जब-जब भागे हैं गद्दार हाथी हो गयी है दमदार - न्यूज़ अटैक इंडिया
Search

जब-जब भागे हैं गद्दार हाथी हो गयी है दमदार

न्यूज़ अटैक इंडिया News Attack India News Attack

[metaslider id=90]मनोज श्रीवास्तव
लखनऊ|यूपी की पल-पल बदलती राजनीति ने सभी दलों को परेशान कर रखा है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब चुनाव से बहुत पहले ही राजनीति दल मैदान में उतर आए हैं। कोई बड़ी सभाएं कर रहा है तो कोई यात्राएं निकाल रहा है। सभी अपनी रैली और यात्रा में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाकर विरोधियों को अपनी राजनीतिक ताकत दिखा रहे हैं साथ ही ये संदेश दे रहे हैं की प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री उनके दल का ही होगा। अपने इसी एजेंडे के तहत मायावती भी प्रदेश के चारों दिशाओं में बड़ी रैली कर अपनी ताकत का एहसास कराया। बसपा चीफ मायावती ने मिशन 2017 के तहत पहली रैली आगरा, दूसरी आजमगढ़, तीसरी इलाहाबाद और चौथी रैली रविवार को सहारनपुर में किया। 9 अक्टूबर को राजधानी लखनऊ में करेंगी। अपनी रैलियों में भारी भीड़ जुटा कर मायावती विपक्षी पार्टियों भाजपा, सपा और कांग्रेस को संदेश दे दे दिया कि आज भी मायावती की लोकप्रियता बरकरार है।
राजनैतिक प्रेक्षकों के अनुसार बसपा में चाहे जितनी भगदड़ हुई हो रैलियां देखने वाले समझ सकते हैं कि बसपा का दाम घटा है दम नहीं। 2017 के विधानसभा चुनाव बसपा के लिए करो-मरो जैसी वाली स्थिति हैं। अबकी बार यदि बसपा परिणाम में कमजोर हुई तो मायावती राजनैतिक अस्तित्व बचाये रखने के लिए लोकसभा 2019 में गठबंधन मजबूरी हो जाएगी। यह पहली बार है कि बसपा प्रमुख मायावती विधान सभा चुनाव से पहले मैदान में कूद कर लीड लेने का प्रयास कर रही हैं। इस सन्दर्भ में वरिष्ठ बसपा नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने नमामि भारत से कहा कि जब-जब भागे हैं गद्दार हाथी बन गयी है दमदार, आने वाले चुनाव में बसपा सबसे मजबूत बनकर उभरेगी बल्कि सरकार भी बनाएगी। चुनाव के के समय बहुत बार बसपा से लोग टूटे हैं लेकिन परिणाम सबके सामने है।

1991 में 13 ,1996 में 67 , 2002 में 67 , 2007 मे 206 के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। 2012 मे 80 सदस्यों के साथ जनता ने हमें मुख्य विपक्षी दल बनाकर विधानसभा में बिठा दिया। पांच साल तक चले समाजवादी गुंडई से जनता त्रस्त हो गयी है। जिले-जिले पुलिस के संरक्षण में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता संगठित गिरोह बनाकर जनता आतंकित कर लूटा है। यूपी की पीडि़त जनता विधानसभा 2017 के चुनाव का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रही है । मतदान के दिन ही प्रदेश की जनता एक बार फिर सूबे को अपराध मुक्त, गुंडा मुक्त करने के लिए बहन कुमारी मायावती के नेतृत्व में यूपी में बहुजन समाज पार्टी को सत्ता सौंप कर चयन की नींद सोएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बसपा ने 2017 में सरकार बनाने के लिए इस बार अपनी सोशल इंजीनियरिंग में भी अहम बदलाव किए हैं। पहले दलित-ब्राह्मण की सोशल इंजीनियरिंग थी। अब दलित-मुसलमान की हो गई है। साथ ही उच्च वर्ग के लोगों को उतनी ही संख्या में टिकट देने की योजना बनाई है।

बसपा के पास सेंकड लाइन नहीं

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक पंकज कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि बसपा में सिर्फ एक ही नेता हैं। वह मायावती। जबकि दूसरी पार्टियों में कई-कई नेताओं के गुट हैं। इस वजह से किसी के जाने से बसपा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। बसपा के कुछ नेताओं के दूसरी पार्टियों में जाने से मीडिया में चर्चा है कि बसपा को नुकसान होगा। बसपा ने पार्टी छोडऩे वोले नेताओं और विपक्षी पार्टियों के आरोपों से जनता में पैदा हुए संशय पर विराम लगाने के लिए चार जिलों में विशाल रैलियां करके जवाब दिया है। अगली रैली अक्टूबर में लखनऊ में होगी । उनकी रैलियां का कितना असर होता है ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे।
-साभार

Share This.

Related posts