कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद से ही भाजपा नेताओं के अंदर की नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगी है। भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश जिगाजिनागी ने बीवाई विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने [पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की खुलकर आलोचना की है। कर्नाटक के विजयपुरा सीट से भाजपा सांसद रमेश जिगाजिनागी ने मीडिया को संबोधित करते हुए यहां तक कह दिया है कि, ‘अगर आप दलित हैं तो भाजपा के अंदर आपको बढ़ने का अवसर नहीं मिलेगा।
उन्होंने विजयेंद्र येदियुरप्पा को कर्नाटक का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाने को लेकर पार्टी नेतृत्व की आलोचना करते हुए कहा है कि उन्हें यह पद इसलिए दिया गया है, क्योंकि वे बीएस येदियुरप्पा के बेटे हैं ,अगर कोई अन्य अमीर नेता या गौड़ा (वोक्कालिगा) होता तो लोग उन्हें समर्थन देते। लेकिन अगर दलित है तो कोई समर्थन नहीं करता। हम यह जानते हैं और यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
कर्नाटक भाजपा के दिग्गज दलित नेता हैं रमेश जिगाजिनागी
कर्नाटक में दलित समाज से आने वाले सांसद की ओर से भाजपा नेतृत्व पर लगाया गया यह आरोप 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा के मंसूबों के लिए बहुत बड़े झटके की तरह है। जबकि जिगाजिनागी को ऐसे दलित नेता के तौर पर जाना जाता रहा है, जो अपनी जाति की पहचान पर तो जोर देते हैं, लेकिन इसके लिए टकराव का रास्ता अपनाने से बचते हैं। उनके बारे में एक बात कही जाती है कि एक बार जब वे विधायक थे और मंदिर में एक कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किए गए थे तो उन्हें बहुत ही अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा था। कुछ कथित ऊंची जाति के लोगों ने उनकी एंट्री का विरोध किया था। लोगों का कहना है कि इसके बाद उन्होंने ऐसे सभी जगहों से दूरी बना ली, जहां इस तरह के हालात पैदा होने की आशंका हो सकती है।
विधानसभा में भाजपा की हार पर भी दिया था विवादित बयान
जिगाजिनागी कर्नाटक के बड़े दलित नेता हैं एवं 6 बार के सांसद हैं। वह तीन बार प्रदेश में भी मंत्री रह चुके हैं। इस साल कर्नाटक विधानसभा चुनावों में जब भाजपा को प्रदेश में करारी शिकस्त मिली थी तो उन्होंने यह कहकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था कि जो लोग पार्टी के दिग्गजों का टिकट कटने के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें ‘लटका’ दिया जाना चाहिए।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की बढ़ सकती है परेशानी
येदियुरप्पा के बेटे के मसले पर उन्होंने पार्टी को जिस तरह से घेरा है, वह लोकसभा चुनावों में राज्य में अधिकतर सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही पार्टी के लिए इसलिए भी बहुत बुरी खबर है, क्योंकि इनका जनाधार भी अल्पसंख्यक, पिछड़े और दलित वोट बैंक माना जाता है। गौरतलब है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया (कांग्रेस) इसी की राजनीति करते हैं और इस बार की जीत में उनके इस समीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।