लखनऊ .उत्तर प्रदेश पत्रकारिता की वेश्या और तवायफ बृजेश मिश्रा सत्यमेव जैसे पवित्र शब्द का प्रयोग करके सतित्व होने का पाठ पढ़ा रहा है. आखिर बृजेश मिश्रा, जिसका आखिरी वेतन 60 हजार रुपए था, उसने करोड़ों रुपयों का चैनल कैसे शुरु कर दिया.इस चैनल को शुरु करने में निश्चित तौर पर काले धन का प्रयोग हुआ है.
उक्त बाते लखनऊ के तेजतर्रार पत्रकार एवं खोजी पत्रिका दृष्टान्त के संपादक अनूप गुप्ता ने अपने फेसबुक वाल पर लिखते हुए कहा है कि मैं उत्तर प्रदेश की जनता से अपील करता हूं कि सत्यमेव जयते जैसे पवित्र शब्द का एक भ्रष्ट और ब्लैकमेलर पत्रकार बृजेश मिश्रा द्वारा दुरुपयोग होने से बचाने के लिए सड़कों पर आन्दोलन करें. आखिर बृजेश मिश्रा, जिसका आखिरी वेतन 60 हजार रुपए था, उसने करोड़ों रुपयों का चैनल कैसे शुरु कर दिया. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि इस चैनल को शुरु करने में निश्चित तौर पर काले धन का प्रयोग हुआ है. मैं आयकर विभाग से भी अपील करता हूं वे इस मामले को संजीदगी से ले ताकि पत्रकारिता की गरिमा को बचाया जा सके. मुझे आश्चर्य इस बात का है कि आखिर आयकर विभाग बृजेश मिश्रा जैसे दलाल और ब्लैकमेलर पर आंखें क्यों बंद किए हुए है. महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या उत्तर प्रदेश के अन्दर संविधानिक हितों की रक्षा करने वाले सारे लोग अपंग हो गए हैं? जिनको एक दलाल और ब्लैकमेलर के द्वारा सत्यमेव जयते जैसे संविधानिक शब्द का इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा रहा है.
कहना गलत नहीं होगा कि इस चैनल में कई और ब्लैकमेलर पत्रकारों और काले धन का संचयन करने वालों का धन लगा हुआ है. आखिर वे कौन लोग हैं जिनका काला धन इस चैनल में लगा हुआ है. ऐसा नहीं है कि जिम्मेदार लोगों को इसकी जानकारी नहीं है? जरूर होगी लेकिन एक दलाल और ब्लैकमेलर पत्रकार के समक्ष सभी ने घुटने टेक रखे हैं. मैं एक बार फिर से आयकर विभाग से अपील करता हूं कि वे निष्पक्ष तरीके से बृजेश मिश्र की सम्पत्ति की जांच करें नहीं तो में अनूप गुप्ता संपादक दृष्टान्त मैगज़ीन कोई ना कोई दरवाजा खटकाने के लिए मजबूर हो जाउंगा लेकिन में ब्रजेश मिश्रा को पत्रकारिता का रोल मोडल नहीं बनने दूंगा .मुझे यकीन ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि सम्पत्ति की जांच के दौरान कई सफेदपोश लोगों के चेहरों से नकाब उतरेगा , जिन लोगों ने अपने काले धन को सफेद करने के इरादे से बृजेश मिश्रा को आर्थिक मदद पहुंचायी है.
सनद रहे पत्रकार अनूप गुप्ता ने सूचना विभाग लखनऊ के फर्जीवाड़े व प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के बिरुद्ध भी उनके कुकर्मो का भंडाफोड़ किया है ,जिसके कारण उन्हें तमाम यातनाए झेलनी पड़ी है.