टूटेगी सवाजवादी पार्टी ? - न्यूज़ अटैक इंडिया
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टूटेगी सवाजवादी पार्टी ?

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मनोज श्रीवास्तव

लखनऊ, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा अपने मंत्रिमंडल के आठवें विस्तार के बाद मंत्रियों को किये गये विभागों के वितरण के बाद शिवपाल यादव से दो विभाग छीन लेने के बाद यादव परिवार में छिड़ी नाक की आंतरिक लड़ाई फिर से सुलगने लगा है। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि मुलायम सिंह की राजनैतिक पूंजी के उत्तराधिकार पर आँख लगाये बैठे किसी भी खेमे ने सार्वजानिक रूप से क्या कभी यह जानने की कोशिश किया कि जो मुलायम सिंह अपने पूरे राजनैतिक जीवन में नहीं झुके उनको यह पारिवारिक झगड़ा तोड़ देगा। उनके जीवन काल में ही अखिलेश यादव को भविष्य का प्रधानमंती उम्मीदवार बता कर पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव एक तीर से दो शिकार किया है। रामगोपाल की घोषणा से अखिलेश को ठंढक मिली हो ये स्वाभाविक है लेकिन मुलायम के रहते अखिलेश को प्रधानमंत्री बता कर शिवपाल यादव को राजनैतिक रूप से ठिकाने लगाने का भी काम किया है। जानकारों की मानें तो इस विवाद का पटाक्षेप तब तक न समझा जाये जब तक अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच चुंगली लगाने वालों पर मुलायम सिंह यादव बड़ी कार्यवाही नहीं कर देंगे।

अब तक जो दिखा उसको देख कर यह कहा जाने लगा है कि शिवपाल यादव के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार मुलायम सिंह यादव को चुनैती दे रहे हैं। जबकि इस सत्य को मुलायम सिंह स्वीकारते हैं कि समाजवादी पार्टी को स्थापित करने के लिए शिवपाल के योगदान को नकारा नहीं जा सकता ।उन्होंने ही कहा था कि शिवपाल अलग हो गये तो पार्टी टूट जाएगी। ये कौन पूछे कि क्या बिना रामगोपाल की इच्छा के उनके सांसद पुत्र अक्षय यादव मुलायम के विरुद्ध नारेबाजी करने वालों के पक्ष में खड़े हो गये। हाईटेक ड्रामें का मुलायम सिंह ने जो समाधान ढूंढा है उससे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जिम्मेदारी राज्य की जनता के प्रति और बढ़ गया जबकि शिवपाल यादव की जिम्मेदारी संगठन के कार्यकर्ताओं की अंतरआत्मा की आवाज सुन कर उनके समस्याओं के समाधान कराने की हो गयी ।

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की जिन मुद्दों पर सहमति न बना पावें उसे तत्काल नेताजी के समक्ष पहुंचा दें, नहीं तो इतने के बाद भी यदि एक-दूसरे को नीचा दिखाना बंद नहीं करेंगे तो समाजवादी पार्टी टूट जाएगी और वर्चस्व की लड़ाई में सर्वस्व चला जायेगा । इस सन्दर्भ में समाजवादी पार्टी मामलों के जानकर वरिष्ठ पत्रकार अनिल कुमार के अनुसार ऐसे बहुत कार्यकर्ता हैं जो मायावती की सरकार में किये गये आंदोलनों में बेतहाशा पीटे गये लेकिन जब अखिलेश यादव की सरकार बनी तो उनके संघर्षों पर अखिलेश के निजी साथी भारी पढ़ गये। अखिलेश राज में उपेक्षित ऐसे बहुत सारे संघर्षशील कार्यकर्ता और नाराज नेताओं का समर्थन मुलायम के बाद शिवपाल को ही है। जिस तरह पार्टी के भीतर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है,उससे यह कहना ठीक गलत नहीं होगा कि टिकट वितरण तक यदि किसी तरह पार्टी संभली भी गयी तो चुनाव परिणामों के बाद सपा को टूटने की सम्भावना बढ़ जाएगी।

 

गौरतलब हो की पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल आजम खान ने कई महीने पहले ही पार्टी में अन्तर्कलह के  संकेत दे दिए थे और कहा था कि समाजवादी पार्टी डूबता जहाज हो गई है।  वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी को बचाने के लिए जो रास्ता निकला शायद उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता था लेकिन अब स्थितियां जिस तेजी से बदल रही हैं उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शायद ही बहुत दिनों तक पार्टी के भीतरी कलह को दबा रह पाये। पार्टी के शुभेच्छुओं का कहना है कि यदि मुलायम सिंह यादव के संघर्षों की उनके उत्तराधिकार के दावेदारों में जरा भी सम्मान होगा तो दोबारा ऐसी स्थित नहीं पैदा करेंगे।

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