मोदी सरकार ने रोक रखा है बिहार के बिकास का 6395.19करोड़,नीतीश ने लिखा पत्र - न्यूज़ अटैक इंडिया
Search

मोदी सरकार ने रोक रखा है बिहार के बिकास का 6395.19करोड़,नीतीश ने लिखा पत्र

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack





पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के 10वीं, 11वीं समेत 12वीं पंचवर्षीय योजना की लंबित 6395.19 करोड़ रुपये देने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर की है. नीतीश कुमार ने पत्र में लिखा है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के आठ माह बीत गये हैं, लेकिन केंद्र सरकारी की ओर से अब तक राशि नहीं दी गयी है. इससे पहले एक फरवरी को आपसे अनुरोध किया गया था. इसके अलावा 31 मई और 18 सितंबर को भी केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिख कर अपील की गयी थी, लेकिन केंद्र से राशि नहीं आयी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पत्र में कहा कि राज्य के वित्तीय संसाधन सीमित हैं. परियोजनाओं को पूरा करने में सरकार और राशि नहीं लगा सकती है. केंद्र की ओर से राशि नहीं दिये जाने की वजह से इन योजनाओं के कार्यान्वयन की गति धीमी हो गयी है, जिसका प्रभाव योजनाओं पर पड़ रहा है. इन योजनाओं के लिए अगर समय पर राशि नहीं मिलती है तो कॉस्ट ओवर रन से इनकार नहीं किया जा सकता और योजनाओं के समय पर पूरी नहीं होने पर उसकी गुणवत्ता प्रभावित होती है. पत्र के मुताबिक बिहार सरकार की ओर से केंद्र से मांगी गयी 6395.19 करोड़ रुपये की राशि में 10वीं व 11वीं पंचवर्षीय योजना की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 494.34 करोड़ रुपये और 12वीं पंचवर्षीय योजना की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने लिए बची राशि 4998.77 करोड़ रुपये शामिल हैं साथ ही 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए स्वीकृत राशि में बचे 902.08 करोड़ के लिए बिहार सरकार की ओर भेजे गये प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान किया जाये और प्राथमिकता के आधार पर इसी वित्तीय वर्ष में राज्य को राशि दी जाये.



नीतीश कुमार ने पत्र में कहा कि जब बिहार का विभाजन हुआ था तो इसके वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने के लिए बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 लाया गया था. इसमें 10वीं-11वीं पंचवर्षीय योजना में 10520 करोड़ रुपये विभिन्न परियोजनाएं ऊर्जा, सिंचाई, पर्यावरण, वन समेत अन्य क्षेत्रों में केंद्र सरकार की ओर से स्वीकृति दी गयी थी. 11वीं पंचवर्षीय योजना के खत्म होने पर इन परियोजनाओं के लिए 8500 करोड़ रुपये ही केंद्र सरकार ने दिये. 12वीं पंचवर्षीय योजना में इस विशेष सहायता को आगे जारी रखने के लिए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के माध्यम से स्पेशल प्लान (बीआरजीएफ) में 12,000 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी. इसमें से 1500 करोड़ की राशि पूर्व की लंबित परियोजनाओं और 10,500 करोड़ रुपये नयी परियोजनाओं के लिए रखे गये. इसमें ऊर्जा क्षेत्र की आठ परियोजनाओं के लिए 8308.67 करोड़ रुपये और सड़क क्षेत्र की एक परियोजना के लिए 1289.25 करोड़ की लागत से कुल 9597.92 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत की गयीं.




नीतीश कुमार ने लिखा है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 4599.15 करोड़ रुपये केंद्र ने दिये, जबकि राज्य सरकार ने कई परियोजनाओं पर 6152.07 करोड़ रुपये खर्च किया. राज्य सरकार ने 5921.09 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र नीति आयोग को भेज दिया है. सभी योजनाएं पूरी होने के कगार पर हैं.जिस हेतु बची राशि का भी भुगतान किया जाये. मुख्यमंत्री ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में ऊर्जा क्षेत्र की स्वीकृत परियोजनाओं में 856.81 करोड़ की लागत बढ़ने का प्रस्ताव, 391 करोड़ की सड़क परियोजना का प्रस्ताव और बेली रोड में ललित भवन से विद्युत भवन तक अंडरपास सड़क (लोहिया पथ चक्र) बनाने के लिए भी प्रस्ताव नीति आयोग के सामने दिया गया है, लेकिन ये भी लंबित हैं. अगर केंद्र सरकार इन प्रस्तावों की स्वीकृति इस वित्तीय वर्ष में नहीं देती है, तो लागत में और बढ़ोतरी हो जायेगी. हालांकि राज्य सरकार ने पटना में लोहिया पथ चक्र के निर्माण की जरूरत और इसकी महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार से स्वीकृति के इंतजार में इस पर काम शुरू कर दिया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि की गवर्निंग बाडी में बदलाव को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखा है. अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने विवि के कुलपति जार्ज यो के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह नालंदा विवि के गठन के विचार के पीछे जो उद्देश्य है उसमें ब्रेक नहीं लगे. मुख्यमंत्री ने हाल के दिनों में विवि के शासी निकाय के भंग होने और चांसलर के इस्तीफा प्रकरण पर चिंता जाहिर की. उन्होंने अपने पत्र में कहा कि राज्य सरकार ने पुराने गौरवशाली नालंदा विवि के अतीत को दोबारा जमीन पर उतारने के लिए 2007 में नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि के गठन की प्रक्रिया शुरू की थी. राज्य सरकार ने नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि के गौरव और महत्व को ध्यान में रखते हुए इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाये जाने की सलाह भी दी है.
उन्होंने कहा कि विवि के सभी स्टेक होल्डर और सभी विशिष्ट फैकल्टी के राय- विचार से ही विवि के प्राचीन गौरव को फिर से स्थापित किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि विवि की तरक्की तभी सुनिश्चित की जा सकती है जब उसे अकादमिक स्वायतता मिले. उन्होंने कहा कि शासी निकाय में बदलाव के पहले कुलाधिपति के साथ कंसलटेशन जरूर होना चाहिए.



Share This.

Related posts