुनावी नारे को लेकर बसपा ने तत्कालीन सपा सरकार को विधानसभा चुनाव में जोरदार पटखनी दी थी, जब बसपा की सरकार बनी तो उसमें लगभग दो दर्जन विधायक ऐसे थे जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. इसी में एक नाम था भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पण्डित का.

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अपराध जगत से सम्बन्ध रखने वाले एक कथित अपराधी को बसपा का टिकट दिए जान  पर उस वक्त पार्टी प्रवक्ता ने स्टपष्टीकरण दिया था कि, ‘गुड्डू पण्डित को पार्टी मं इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि उन्होंने एक बार सुधरने का अवसर पार्टी प्रमुख से मांगा है. चूंकि पार्टी प्रमुख भी यही मानती हैं कि यदि कोई अपराधी अपराध जगत से नाता तोड़कर समाज की मुख्य धारा में आना चाहता है तो उसे एक अवसर जरूर मिलना चाहिए’. बसपा के पार्टी प्रवक्ता के इन दावों के विपरीत हकीकत यह थी कि गुड्डू पण्डित डिबाई विधानसभा क्षेत्र में अपनी दबंगई के चलते खासे विख्यात थे. कहा जाता है कि जब इन्होंने राजनीति में कदम भी नहीं रखा था उस वक्त भी क्षेत्र के डी.एम., एस.एस.पी. से लेकर स्थानीय विधायक और स्थानीय प्रशासन इनके आगे नतमस्तक था. कारण था स्थानीय जनता के बीच इनका एकछत्र राज, कहा जाता है कि बसपा को जिताऊ सीट नजर आते ही गुड्डू पण्डित के अवगुण दिखने बंद हो गए. आनन-फानन में गुड्डू पण्डित को पार्टी में शामिल करने का न्यौता भेज दिया गया. इधर गुड्डू पण्डित भी अपने दुश्मनों की बढ़ती संख्या के चलते किसी न किसी राजनीतिक दल में शरण लेना चाहता था.दोनों को एक-दूसरे की जरूरत नजर आयी और गुड्डू पण्डित हाथी पर सवार हो गए. बसपा ने भी उन्हें डिबाई विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट देकर वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया. गुड्डू पण्डित भी बसपा की उम्मीदों पर खरे उतरे, और डिबाई विधानसभा सीट बसपा की झोली में आ गयी. विधायक बनने के बाद भी गुड्डू पण्डित की आपराधिक गतिविधियों में कोई परिवर्तन नजर नहीं आया.उनकी आपराधिक गतिविधियां अनवरत जारी रहीं. इधर मीडिया लगातार बसपा के दोहरे चरित्र को लेकर कींचड़ उछालता रहा. चूंकि वर्ष 2007 के विधासनभा चुनाव में बसपा को पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा सीटें मिली थीं लिहाजा पार्टी किसी तरह से गुड्डू पण्डित को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का मौका तलाश रही थी ताकि जनता के बीच पार्टी की छवि को और निखारा जा सके। बसपा को यह मौका उस वक्त मिला जब बसपा शासन के दौरान ब्लाक प्रमुख के चुनाव कराए गए.गुड्डू पण्डित को इस चुनाव के दौरान मतदाताओं के अपहरण का दोषी पाया गया. मौका मिलते ही पार्टी प्रमुख मायावती ने गुड्डू पण्डित को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा गया.

राजनीति से बेघर हो चुके गुड्डू पण्डित बसपा से निष्कासित होने के बाद समाजवादी पार्टी में अवसर तलाशते रहे. वर्ष 2011 में जिस वक्त वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव की तैयारियां अपने चरम पर थीं, उस वक्त गुड्डू पण्डित ने सपा में शामिल होने की इच्छा अपने कुछ राजनीतिक साथियों की मदद से जतायी. संदेश सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव तक गया तो उन्होंने गुड्डू पण्डित को पार्टी में शामिल करने से पहले उसके विधानसभा क्षेत्र डिबाई में उसकी राजनीतिक हैसियत का स्क्रीन टेस्ट करवाया.रिपोर्ट में गुड्डू पण्डित की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा होते ही गुड्डू पण्डित को सपा प्रमुख की ओर से हरी झण्डी मिल गयी. साथ ही डिबाई विधानसभा क्षेत्र से उसे टिकट भी दे दिया गया. बताया जाता है कि जिस वक्त गुड्डू पण्डित को सपा में शामिल किए जाने की तैयारी चल रही थी उस वक्त अखिलेश यादव ने उसके आपराधिक चरित्र को देखते हुए असंतोष जताया था लेकिन पिता मुलायम के तर्क के आगे उनकी एक न चली. अंततः गुड्डू पण्डित की सपा में ताजपोशी कर दी गयी.

इधर सपा में शामिल होते ही बसपा ने गुड्डू पण्डित का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक कर दिया. साथ ही दल-बदल विरोधी कानून के तहत गुड्डू पण्डित के खिलाफ कार्यवाही की तैयारी शुरू कर दी.

जिस वक्त बसपा ने गुड्डू पण्डित की हिस्ट्रीशीट सार्वजनिक की थी उस वक्त गुड्डू पण्डित पर बलात्कार और अपहरण जैसे लगभग डेढ़ दर्जन गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. बलात्कार के मामले में तो इन्हें गिरफ्तार तक किया जा चुका है.

इतने गंभीर आपराधिक मामलों के बावजूद सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने इन्हें  न सिर्फ पार्टी में शामिल कर लिया बल्कि एक बार फिर से विधानसभा तक पहुंचाने के लिए डिबाई क्षेत्र से टिकट भी दे दिया. गुड्डू पण्डित ने 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर जीत हासिल कर यह बता दिया कि वे चाहें किसी भी दल में क्यों न रहे डिबाई विधानसभा सीट उनकी जागीर है. हैरत की बात है कि बसपा से निष्कासित गुड्डू पण्डित को सपा में उस वक्त शामिल किया गया था जब सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव चुनाव प्रचार के दौरान गुण्डे-बदमाशों से दूरी बनाने के दावे कर रहे थे.

सपा के टिकट पर विधायक रहते हुए भी गुड्डू पण्डित की गुण्डागर्दी अनवरत जारी रही . विगत वर्ष 14 फरवरी, यानि वेलेन्टाइन डे के अवसर पर एक प्रेमी जोड़ा इतना भयभीत हो गया कि उसने पुलिस की शरण ली और गुड्डू पण्डित के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी. शिकायत दर्ज करवाने वाले युवक का कहना था कि गुड्डू पण्डित अपने गुर्गों के जरिये उसे फोन पर लगातार धमकी देकर डरा रहे हैं. विधायक ने उससे कहा है कि अगर मैं उसकी बात नहीं मानता तो वह मुझे आपराधिक मामलों में फंसा देंगे. विधायक ने मुझे धमकी दी है अगर मैं ये शादी नहीं तोड़ता तो मुझे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे’. युवक का कहना था कि उसने 26 दिसंबर 2013 को आर्य समाज मंदिर में जिस युवती से शादी की थी उसके परिवार वाले विरोध में थे. युवती के घरवालों से गुड्डू पण्डित के मधुर सम्बन्ध थे. युवती भी युवक के साथ ही रहना चाहती थी लेकिन गुड्डू पण्डित ने दबंगई के बल पर युवक से युवती को अलग करवा दिया.युवक ने गुड्डू पण्डित की दबंगई से तंग आकर पुलिस से सुरक्षा प्रदान करने को लेकर भी गुहार लगाई थी. इससे पहले पण्डित ने एक उर्दू शिक्षक को कमरे में बंद कर पीटा था. गुड्डू पण्डित की दबंगई से जुड़े ये मामले तो महज बानगी भर हैं जबकि हकीकत यह है कि उनके खिलाफ डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा आपराधिक मामले पंजीकृत रहे हैं और वर्तमान में भी कुछ मामले चल रहे है.

उत्तर-प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव में दिए गये हलफनामें के अनुसार

आपराधिक गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण (आरोप तय )

  1. जबरन वसूली से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-384)
  2. आपराधिक धमकी से संबंधित 2 प्रभार (आईपीसी की धारा-506)
  3. शांति भंग भड़काने के इरादे से जानबूझकर अपमान से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा -504)
  4. जानबूझकर चोट पहुंचाने से संबंधित 1 प्रभार (आईपीसी की धारा-323)
  5. धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश का 1 प्रभार (आईपीसी की धारा -153A)न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

समाजवादी पार्टी का भी अपने इस बाहुबली विधायक से जब मन भर गया तो पार्टी ने  बाहर का रास्ता दिखा दिया ,बेघर हुए विधायक गुड्डू पण्डित भाजपा में जुगत में भिड़े परन्तु दाल न गलती देख जनवरी में किसानो  के मुद्दों पर राजनीति करने वाली ,पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सिद्धांतो का अनुसरण करने का दावा करने वाली रास्ट्रीय लोक दल में अपना ठिकाना बना कर बुलन्दशहर से टिकट लेकर पुनः विधान सभा में पहुचने की जुगत में लग गया है .



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