बस्ती । होली के आगमन पर आत्म प्रशस्ति सेवा संस्थान और कला प्रसार समिति द्वारा शुक्रवार को गांधी कला भवन के परिसर में महामूर्ख कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डा. रामकृष्णलाल जगमग, कमलापति पाण्डेय, सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ त्रिभुवन प्रसाद मिश्र को मूर्खाधिराज सम्मान से सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि समाज से हास परिहास गुम हो रहा है, होली की मस्ती अब गांव देहात और शहरों में भी नहीं दिखती ऐसे में महामूर्ख कवि सम्मेलन का आयोजन बेहद महत्व का हो जाता है। विशिष्ट अतिथि त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि होली का उमंग प्रकृति से रचा बसा है। जीवन में उत्साह न हो तो होली के रंग भी बेमानी है।
अध्यक्षता करते हुये डा. अनुराग मिश्र गैर ने कहा कि मूर्खता अपने आप में ज्ञान प्राप्ति का आरम्भ है इसे महान कवि कालिदास ने सिद्ध किया है।
अपने विशिष्ट अंदाज में संचालन करते हुये डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि जीवन में हास्य न हो तो बीमारियां जकड़ लेंगी। होली सामाजिक समरसता का उत्सव है। डा. सत्यव्रत ने कहा कि लण्ठई का अपना विशेष महत्व है।
पं. चन्द्रबली मिश्र की रचना-‘ स्वागत है आपका इन मूर्खों के मध्य में, भेंट में लन्तरानियां हैं आपके मध्य में, से आरम्भ कवि सम्मेलन को सागर गोरखपुरी ने ऊंचाई दी- ‘ होली में गोरी सुघर लागे’। आतिश सुल्तानपुरी की रचना‘ बात खुशबू की चली तो आप चन्दन हो गये, डा. वी.के. वर्मा की रचना- बादल बन दृग छा जाना होली में’ सराही गई। अनुराग मिश्र ने कुछ यूं कहा- कर चले हम हवाले हवाला वतन’ लालमणि प्रसाद की रचना‘ होली के हुडदंग में गोरी भई उदास’ को सराहा गया। संचालन कर रहे डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कुछ यूं कहा- नहीं पड़ेगा आंगने, अगर पिया का पांव, हे फागुन तुमको नहीं आने दूंगी गांव’ के माध्यम से प्रिय की वेदना को शब्द दिया। डा. अफजल हुसेन अफजल की रचना- अपनी पड़ोसन पर अब गाना छोड़ दिया, गैरो से अब नजर लडाना छोड़ दिया’ सत्येन्द्रनाथ मतवाला की रचना ‘ आओ हम सब प्यार से खेले होली’ को सराहा गया। इसी कड़ी में हरीश दरवेश, प्रदीप चन्द्र पाण्डेय, डा. सत्यदेव त्रिपाठी, श्याम प्रकाश शर्मा, डा. रामचन्द्र लाल, पं. कमलापति पाण्डेय, रहमान अली रहमान, हरि स्वरूप दूबे, दीपक प्रसाद, सुदामा राय, पेशकार मिश्र, मो. शामीन फारूकी, रजनी पाठक, हरीश कुमार पाठक, पेशकार मिश्र, रविशंकर यादव, जय प्रकाश गोस्वामी, पंकज सोनी आदि ने होली पर केन्द्रित रचनायें पढी।
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