चिंतित मुसलमान - सपा के 'कीचड़' में 'कमल'को मौका हाथ न लग जाय - न्यूज़ अटैक इंडिया
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चिंतित मुसलमान – सपा के ‘कीचड़’ में ‘कमल’को मौका हाथ न लग जाय

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लखनऊ .समाजवादी पार्टी में चल रही बाप-बेटे की जंग  शांत होने का नाम नहीं ले रही है,अखिलेश की समाजवादी पार्टी और मुलायम के बीच मुस्लिम  वोट बैंक को लेकर नया जंग छिड रहा है.सनद रहे बीते दिनों मुलायम सिंह यादव  ने अपने पुत्र मुख्यमंत्री अखिलेश पर मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाया था .इस पारिवारिक जंग के बीच  सपा का वोट बैंक समझे जाने वाले मुस्लिम समाज के कुछ लोगो ने समाजवादी परिवार के जंग के बीच मुलायम सिंह के आवास पर प्रदर्शन कर खुद को ठगे जाने के आरोप भी मढ़े थे, समाजवादी पार्टी की पारिवारिक जंग जब चुनाव आयोग पंहुचा तो कयाश लगाया जा रहा था की साईकिल चुनाव चिन्ह फ्रीज हो सकता है किन्तु चाचा राम गोपाल के साथ अपने पिता मुलायम सिंह यादव को खुली चुनौती देकर पार्टी और चुनाव आयोग के फैसले के बाद चुनाव चिन्ह साईकिल पर मुख्यमंत्री अखिलेश ने कब्ज़ा कर राजनीति के महारथी अपने पिता मुलायम को चारो खाने चित्त कर दिया.

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समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव के हाथो से लेकर आज अखिलेश यादव विधिवत अध्यक्ष तो हो गये किन्तु पिता पुत्र के बीच बीच मुसलिम वोट बैंक किसका है, इस पर बहस छिड़ी हुई है. सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने यह कह कर इस बहस को हवा दे दी कि उनके बेटे और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुसलमानों की उपेक्षा की है. यह मुसलमानों की सहानुभूति और विश्वास को कायम रखने की उनकी कोशिश हो या अखिलेश के हिस्से से मुस्लिम  विश्वास की ईंट को दरकाने की रणनीति यह तो मुलायम ही जाने किन्तु  नुकसान अंतत: समाजवादी और मुसलमान  दोनों का होना तय है.

मुलायम को चित्त कर अखिलेश ने किया साईकिल पर कब्ज़ा

आज प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया का आगाज हो चूका है ,इस आगाज के साथ ही राजनीतिक दलों के बीच चुनावी बेचैनी और वोटरों से  राय-मशविरे का सिलसिला ठोस शक्ल अख्तियार कर  लेना चाहता है.भारतीय रास्ट्रीय कांग्रेस अब भी अधर में लटकी पड़ी है किन्तु बताया जा रहा है कि आज कल में गठबंधन का औपचारिक एलान हो सकता है.इस गठबंधन में कौन –कौन से दल शामिल होंगे इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है किन्त सूत्र बताते है की जद यू की अगुवाई में बना गठबंधन भी अखिलेश के साथ आएगा.

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बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर 403 में से 401 सीटों के लिए अपने प्रत्यासियो का एलान कर चुकी है,मुस्लिम वोट बैंक पर दाव खेलने में बाजी मारने में आगे रही है,पार्टी से १०० मुस्लिमो को टिकट देकर मुस्लिम प्रेम जताने का भरसक प्रयाश कर  सभी वर्गों पर मुसलमानों को ऊपर रखा है. ओबीसी, दलितों और अगड़ों की 12 सीटें काट कर इस बार मुसलमान उम्मीदवारों को दे दी हैं. इसका भी असर होगा. 2012 के चुनाव में अपनी 80 सीटें और 4.52 फीसदी वोट शेयर गंवाने वाली यह पार्टी इस चुनावी समीकरण में जो भी नफा कमायेगी उसमें मुसलिम वोट बैंक में सेंधमारी की भी हिस्सेदारी होगी.

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सत्ताशीन समाजवादी पार्टी में अब तक कुछ भी साफ नहीं है. पिछली बार 29.13 फीसदी जो वोट शेयर था और जो 206 सीटें थीं, उससे नीचे उतरने का खतरा उस पर मंडरा रहा है. चुनाव घोषणा के बाद आये पहले ओपिनियन पोल (एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीसी) में भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 32 प्रतिशत के मुकाबले 34 प्रतिशत वोट से जनता की संतुष्टि के मुद्दे पर आगे हों, सीटों के मुकाबले में 141 से 151 के अंक ही जुटा पाये हैं. वह भी अविभाजित सपा में. सपा के विभाजन के बाद यह आंकड़ा और भी अलग होगा. ऐसे में राज्य के 18 फीसदी मुसलमान वोटरों में यह डर है कि कहीं सपा में झगड़े से पैदा हुए राजनीतिक कीचड़ में कमल न खिल जाये. मुलायम सिंह यादव के मुस्लिम मतदातावो सम्बन्धी बयान इस डर या चिंता को और भी गाढ़ा करेगा.पिता मुलायम के इस वयान से मुख्यमंत्री अखिलेश किस तरीके से निपट पाएंगे यह तो वक्त ही तय करेगा.


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