बुंदेलखंड में होगी सभी दलों की अग्नि परीक्षा, परेशानी में सपा - न्यूज़ अटैक इंडिया
Search

बुंदेलखंड में होगी सभी दलों की अग्नि परीक्षा, परेशानी में सपा

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

मृत्युंजय दीक्षित,प्रहारलाइव

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 का पहला चरण पूरा हो चुका है। मतदान के आंतरिक रूझानों का अनुमान लगाने के बाद अब सभी दलों की निगाहें आगामी चरणों के लिए लग गयी हैं। वहां पर अपना परचम फहराने के लिए प्रयास भी काफी तेज कर दिये गए हैं। बुदेलखंड राजनैतिक दृष्टि से सभी दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है तथा इस क्षेत्र में व्याप्त भारी सूखा, गरीबी और बेरोजगारी हर चुनाव में एक अहम मुद्दा बनकर उभरता रहता है।

बुंदेलखंड क्षेत्र वैसे तो केन-बेतवा जैसी नदियों का क्षेत्र है तथा वहां पर पानी की कमी नहीं होनी चाहिये, लेकिन पिछले कुछ समय वर्षा के अभाव में पीने तक के पानी का अभाव बन गया है। बीते साल के बारिश से कुछ राहत मिली है, लेकिन अवर्षण ने यहां की ऊपजाउा जमीन को बंजर कर दिया है। काम नहीं होने के कारण वहां पर पलायन की गंभीर स्थिति पैदा हो गयी है तथा इसकी आड़ में मानव तस्करी का गोरखधंधा भी चल निकला है।

जब चुनाव आते हैं तब सभी दलों के जेहन में बुंदेलखंड उतर आता है तथा बुंदेलखंड को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग भी तेज हो जाती है। सभी बड़ी-बड़ी रैलियां और जनसभाएं करके बड़े पैकेजों का झुनझुना पकड़ाने में लग जाते हैं और वापस चले जाते हैं, लेकिन आज की तारीख में रानी लक्ष्मीबाई और वीर छत्रसाल की धरती जहां पर हर प्रकार के पर्यटन की असीम संभावनायें है, अपने अच्छे दिनों के लिए तरस रही है।

बुंदेलखंड के अंतर्गत सात जिले आते हैं, जिसमें बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, ललितपुर, झांसी प्रमुख हैं। इन जिलों में आगामी 23 फरवरी को मतदान है। यह क्षेत्र केन-बेतवा का क्षेत्र है तथा यहां पर प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है। पर्यटन की भी असीम संभावनाएं हैं। यहां चम्बल का इलाका है, जहां पर डाकुओं का बोलबाला अभी भी चलता है। यहां डाकू अभी समाप्त नहीं हुए हैं तथा अब इन डाकुओं ने अपने को बचाकर रखने के लिए राजनैतिक आकाओं की शरण भी ले ली है।

कुख्यात ददुआ के भाई को समाजवादी दल ने चित्रकूट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। ऐतिहासिक व धार्मिक मान्यता है कि चित्रकूट की धरती पर भगवान श्रीराम के भरी चरण पड़े थे तथा वहां पर संतकवि तुलसीदास ने भी अपने कुछ साहित्य की रचना की थी। आज वहीं चित्रकूट डाकुओं की राजनैतिक व सामाजिक सुधार की रणस्थली भी बन चुका है।

बुंदेलखंड के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि यहां का कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश से भी मिलता है, जिसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को बराबर मिल रहा है। यहां से ही भाजपा की फायरब्रांड नेता जो पिछली बार मुख्यमंत्री पद की दावेदार घोषित की गयी थीं, इस बार सांसद हैं तथा केंद्र में मंत्री भी हैं। उन पर गंगा की सफाई का जिम्मा भी है और सर्वाधिक विधायकों को जिताने का भी।

जब भाजपा की परिवर्तन यात्राएं चल रही थी तब पीएम मोदी ने विगत अक्टूबर में विशाल रैली को भी संबोधित किया था। उसके बाद सपा, बसपा और कांग्रेस भी अपनी जनसभाएं कर चुकी हैं, लेकिन आज भी बुंदेलखंड की हालत जैसी की तैसी बनी हुयी है। सभी दलों के नेता बुंदेली जनता को अपने हिसाब से सपने दिखा रहे हैं। समाजवादी दल के नेता पांच साल का शासनकाल बीत जाने के बाद बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उनकी हालत बदतर है। लडाई में फिलहाल भाजपा व बसपा ही नजर आ रही है।

सम्पूर्ण बुंदेलखंड में एक कहावत प्रचलित रही है कि “पानीदार यहां का पानी, आग यहां का पानी।“ कभी यह क्षेत्र पानीदारी के मामले में बहुत तीखा माना जाता था। सीमित संसाधनों के बाद भी अपेक्षा से बेहतर बारिश और खेती होती थी, लेकिन यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि आज वहां पर केवल और केवल नेताओं की बयानबाजियां और बड़ी-बड़ी रैलियां हो रही हैं। चुनावों के समय ही सभी दलों को बुंदेलखंड की याद आती है और उसके बाद भूलकर चले जाते हैं। यही कारण है कि आज की तारीख में अंदर ही अंदर जनमानस में बगावत के स्‍वर भी बुलंद हो रहे हैं तथा अलग बुंदेलखंड राज्य की माग भी हो रही है।

छोटे राज्यों की हिमायती बसपा ने बुंदेलखंड राज्य के निर्माण का समर्थन सदा से किया है। वहीं इस बार भाजपा के सभी सांसदों के होने के बावजूद इस क्षेत्र में 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। इतिहास गवाह है कि बुंदेलखंड की पथरीली धरती पर विधानसभा चुनावों में कमल पूरी तरह से नहीं खिल पाया है। 1991 की रामलहर में भाजपा को इस क्षेत्र से 19 में से 11 सीटों पर विजय प्राप्त हुयी थी, जबकि 2012 के चुनावों में हालत बद से बदतर होती चली गयी और भाजपा मात्र तीन सीटों पर सिमट कर रह गयी।

यूपी में 14 वर्षों से वनवास झेल रही भाजपा अब मोदी का मंत्र लेकर भगवान राम की तपोस्थली व झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है। 2014 के लोकसभा चुनावों में देशव्यापी मोदी लहर में बुंदेलखंड भी बहा। विगत 21 अक्टूबर को मोदी जी की बुंदेलखंड में जो रैली हुयी थी, वह बहुत ही ऐतिहासक व अभूतपूर्व थी। इसमें सभी सांसदों, विधायकों के लिए भीड़ जुटाने का टारगेट भी दिया गया था। यहां की जनता को पीएम मोदी में नई उम्मीद की किरण भी दिखलायी पड रही है।

अभी तक प्रदेश में सपा और बसपा का ही घूम फिर कर शासन आया है और इन दलों ने यहां के प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ ही किया है। यहां के भाजपा नेताओं का दावा है कि केंद्र सरकार मनरेगा, ओलावृष्टि, बिन मौसम बारिश, जल संचय योजना आदि के माध्यम से देश व बुंदेलखंड के लोगों को उनके कष्ट से उबारने का काम कर रही है।

भाजपा का आरोप है कि सपा और बसपा की सरकारों ने बुंदेलखंड के क्षेत्र को लूटकर कंगाल कर दिया है। यही कारण है कि अब जनता को केवल एक बार फिर भाजपा व पीएम मोदी के विकास मंत्र पर ही भरोसा है, लेकिन इतना सब कुछ होते हुए भी यहां पर भाजपा के लिए कई कठिनाइयां हैं। बीच में भाजपा सांसद व केद्रीय मंत्री उमा भारती के लिए पोस्टर भी चिपकाये गये थे।

बुंदेलखंड में पर्यटन की असीम संभावनाऐं हैं। गैर भाजपा दलों ने यहां के ऐतिहासिक व धार्मिक पर्यटन की काफी अनदेखी की है। बुंदेलखंड का रग-रग इतिहास से भरा पड़ा है तथा यहां की धरती को भगवान राम व वीरों की धरती कहा जाता है। यदि यहां के पर्यटन का पर्याप्त विकास किया जाये तो बुंदेलखंड की धरती को फिर से हरा भरा भी किया जा सकता है तथा यहां के युवाओं को पर्यटन के माध्यम से रोजगार भी उपलब्ध कराया जा सकता है। यहां का चित्रकूट भगवान राम की तपोस्थली के रूप में विख्यात है।

चित्रकूट का इतिहास में अपना एक अलग ही सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व है, जिसकी सभी दलों ने अनदेखी की है तथा यही चित्रकूट आज विकास के लिए तरस रहा है। बुंदेलखंड की धरती में ही बांदा में ऋषि वामदेव का जन्म हुआ तथा उसे उन्हीं के कारण पहचान मिली। यहां पर ऐतिहासिक कालिंजर का दुर्ग भी है और रनगढ़ का दुर्ग भी है।

यहां का दूसरा ऐतिासिक जिला महोबा है। जिसका पौराणिक नाम महोत्सव नगर है। यह आल्हा व ऊदल की धरती है। उनकी शौर्य गाथायें आज भी लोकप्रिय हैं। यहां का शिव तांडव मंदिर व चंद्रिका देवी मंदिर की अपनी लोकप्रियता है। इसी प्रकार हमीरपुर हम्मीर देव की धरती है। कालपी व झांसी की तो अपनी ही एक अलग कहानी है। उसके बाद भी आज यह क्षेत्र विकास के लिए तरस रहा है।

इतना विकसित क्षेत्र आज दलों के शिगूफे के दलदल में फंस गया है। सपा सरकार जिस तरह से बुंदेलखंड की उपेक्षा कर रही है, वह चुनावी बयार में उसके लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। नवम्बर 2011 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उप्र को चार हिस्सों में बांटने की वकालत की थी। चुनावों के मौसम में ही यहां के राजनैतिक दल यहां पर गरजते हैं। राहुल गांधी भी यहां पर विकास की बातें कर जाते हैं। उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में यही कारण है कि रूक-रूक कर अलग राज्य का आंदोलन भी गरमाता रहता है तथा उसको समर्थन देने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर दल भी बन जाते हैं।

यह सभी स्थानीय दल राजनैतिक दलों पर दबाव बनाने का प्रयास भी करते हैं, लेकिन अभी तक उन दलों व नेताओं को कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पायी है। अबकी बार एक बार फिर सभी दलों के नेता वहां पहुच रहे हैं। तथा विकास का अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। अबकी बार देखना है कि किसके बाजुओं में ताकत आती है। कमल खिलता है कि हाथी दौड़ता है। बुंदेलखंड में इस बार वैसे भाजपा ने अपनी ताकत तो झोंक दी है। पीएम मोदी ने 20 फरवरी को उरई में एक विशाल जनसभा को संबोधित करके हवा का संकेत दे दिया है।

Share This.

Related posts