लखनऊ . पुराने 500 ,1000 के नोट बंदी के फरमान से ही गरीबो के घर के निवाले भी नहीं बन पा रहे है .8 -8 घंटे लाईन में लगे रहने के बाद भी गरीबो को नया नोट नहीं पिल पा रहा है .पुराने नोट की बंदी के कारण मेरठ के एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार मेरठ के एक अस्पताल में एक मरीज की उपचार के दौरान अस्पताल में ही मौत हो गई. अस्पताल ने हजारों का बिल परिवार को पकड़ा दिया. जिसका भुगतान किए बिना परिवार को मरीज की लाश नहीं मिली. अस्पताल का भुगतान कर पति की लाश हासिल करने के लिए मृतक की पत्नी अपनी बेटी के गहने बेच डाले.
यह मामला मेरठ के एक निजी अस्पताल का है. उक्त अस्पताल में हरिद्वार निवासी मनीराम का इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई. अस्पताल के कर्मचारियों ने मृतक के परिजनों को 40 हजार रूपये का बिल थमा दिया. जिसे परिवार चुकाने की स्थिति में नहीं था.
परिवार की माली हालत जानने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मृतक की लाश परिजनों को देने से इनकार कर दिया. परिवार की परेशानी इस बात से दुगनी हो गई. निराश होकर मृतक की पत्नी ने अपनी बेटी का मंगलसूत्र और उसके कुंडल बेच दिए. किसी तरह परिवार ने मनीराम को अस्पताल में भर्ती करते वक्त ही परिवार ने एक लाख रुपये का अग्रिम भुगतान भी किया था.
पति को खोने के बाद बेटी का जेवर बेचे जाने की घटना ने पीडिता को खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया है .