गौतम नवलखा को 2020 में गिरफ़्तार किया गया था, नवम्बर 2022 से वे नवी मुम्बई में हाउस अरेस्ट में हैं।
भीमा कोरेगांव दंगे 2018 के मामले में गिरफ़्तार किये गए पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आख़िरकार ज़मानत दे दी है। इस मामले में नवलखा के अलावा कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े और 9 अन्य पर प्रतिबंधित कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया(माओवादी) से जुड़े होने और भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल होने का आरोप था। यह क़ानूनी लड़ाई नवलखा द्वारा महाराष्ट्र में राहत के लिए की गई लगातार अपीलों से शुरू हुई जो 2018 और 19 में विफल साबित हुईं। मामले में अहम मोड़ तब आया जब 2020 में ये मामले राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) के पास गया, नतीजतन गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सरेंडर करना पड़ा।
ज़मानत का हालिया फ़ैसला भी कई क़ानूनी दांवपेंच के बाद आया है। शुरुआती दौर में, स्पेशल एनआईए कोर्ट ने नवलखा की ज़मानत याचिका सितंबर 2022 में ख़ारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने इसे वापस स्पेशल कोर्ट के पास नए सिरे से सुनवाई करने के लिए भेजा था जिसने ज़मानत याचिका ख़ारिज करने के फ़ैसले को ही बरक़रार रखा। हालाँकि, लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को नवलखा को ज़मानत दे दी, और उन पर उनके सह-आरोपियों, आनंद तेलतुंबडे और महेश राउत पर लगाई गई शर्तों को ही लगाया है। विशेष रूप से, अदालत ने जमानत आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी है, जिससे राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति मिल गई है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी ज़्यादा उम्र और स्वास्थ्य कारणों को ध्यान में रखते हुए गौतम नवलखा को नवम्बर 2022 से नवी मुम्बई में हाउस अरेस्ट में रखा गया है। 1 जनवरी, 2018 को द्विशताब्दी समारोह के दौरान भीमा कोरेगांव हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। इसके बाद, कई कार्यकर्ताओं को माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था, जो कथित तौर पर 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद की बैठक में दिए गए भड़काऊ भाषणों से जुड़े थे।
सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, आनंद तेलतुंबडे, वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा के बाद नवलखा सातवें शख़्स हैं जिन्हें भीमा कोरेगांव मामले में ज़मानत मिली है। जहां वरवरा राव को चिकित्सा आधार पर जमानत मिल गई, वहीं महेश राउत को रिहाई का इंतजार है क्योंकि उनके जमानत आदेश पर रोक जारी है। मौजूदा क़ानूनी पेचीदगियों के बीच नवलखा की रिहाई एक क्षणिक राहत है। एनआईए ग्रामीण नक्सली गतिविधियों के लिए रसद की सुविधा प्रदान करने वाले एक आंदोलन में शामिल होने के आरोपों को दोहराते हुए, नवलखा की जमानत के विरोध पर अड़ी हुई है।
रिपोर्ट साभार – न्यूज़ क्लिक
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