सतना. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने वाले भाजपा नेता ध्रुव सक्सेना और रज्जन तिवारी गैंग के दो साथियों की छत्तीसगढ़ में गिरफ्तारी के बाद कई और सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. अब पता चला है कि पंडित रज्जन तिवारी तो खुद पूरे जासूसी गिरोह का मास्टरमाइंड था ही साथ ही उसका छोटा भाई रुचि तिवारी भी उसके साथ काम करता था. अब एटीएस रज्जन तिवारी के परिवार के बाकी सदस्यों और रिश्तेदारों पर भी शिकंजा कसने जा रही है.
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पंडित रज्जन तिवारी ने ही छत्तीसगढ़ में आईएसआई का नेटवर्क फैलाया था और वहाँ पर अपने ममेरे भाई अवधेश दुबे पुत्र लल्लू दुबे को ये काम सौंपा था। छत्तीसगढ़ पुलिस सूत्रों को भी ये शक है कि सतना का बलराम बजरंग दल के जिस पदाधिकारी के खाते का इस्तेमाल आतंकियों तक धन पहुँचाने में कर रहा था, उसी खाते से रुचि तिवारी को भी पैसे भिजवाए गए हैं.
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पहले खबर आ रही थी कि बलराम, रज्जन तिवारी और ध्रुव सक्सेना का गैंग मध्य प्रदेश तक ही सीमित है, लेकिन छत्तीसगढ़ में मनींद्र और संजय देवांगन की गिरफ्तारी से यह निश्चित होता जा रहा है कि ये आईएसआई के जासूस कई राज्यों में हरकतें कर रहे थे. रज्जन का छोटा भाई रुचि तिवारी दिल्ली में रहकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से भेजी जाने वाली राशि को निकाल कर आतंकी मददगारों के रहनुमा जब्बार और अन्य लोगों तक पहुंचाता था.
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खबरों के अनुसार रज्जन का सगा छोटा भाई रुचि 10 साल से दिल्ली में रह रहा था. पौड़ी में 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद घर की कमजोर आर्थिक हालत को देखते हुए वह दिल्ली चला गया. परिवार वालों के अनुसार वह 10 साल से दिल्ली में ही रह रहा था. रज्जन की गिरफ्तारी के बाद से उसका यहां परिवार वालों और गांव के अन्य लोगों से संपर्क पूरी तरह से कट गया है. उसके सभी पुराने मोबाइल नंबर बंद बता रहे हैं.
बिलासपुर से पकड़े गए मनीन्द्र और संजय देवांगन ने बताया है कि एटीएम और लाटरी फ्रॉड से जो राशि उनके सात खातों में आती थी उसे निकालकर वे रज्जन और रुचि के खाते में डालते थे. दिल्ली में रुचि तिवारी इन पैसों को निकाल कर आगे के नेटवर्क को देता था. पुलिस की हिरासत में रज्जन तिवारी का ममेरा भाई अवधेश भी आ चुका है और उससे भी पूछताछ चल रही है. संजय देवांगन और मनींद्र को उसन ही 500 रुपए रोज के कमीशन पर जासूसी के धंधे में लगाया था.
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