लखनऊ .उत्तर प्रदेश को अपराध एव भ्रस्टाचार मुक्त बनाने का नारा देकर चुनावी समर में सत्ता प्राप्ति की योजना पर काम कर रही भाजपा ने कई दागियो को पार्टी में शामिल कर खुद को दागदार बनाकर उत्तर प्रदेश में साफ़ सुथरी राजनीति का खोखला दावा कर रही है.उत्तर प्रदेश में सत्ता को बेहद आतुर भाजपा अपने ही रोडमैप से भटकती दिख रही है. कितने हैरत की बात है कि उत्तर प्रदेश में बेटी के सम्मान की लड़ाई छेड़ने वाली भाजपा ने छात्रा से दुष्कर्म व बस्ती के डाक्टर शालू तिवारी का कपडा फाड़कर अश्लीलता के आरोपी बस्ती से विधायक संजय जायसवाल को गले लगाने से लेकर टिकट देकर पुनः चुनावी रणभूमि में उतारने से भी गुरेज नहीं है.
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उत्तर प्रदेश के इस विधानसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भाजपा को महंगी पड़ सकती है, जमीनी कार्यकर्ताओं को नाराज कर आयतित नेताओं की फौज जमा कर रही भाजपा को उत्तर प्रदेश के इस विधान सभा चुनाव में बड़ा झटका मिल सकता है..
बस्ती की रूधौली विधानसभा सीट के कांग्रेसी विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने जब भाजपा का दामन थामा था तो बस्ती की भाजपाई राजनीति में एक भूचाल सा आ गया था,रुधौली विधान सभा क्षेत्र समेत जिले के सैकड़ों भाजपाईयो ने पार्टी से इस्तीफा देकर पार्टी नेतृत्व से नाराजगी व्यक्त की थी किन्तु कुछ दिग्गज भाजपाई चुनाव में बदला लेने का मन बना चुके है.
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सनद रहे कांग्रेस के पंजे छोड़कर कमल की सवारी करने वाले विधायक संजय जायसवाल पर पार्टीजनों ने आरोप लगाया था कि जिस के उपर रेप जैसे संगीन इल्जाम लगे हो उसे पार्टी ने अपने साथ लेकर पार्टी का जनाधार गिराने का काम किया है,हम पार्टी जन रेप के आरोपी के लिए किस मुह से प्रचार-प्रसार कर पायंगे.यहाँ तक कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या की कार्यक्षमता पर भी सवालिया निशान खड़ा करते हुये आरोप लगाया था कि यूपी अध्यक्ष का ये काम बेहद ही गंदा और घिनौना है. चुनाव में अगर भाजपा ने विधायक संजय को चुनावी रणछेत्र में उतारा तो भाजपा कार्यकर्ता ही भाजपा के इस प्रत्याशी को हराने का काम करेंगे.
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सनद रहे इस वर्तमान दलबदलू विधायक ने लगातार चुनावी हार का सामना करने के बाद जीत हेतु तमाम पैतरे अपनाए और इस ने एक ऐसा पोस्टर जारी किया कि इसकी जान बचाने के लिए विधान सभा के मातदाताओ ने इसे एक बार विधायक बनाने का निर्णय ले लिया,जिसके कारण आम नागरिक से माननीय बना यह विधायक रंग दिखाना शुरु कर दिया.
बताया जाता है कि विधायक संजय जायसवाल ने जीत के बाद चुनाव में जारी मतदातावो से अपील वाले अपने पोस्टर को भूल कर दादागिरी और यौन अपेक्षावो की पूर्ति में संलिप्त हो गया. जिसके कारण इस विधायक संजय जायसवाल के खिलाफ दो गंभीर मामलों में मुक़दमे दर्ज हुए जिनमे रेप , 7 क्रिमिनल एक्ट और हथियारों के साथ बलवा करने जैसी गंभीर धाराएं शामिल है.
राजधानी लखनऊ में पीसीएस परीक्षा की तैयारी करने आई एक छात्रा को नौकरी का लालच देकर तीन माह तक उसके साथ रेप करने के आरोपों को विधायक संजय प्रताप जायसवाल समेत उसके साथियो के खिलाफ हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी .रेप पीड़ित छात्रा ने जो बताया था उसके अनुसार 9 सितंबर 2013 को आजमगढ़ से लखनऊ आते समय चारबाग स्टेशन पर उसकी मुलाकात संजय प्रताप जायसवाल से हुई. जायसवाल ने खुद को बस्ती से कांग्रेसी विधायक बताया तथा नौकरी का आश्वासन देकर दारुलशफा स्थित अपने आवास पर आने को कहा.
नौकरी के लालच में पीड़िता कुछ दिन बाद संजय प्रताप जायसवाल के घर पर पहुंची तो उसके साथ रेप कर शादी का आश्वासन भी दिया गया . 9 दिसंबर 2013 को जब विधायक की पत्नी व दो बच्चे दारुलशफा आए तब पीड़िता को पता चला कि आरोपी विवाहित है. विधायक की पत्नी के आने पर जब हंगामा हुआ तो हजरतगंज पुलिस मौके पर पहुंची और विधायक के दबाव में समझौता कराने का प्रयास किया था और छात्रा को सादे कागजात पर दस्तखत करने को कहा गया और ऐसा नहीं करने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई. पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने विधायक के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं की किन्तु कोर्ट के हस्तक्षेप से मामले में रेप की रिपोर्ट दर्ज हुई थी.विधायकी के नशे में चूर इस विधायक ने तो पुलिस से साठ-गाठ कर पीड़ित छात्रा को दबाने का प्रयाश किया किन्तु सफल न हो सका.
विधायकी के नसे में चूर संजय प्रताप जायसवाल के कोप भाजन का शिकार बस्ती का एक डाक्टर भी हो चूका है . पीड़ित डाक्टर सुनील तिवारी के घर में घुस कर इस विधायक एव उसके गुर्गो ने मार पीट कर डाक्टर की पत्नी डाक्टर शालू तिवारी के साथ अभद्र व्यवहार भी किया था .
पीड़ित डाक्टर सुनील तिवारी की तहरीर पर संजय जायसवाल और 20-25 अन्य के खिलाफ बलवा, मारपीट, जान से मारने की धमकी, हमला करने, घर में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़ और चोरी के आरोप में उस वक्त बस्ती में मुकदमा भी दर्ज हुआ था . उस वक्त शहर कोतवाल और विधायक के बीच डील के कारण डाक्टर सुनील की तहरीर भी कोतवाल ने बदलवाने का प्रयाश किया था.उस वक्त डाक्टर सुनील ने विधायक और अन्य पर दो हजार रुपये छीन ले जाने का आरोप लगाया था किन्तु शहर कोतवाल ने इस घटना को झांसा देकर तहरीर में बदलवा दिया था.
भाजपा बस्ती के घोर समर्थक विधायक संजय जायसवाल के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही अपने आप और दल को कोसते हुए कहते है की कभी भाजपा का झंडा श्यामा प्रसाद मुखर्जी व अटल बिहारी बाजपेयी जैसे शीर्ष नेता बुलंद करते थे, तब भाजपा का कमान ऐसे हाथों में थी जहां अपराधियों से अधिक जनता के बीच लोकप्रिय नेताओं को चुनाव में तरहीज दी जाती थी लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद भाजपा में अपराधियों को भर्ती कर रहे हैं. अमित शाह व राजनाथ तो पहले से हीरो हैं. शायद अब भाजपा का असली चाल, चरित्र, चित्रण यही रह गया है.
फिरहाल भाजपा ने उत्तर प्रदेश के चुनाव हेतु प्रत्याशियों को लिस्ट तो अभी जारी नहीं किया है किन्तु अगर भाजपा न चेती तो इस चुनाव में सत्ता प्राप्ति का ख्वाब देख रही भाजपा को उसके ही समर्थक पटखनी देकर सत्ताप्राप्ति के सपने को चकना चूर कर सकते है .