लखनऊ.सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में आज से कुछ माह पूर्व शुरू हुआ चाचा –भतीजे की जंग जनता को दिखाने के लिए तो शांत हो गया था किन्तु यह जंग भीतर खाने ज्वालामुखी का रूप ले रही है,प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मंत्री शिवपाल यादव द्वरा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थको को जिस प्रकार धीरे –धीरे पार्टी से किनारे किया जा रहा था इस से एक बात तो जगजाहिर था की शांत दिखने वाले चाचा –भतीजा के बीच अनबन ख़त्म नहीं हुआ है बल्कि सपा सुप्रीमो ने बीच बचाव कर इस अनबन को घर के तहखाने के भीतर ही समेटने का असफल प्रयाश किया था .विधान सभा चुनाव में टिकट बितरण में जिस प्रकार शिवपाल ने अपने मनचाहो को तरजीह देते हुए अखिलेश समर्थको को ठिकाने लगाया है,इस से यह जाहिर हो गया कि अखिलेश की कुछ दिनों की चुप्पी मुखर होने वाली है .
समाजवादी पार्टी की विरासत के दोनों दावेदारों के बीच सुलग रही आग अब धधकने के मुहाने पर है.इस बार उठ रही आग विधान सभा चुनाव से पूर्व किसी बिघटन को जन्म देता है या फिर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के आगे झुक कर इनकी मांगो को पूरा करेंगे .
चाचा शिवपाल सिंह यादव द्वारा अपने समर्थको की अनदेखी से आहात मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अचानक पार्टी मुखिया मुलायम सिंह को 403 उम्मीदवारों की अपनी सूची सौंप दी जिसके उपरांत प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीटर पर ट्विट करते हुए कहा है कि पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.इस ट्वीट ने फिर आग में घी का काम कर रहा है,कारण ट्वीट कर शिवपाल ने सीधे अखिलेश यादव को अनुशासन में रहने की नसीहत दे दी है .
चाचा द्वारा दी गई नसीहत और समर्थको की अनदेखी से नाराज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी मुखिया से मुलाकात कर विधानसभा चुनाव 2017 के लिए 403 उम्मीदवारों की सूची सौंपते हुए तर्क दिया है कि जब चुनाव उनके काम और उनके नाम पर लड़ा जा रहा है, तो फिर टिकट बांटने का अधिकार उनका ही होना चाहिए.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पिछले काफी समय से पार्टी विधायकों और समर्थको के साथ बैठक कर रहे थे. उन्होंने बीते शुक्रवार व शनिवार को भी विधायकों के साथ बैठक की थी और विधायकों को चुनाव प्रचार में जुटने को कहा था. अखिलेश इसके पहले भी जब चाचा –भतीजे की जंग सडको पर थी तब भी विधायकों की बैठक बुलाकर अखिलेश ने सपा सुप्रीमो को अपनी शक्ति का एहसास कराया था.अब गेंद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के हाथ में है कि वो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा दी गई 403 उम्मीदवारों की सूची पर विचार कर अखिलेश यादव को शांत करे या फिर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के मनमर्जी फैसले को स्वीकार करे .चाचा भतीजे की जंग के अग्निपरीक्षा में अब सपा सुप्रीमो को खरा उतरना होगा अन्यथा पार्टी में अन्दरुनी बिघटन से इनकार नहीं किया जा सकता. दे. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस दागी मंत्री को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया था और पुनः सपा सुप्रीमो की इक्षा से मंत्रिमंडल में वापस लिया उसी मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को रास्ट्रीय सचिव बनाए जाने के अपने पिता मुलायम सिंह यादव के इस फैसले से भी काफी आहात है.पूर्व मंत्री शिवपाल के विरुद्ध जांच