मनोज श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा परिणाम के रुझानों को लेकर सर्वे एजेन्सियों के दावे अलग-अलग हैं। कुछ सर्वे एजेंसियां भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बना रही हैं तो कुछ बहुमत से दूर सबसे बड़ी पार्टी बता रही हैं। अगर सभी एजेंसियों का औसत निकाला जाए तो किसी भी पार्टी को उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। सर्वे के आधार पर ही नई बहस भी चल पड़ी है कि 2019 में भाजपा को रोकने के लिए सपा-बसपा का गठबंधन ही सबसे बेहतर साबित होगा।उत्तर प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटें पर न्यूज एक्स-एमआरसी के सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बीजेपी की 185, सपा-कांग्रेस की 120, बीएसपी को 90 सीटें मिल रही हैं व अन्य को 08। इंडिया टीवी-सी वोटर के मुताबिक बीजेपी को 155 से 167 सीटें, एसपी को 135 से 147 सीटें, बीएसपी को 81 से 93 सीटें व अन्य को 8 से 20 सीटें। टाइम्स नाउ-वीएमआर के सर्वे के मुताबिक बीजेपी में 210 से 230 सीटें, एसपी को 110 से 130 सीटें, बीएसपी को महज 67 से 74 सीट व अन्य को 8। एबीपी न्यूज सर्वे में बीजेपी 164 से 176 सीटें, एसपी 169 से 179 सीटें व बीएसपी 60 से 72 सीटें व चाणक्य सर्वे के मुताबिक बीजेपी 270 से 285 सीटें, सपा-कांग्रेस गठबंधन 73 से 88 सीटें व बीएसपी 18 से 12 सीटें।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गठबंधन को पूर्ण बहुमत न मिलने की संभावना पर बसपा से समर्थन लेने की बात कह कर नई सनसनी पैदा कर दी है। अखिलेश के बयान के बाद सियासी गलियारे में हलचल पैदा हो गया है। अखिलेश ने यह भी कहा कि मैं या कोई नहीं चाहता कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में भाजपा रिमोट से सरकार चलाए। इधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा है कि भाजपा को रोकने के लिए सपा और बसपा को एक साथ आना चाहिए। अब राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है कि क्या यूपी बिहार के बाद भाजपा रोको मंच का अगला प्रयोगशाला बनेगा ?
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