लखनऊ । किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सामान्य भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों का कुलपति नित्यानंद सोनिया द्वारा उल्लंघन करने के विरोध में आज अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ व अन्य संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय गेट नंबर 2 पर स्थापित छत्रपति शाहूजी महाराज की प्रतिमा स्थल से मार्च निकाल हुए राज्पाल को ज्ञापन दिया गया । राज्यपाल कुलाधिपति किंग जांच चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ की कुलपति होने के नाते अधिनियम/परिनियमावली की समसाचिका है , जिसके कारण दलित पिछड़ों के आरक्षण जैसे संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण करना आपका नैतिक कर्तव्य है लेकिन आपके द्वारा कुल पद के पद पर नियुक्त डॉक्टर सोनिया नित्यानंद द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एवं सत्ता पक्ष के सांसद , उपमुख्यमंत्री , मंत्री , विधायक एवं कार्यालय के निर्देशों का अनुपालन किए बगैर आरक्षण नियमों का जानबूझकर उल्लंघन करते हुए भर्ती हेतु साक्षात्कार संचालित कर रही हैं । सहायक आचार्य के सामान्य विज्ञापन में अनारक्षित वर्ग को 69% अन्य पिछड़ा वर्ग को 12% अनुसूचित जाति को 5% अनुसूचित जनजाति को 00% तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण दिया गया है, जिसमें भी रोस्टर के अनुसार प्रत्येक दसवां पद न देकर भ्रष्टाचार के उद्देश्य से मनमानी की गई है जो सरकार की मंशा के विपरीत है।
केजीएमयू से एमएस/एमएडी और नौकरियों की और नौकरियों की लिखित परीक्षा में पास आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को केजीएमयू में ही नौकरी के साक्षात्कार में ‘नाट फाउंड सूटेबल’ घोषित कर पद रिक्त छोड़ दिए जाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ नीट यूजी/पीजी तक क्वालीफाई न करने वाले सवर्ण प्राइवेटिया डीएनबी को असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया जाता है, जबकि भारत सरकार के डीओपीटी ने आरक्षित वर्ग की नियुक्तियों में आवश्यकतानुसार अनुभव आदि में शीथलीकरण तक का प्रावधान कर रखा है। वस्तुत: आयोग की भांति अभ्यर्थी की जाति / नाम आदि को गोपनीय रखकर चयन समिति प्रत्येक सदस्य द्वारा अलग-अलग अंक देकर लिफाफा सील कर देना चाहिए, जिन्हें कार्य परिषद में जोड़ कर बनी मेरिट से रिक्तियों के सापेक्ष प्रत्येक वर्ग के अभ्यर्थियों को चयनित किया जाए। आरक्षित वर्ग के साथ हो रहे अहित को विराम देने के लिए संवैधानिक कार्य परिषद का गठन किया जाए, जिसमें दलित-पिछडों का प्रतिनिधित्व सुनिशिचत होना चाहिए।
रामचंद्र पटेल अध्यक्ष अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ ने कहा कि राज्यपाल महोदय द्वारा शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्तियों में आरक्षण नियमों का अक्षरशः अनुपालन कराने के साथ दलित- पिछड़ा विरोधी वर्तमान कुलपति के विरुद्ध केजीएमयू अधिनियम की धारा-16(12) एवं आरक्षण अधिनियम की धारा-5 के अंतर्गत कार्यवाही होना चाहिए नहीं तो अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग महासंघ व आरक्षण समर्थक संगठन द्वारा प्रदेश ही नहीं पूरे देश स्तर पर आरक्षण के उल्लंघन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा एवं संगठन द्वारा एससी एसटी ओबीसी सांसदो विधायकों का घेराव किया जाएगा ।
विरोध मार्च में मुख्य रूप से अंबेडकर राष्ट्रीय अधिवक्ता मंच, राष्ट्रीय सामाजिक न्याय महासभा, डॉ० आंबेडकर समाज उत्थान समिति, संविधान संरक्षण मंच, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, राष्ट्रीय सामाजिक न्याय महासभा, अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिवक्ता मंच, बाबा साहेब डॉ० आंबेडकर भारतीय समाज सुधारक समिती, राष्ट्रीय भागीदारी आंदोलन, अखिल भारती अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी कल्याण संघ, राष्ट्रीय शोषित समाज परिषद आदि संगठनों ने मुख्य रूप से मार्च में भाग लिया
आज भी मुख्यधारा के भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा केवल विशेष व समृद्ध वर्ग के लोगों की चिंताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है. इस संविदा में हाशिए पर खड़े समाज जिसमें देश के पिछड़े ,अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक, किसान, मजदूर शामिल हैं, उनके हितों एवं संघर्षों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है. हाशिए पर खड़े इस समाज की आवाज बनकर उनका साथ देने का न्यूज़ अटैक एक प्रयास है. उम्मीद है आप सभी का सहयोग मिलेगा.