लखनऊ। बड़ी-बड़ी कोठियों, चमचमचाती लग्जरी गाड़ियों और शान ओ शौकत से भरी राजनीति के दौर में एक साधारण सा मकान सत्ता की सुगबुगाहट को महसूस कर रहा है। ये मकान गवाह है एक व्यक्ति के त्याग, समर्पण और ईमानदार राजनैतिक इच्छाशक्ति का। जी हां ये घर है किसानों और गरीबों के लिए राजनीति करने वाले नेता स्वतंत्रदेव सिंह का।
साधारण कार्यकर्ता की तरह रहते हैं स्वतंत्रदेव-
मूलत:मिर्जापुर के रहने वाले स्वतंत्रदेव सिंह के पास सम्पत्ति के नाम पर बुंदेलखंड के उरई में एक साधारण सा मकान है जिसमें उनके रिश्तेदार रहते हैं। खुद उनका परिवार लखनऊ में किराए के मकान में रहता है। लोग हैरत में पड़ जाते हैं जब उन्हें पता लगता है कि मोदी की रैलियों के कर्ता-धर्ता प्रदेश के अग्रणी नेता के पास अपनी गाड़ी तक नहीं है।
त्याग और समर्पण स्वतंत्रदेव की सबसे बड़ी ताकत-
स्वतंत्रदेव सिंह के साथ ही छात्र जीवन से राजनीति शुरू करने वाले नवनिर्वाचित माधौगढ़ विधायक मूलचंद्र निरंजन कहते हैं कि स्वतंत्रदेव सिंह आज जहां तक पहुंचे है उसके पीछे उनका त्याग पार्टी के प्रति समपर्ण और बेतहाशा मेहनत है। परिवारवाद से दूर से जमीनी नेता, अच्छे वक्ता तथा मंच संचालक, प्रदेश के संगठन पर मजबूत पकड़ यही सब काबिलियत पर्दे के पीछे रहने वाले स्वतंत्रदेव सिंह मजबूत नेता बनाती है।
रैलियों की सफलता ने बनाया मोदी-शाह का करीबी-
लोकसभा चुनाव के पहले और वर्तमान विधानसभा चुनाव के समय पीएम की सभी 22 रैलियों को सफल कराने के लिए स्वतंत्रदेव सिंह एक सप्ताह पहले से ही रैली वाले जिले में डेरा डाल देते थे, छोटे कार्यकर्ताओं में उत्साह और ऊर्जा का संचार करते हुए रैली को किसी भी तरह सफल कराके ही अगले मिशन के लिए निकलते थे।
प्रदेश सदस्यता अभियान के प्रभारी रहे-
स्वतंत्रदेव सिंह 2014 में प्रदेश में बीजेपी सदस्यता अभियान के प्रभारी बनाए गए थे। जिसमें प्रदेश भर से एक करोड़ से ज्यादा नये सदस्य बनाकर स्वतंत्रदेव सिंह ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया था।
गांव-किसान के विकास का सपना है मन में-
स्वतंत्रदेव सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के गांव,गरीब,किसान विद्यार्थियों का विकास कर एक विकसित प्रदेश बनाने का सपना उनके मन में हैं, जिसे पूरा करने के लिए ही वो राजनीतिक सफर तय कर रहे हैं।
राजनैतिक सफर-
- 1986 – आरएसएस से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में संघ का प्रचारक का कार्य करना प्रारम्भ कर दिया।
- 1988-89- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) में संगठन मन्त्री के रूप में कार्य भार ग्रहण किया।
- 1991- भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी थे।
- 1994- बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी के रूप में विशुद्ध राजनीतिज्ञ के रूप में राजनीति में पदापर्ण किया।
- 1996- युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया।
- 1998- दोबारा भाजपा युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया।
- 2001- भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने।
- 2004- विधान परिषद के सदस्य चुने गये व प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये।
- 2004 से 2014 तक दो बार महामन्त्री
- 2010- प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए।
- 2012- फिर महामंत्री बने अभी भी हैं।
निभाई गई अन्य महत्वपूर्ण भूमिका-
- 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय में बीजेपी युवा मोर्चा अधिवेशन आहूत कराया।
- भाजपा की सीमा जागरण यात्रा (सहारनपुर से पीलीभीत बॉर्डर, गोरखपुर से बिहार तक) कराई।
- उमा भारती के गंगा यात्रा में गढ़मुक्तेश्वर (मुरादाबाद) से बलिया तक प्रमुख इंचार्ज रहे।
- 2009 में श्री लाल कृष्ण आडवाणी की रैली के प्रमुख कर्ता-धर्ता रहे।
-नीरज भाई पटेल
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