लखनऊ. उत्तर प्रदेश में चुनाव का तीसरा चरण समाजवादी पार्टी के लिए बहुत अहम है.तीसरे चरण में प्रदेश के इटावा, मैनपुरी, कन्नौज समेत कुल 12 जिलों के 69 सीटों पर मतदान होगा. यह इलाका समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का परिवार इसी इलाके से अपना दबदबा बनाता रहा है, लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं. पिता-पुत्र और चाचा के बीच पिछले दिनों हुए घमासान के बाद समाजवादी पार्टी का यह गढ़ भी दो हिस्सों में बंट चुका है.
तीसरा चरण अखिलेश की लोकप्रियता का पैमाना भी तय करेगा, क्योंकि सपा मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव के 50 साल के राजनीतिक कैरियार में यह पहला चुनाव है, जिसमें वह पूरी तरह सक्रिय नहीं हैं. सपा के स्थापना के बाद यह पहला चुनाव है, जब वो इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी नहीं हैं. 25 साल के सपा के इतिहास में यह पहला मौका है, जब वह केवल शिवपाल सिंह यादव के जसवंतनगर और अपर्णा यादव के लखनऊ कैंट विधानसभा के अलावा अब तक कहीं प्रचार करने नहीं गए हैं.
उत्तर प्रदेश का यह इलाका समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इन 12 जिलों की 69 सीटों में से 55 सीटों पर कब्जा जमाया था, लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई है. इस बार समाजवादी पार्टी के लिए स्थिति उतनी आसान नहीं है. मुस्लिम मतदाता नाराज है तो शिवपाल खेमा भी अखिलेश खेमा के खिलाफ है. अंदरखाने एक दूसरे को हराने की कोशिशें भी जारी हैं. इटावा में अखिलेश के भाषण से यह साबित भी हो चुका है कि यह तल्खी अभी खत्म नहीं हुई है.
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