देश में महंगाई और बेरोजगारी से हाहाकार मचा है, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा इस सच्चाई पर पर्दा डालने का हरसंभव प्रयास करती रही है। वर्ष २०३० तक भारत दुनिया की तीसरी महाशक्ति बन जाएगा तथा वर्ष २०४७ तक हर भारतवासी १० लाख रुपए कमाएगा, विकास का ऐसा सब्जबाग देश की जनता को दिखाया जा रहा है। बात बेरोजगारी की करें तो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि भारत की विस्तारित अर्थव्यवस्था युवाओं के लिए नए अवसर पैदा कर रही है और देश की बेरोजगारी दर छह वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है, लेकिन सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) की ताजा रिपोर्ट उनके दावों की पोल खोल दी है। सीएमआईई का कहना है कि भारत में बेरोजगारी दर दो साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, भारत की बेरोजगारी दर अक्टूबर में दो वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जिसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी है। अक्टूबर में कुल बेरोजगारी दर ७.०९ से बढ़कर १०.०५% हो गई। यह मई २०२१ के बाद से उच्चतम दर है। ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी लिमिटेड’ के आंकड़े खुलासा करते हैं कि समग्र दर सितंबर में ७.०९% से बढ़कर पिछले महीने १०.०५% हो गई, जो मई २०२१ के बाद सबसे अधिक है। ग्रामीण बेरोजगारी ६.२% से बढ़कर १०.८२% हो गई, जबकि शहरी दर थोड़ी कम हुई। जानकार बताते हैं कि सरकार केवल वार्षिक आधार पर देशव्यापी बेरोजगारी दर और शहरी क्षेत्रों के लिए हर तिमाही में एक दर प्रकाशित करती है। अक्टूबर में जारी सबसे हालिया आधिकारिक रिपोर्ट में २०२२-२०२३ के लिए देश में बेरोजगारी दर ३.२% बताई गई है। गौरतलब है कि भारत में बेरोजगारी दर अगस्त में बढ़कर ८.२८% हो गई थी। ये अगस्त २०२१ के बाद सबसे ऊंची दर थी, जबकि जुलाई में बेरोजगारी दर ६.८% थी।
आज भी मुख्यधारा के भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा केवल विशेष व समृद्ध वर्ग के लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इस संविदा में हाशिए पर खड़े समाज जिसमें देश के पिछड़े ,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर शामिल हैं, उनके हितों एवं संघर्षों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है. हाशिए पर खड़े इस समाज की आवाज बनकर उनका साथ देने का न्यूज़ अटैक एक प्रयास है. उम्मीद है आप सभी का सहयोग मिलेगा.