बस्ती राजा की जीत आसान नहीं ,मुकाबले से बाहर हो रहा रालोद - न्यूज़ अटैक इंडिया
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बस्ती राजा की जीत आसान नहीं ,मुकाबले से बाहर हो रहा रालोद

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बस्ती. राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार राजा ऐश्वर्यराज सिंह को राजघराने की प्रतिष्ठा बचाने में नाको चने चबाने पड़ रहे हैं. उनके पिता राजा लक्ष्मेश्वर सिंह 1991 में बीजेपी के विजयसेन सिंह को हराकर जनता दल के चक्र से विधान सभा पहुचने में कामयाब हुए थे, हालांकि उनका कार्यकाल बहुत कम समय का था, दो साल बाद पुनः 1993 में विधानसभा चुनाव हुये थे.बस्ती की राजनीति में प्रमुख दल के उम्मीदवारों के मुकाबले रालोद उम्मेद्वार राजा ऐश्वर्यराज सिंह का पसीना छूट रहा है. दिन रात एक करने के बावजूद मतदाताओं का रूख बदलने में राजा कामयाब नहीं हो पा रहे है.

हालांकि उनके प्रयासों में कमी नही है, उनका व्यक्तित्व भी प्रत्याशियों पर भारी है लेकिन यदि उन्हे शिकस्त मिलती है तो इसके जिम्मेदार उनके करीबी ही होंगे. जिन्हे वे अपना करीबी और भरोसेमंद मानते हैं वही उन्हे नुकसान भी पहुंचा रहे हैं. मजे की बात यह है कि खुद ऐश्वर्यराज भी इससे बेफिक्र हैं. वे राजशी अंदाज में सब पर भरोसा करके उन्हे जिम्मेदारियां सौंपते जाते हैं जबकि वोट देने के वक्त उनकी निष्ठा किस के प्रति होगी इस पर भी संसय है.

चौधरी अजीत सिंह की सफल रैली कराने के बाद राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार राजा ऐश्वर्यराज सिंह की पोजीशन काफी अच्छी नजर आ रही थी लेकिन उनके इर्द गिर्द रहने वालों की निष्ठा देखकर जो उनके पक्ष में अपना मन बनाता है उसके भी इरादे हिलने लगते हैं. चुनाव जीतने की जी तोड़ कोशिश में लगे राजा ऐश्वर्य चुनाव प्रचार पर धन भी पर्याप्त खर्च कर रहे हैं लेकिन इसका आधा हिस्सा उनके कुप्रबंधन की भेंट चढ़ जा रहा है. राजा की जमीनों पर बसने वालों की संख्या हजारों में हैं, राजभवन के आसपास भी बड़ी आबादी है किन्तु राजभवन के प्रति उनका जो लगाव है उसे वोट में बदल पायेंगे या नही वक्त बतायेगा. सुना जाता है कि वे अमेरिका से बहतु आकर्षक तनख्वाह छोड़कर यहां यह सोचकर आये हैं कि राजनीति चमक गयी तो उद्देश्य पूरे हो जायेंगे,लेकिन सदर विधानसभा में जंग इतनी आसान नही है.

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