लखनऊ.समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ताल ठोकने हेतु जन्म ले रहे गंठबंधन आज विराम लग सकता है .समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर कांग्रेस के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है .कांग्रेस के कब्जे वाली सीटो पर आज समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशी को उतार कर यह साबित कर दिया है कि अभी भी गटबंधन में गाठ है .सीटो का तालमेल न हों पाने के कारण रास्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजीत सिंह कल ही इस गठबंधन की बातचीत से बेदखल होकर जदयू ,बीएस4,पीस पार्टी,अपनादल कृष्णा गुट समेत तमाम एक दर्जन छोटे दलों को लेकर बृहद गठबंधन की नीव खड़ी कर चुनावी रणक्षेत्र में ताल ठोकने की तैयारी में लग गए है.
फिरहाल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की नीव में सबकुछ ठीक नहीं बताया जा रहा है .काग्रेस के गढ़ रहे रायबरेली और अमेठी को मिलाकर समाजवादी पार्टी कांग्रेस को कुल 1 सीट देने की बात पर अड़ी है.सत्ताधारी समाजवादी पार्टी किसी भी कीमत पर 1 सीट से ज्यादा छोड़ने को तैयार नहीं है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार अपने काम और नाम के गुमान पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अकेले ही बहुमत के आकडे को जीतने का सपना पाल रखे है,जिस कारण अखिलेश यादव इस गठबंधन में किसी भी समझौते पर झुकने को तैयार नहीं है.
समाजवादी पार्टी के रास्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा का साफ़ कहना है की कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 54 सीट हम दे सकते और न मानने पर कुछ और सीटें बढ़ा देंगे .किरणमय नंदा का यह वयान गठबंधन के मजबूत होने का संकेत नहीं है.कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर भी गठबंधन पर सार्थक जबाब देने की स्थिति में नहीं है ,आज मीडिया से बातचीत में राजबब्बर ने कहा की रालोद अभी गठबंधन से बाहर नहीं है साफ़ संकेत है कि कही ऐसा तो नहीं समाजवादी पार्टी की गठबंधन नीति में फिट न बैठ पाने की स्थिति में कांग्रेस भी रालोद मुखिया अजीत सिंह के साथ नीव पड़ रही महागठबंधन में सबसे बड़े दल के रूप में शामिल होकर उस महागठबंधन का प्रतिनिधित्व कर जनता में इस बात का सन्देश दे की समाजवादी परिवार सार्थक गटबंधननीति को दर किनार कर सांप्रदायिक शक्तियों को प्रदेश में हाथ बढाने का मौका दे रही है.