मुस्लिम वोटबैंक पर मुलायम की नजर,आज़म खान होगे मुलायम खेमे के मुख्यमंत्री चेहरा - न्यूज़ अटैक इंडिया
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मुस्लिम वोटबैंक पर मुलायम की नजर,आज़म खान होगे मुलायम खेमे के मुख्यमंत्री चेहरा

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लखनऊ .चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर चुनाव आयोग पहुंची समाजवादी पार्टी की जंग का निर्णायक मोड़ आज हो सकता है,भाबिस्य की  दुस्वारियो और छिटक रहे वोट बैंक से आहत मुलायम सिंह यादव आज चुनाव आयोग में चुनाव चिन्ह विवाद को निपटाने के बाद अपने मशहूर चरखा दांव का इस्तेमाल अपने बेटे के खिलाफ करने जा रहे हैं.

पारिवारिक जंग के सुलह और समझौते की बैठको के बेनतीजा रहने के बाद अब यह साफ़ हो चुका है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  और मुलायम सिंह यादव  गुट अलग-अलग ही चुनावी रण क्षेत्र में अपना भाग्य आजमाएंगे.चुनावी रण क्षेत्र में अपना भाग्य अलग –अलग अजमाने की स्थिति में मुलायम यादव  एक बड़ा मुस्लिम कार्ड खलते हुए आजम खान को मुख्यमंत्री का चेहरा बना सकते हैं.

प्राप्त  जानकारी के मुताबिक मुलायम सिंह यादव ने  खास दोस्त आज़म खान को मुख्यमंत्री पद हेतु प्रोजेक्ट करने सम्बन्धी शिवपाल सिंह  यादव और अमर सिंह से सलाह मसाविरा कर लिया है ,मुलायम की इस रणनीति में दोनों ने अपनी सहमति दे दी है .


सूत्रों के मुताबिक इस सिलसिले में मुलायम और आजम के बीच मुलाकात भी हो सकती है. आजम खान ने मुलायम और अखिलेश के बीच सुलह कराने के लिए मध्यस्थ भी बने लेकिन इसके बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला.  फिलहाल अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग के फैसले पर है. चुनाव के फैसले के बाद ही इस पर औपचारिक ऐलान हो सकता है.न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

उत्तर प्रदेश के  19 परसेंट मुस्लिम वोटबैंक पर निगाह गड़ाए बैठे मुलायम सिंह यादव को सपा के  इस मजबूत वोट बैंक के  सरकने की जानकारी मिली थी और कुछ दिन पहले मुलायम सिंह यादव के आवास पर मुस्लिम समाज ने प्रदर्सन भी किया था और तमाम  अल्पसंख्यक संगठन भी मुस्लिम मुख्यमंत्री चेहरा उतारने की मांग कर चुके हैं.

सनद रहे  आजम खान समाजवादी पार्टी में एक बड़ा मुस्लिम चेहरा होने के साथ ही मुलायम के ख़ास सिपहसालार है. जिस वजह से  मुलायम खेमा उन्हें अपना मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर 19 फ़ीसदी मुस्लिम वोट को अपने पाले में करने की फ़िराक में है.

. उत्तर प्रदेश के वर्तामान राजनैतिक हालात में अगर मुलायम की इस रणनीति पर अमल होता है तो निश्चित रूप से मुस्लिम वोट में विखराव होगा और इसका नुकसान अखिलेश यादव को उठाना पड़ सकता है.


 

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