पंजाब में शिरोमणी अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन सरकार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी द्वारा कड़ी टक्कर दिया जाना बताया जा रहा है . पिछले विधान सभा चनाव में पंजाब की कुल 117 विधान सभा सीटों में से अकाली दल को 56 और उसकी सहयोगी भाजपा को 12 सीटों पर जीत मिली थी. 68 सीटें जीतकर अकाली-भाजपा गठबंधन ने राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनायी वहीं सत्ताधारी कांग्रेस को 2012 में 46 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी . पंजाब विधान सभा 2012 के चुनाव में तीन निर्दलीय उम्मीदवारों को भी जीत मिली थी.
पंजाब में कई दशकों से सत्ता की लड़ाई मुख्यतः अकाली दल और कांग्रेस के बीच रही है लेकिन साल 2012 में बनी आम आदमी पार्टी ने 2014 के लोक सभा चुनाव में चार सीटों पर जीत हासिल करके पूरे देश को चौंका दिया था. संसदीय चुनाव में आप ने देश में सबसे पहले पंजाब में खाता खोलकर खुद को राज्य की राजनीति में नए खिलाड़ी के तौर पर पेश कर दिया था. दिल्ली में प्रचण्ड बहुमत से सरकार बनाने के बाद आप ने पंजाब और गोवा विधान सभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में चुनाव लड़ा है. माना जा रहा है कि सत्ताविरोधी आक्रोश का असर अकाली-भाजपा के प्रदर्शन पर पडे़गा जिसका लाभ कांग्रेस और आप को मिलेगा. बहरहाल, साल 2017 के चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे.
2017 विधान सभा चुनाव से जुड़े ओपिनयन पोल-
पंजाब में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को सिर्फ 59 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी.चुनाव से पहले ओपिनियन पोल कराने वाली ज्यादातर संस्थाओं ने अनुमान जताया कि राज्य में सत्ताधारी अकाली दल-भाजपा सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा हालांकि कुछ संस्थाओं के अनुसार कांग्रेस राज्य में सरकार बनाएगी तो कुछ को लगता है कि आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सफल रहेगी. लोकनीति-एबीपी-सीएसडीएस के जनवरी 2017 के ओपिनियन पोल में अनुमान जताया गया कि राज्य में अकाली-भाजपा दोबारा सरकार बनाने में सफल रहेंगी.
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