लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत के बाद कई पार्टी पदाधिकारियों के सरकार में चले जाने से संगठन में अब नए चेहरों की तलाश शुरू हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष समेत कई पदों पर काबिज लोग सरकार में मंत्री बन गए हैं, लिहाजा एक कार्यकर्ता एक पद के तहत अब खाली पदों को भरने के लिए जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा मारामारी प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर है।
केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बन जाने के बाद अब इस पद से उनको इस्तीफा देना पड़ेगा, लिहाजा अब नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति संतुलन के साथ वर्ष 2019 में होने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
यांत्रिक बूचड़खानों को नहीं बंद कर पाएगी योगी सरकार
प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के अलावा प्रदेश संगठन से जो लोग यूपी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं, उनमें प्रदेश उपाध्यक्ष आशुतोष टंडन गोपालजी, सुरेश राणा, धर्मपाल सिंह, महामंत्री अनुपमा जायसवाल, स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल, अवध क्षेत्र के अध्यक्ष मुकुट बिहारी वर्मा तथा पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी शामिल हैं।
प्रदेश स्तर के अलावा राष्ट्रीय स्तर से भी कई पदाधिकारी सरकार में शामिल हुए हैं, जिनमें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं गुजरात प्रभारी डा. दिनेश शर्मा, राष्ट्रीय मंत्री व राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा, सिद्धार्थ नाथ सिंह, असम प्रभारी डा. महेंद्र सिंह शामिल हैं। इनके अलावा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक दारा सिंह चौहान शामिल हैं। सबसे ज्यादा चर्चा प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर है। अब तक सरकार तथा संगठन में पूर्वांचल और अवध का दबदबा बना हुआ है।
पूर्वांचल से पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र, मनोज सिन्हा, डा. महेंद्र नाथ पांडेय ताल्लुक रखते हैं, इनके अलावा प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी पूर्वांचल से हैं। अवध से गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत प्रदेश में सात मंत्री लखनऊ से हैं।
विवादित वीडियो : बाबर गे ,हिजड़ा था ,प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की साजिश
पश्चिम क्षेत्र एवं रुहेलखंड का भी ठीक-ठाक दबदबा है, लेकिन बुंदेलखंड एवं कानपुर परिक्षेत्र जातीय एवं सामाजिक संतुलन के नजरिए से हाशिए पर हैं। संघ भी इस असंतुलन से खफा है, वह अध्यक्ष पद पर संघी चेहरा चाहता है। माना जा रहा है कि 2019 को ध्यान में रखकर ही पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष चुना जाएगा।
दरअसल, दलित और वैश्यों को नाराजगी है कि सरकार में उनको उतनी हिस्सेदारी नहीं मिली, जितनी मिलनी चाहिए थी। खासकर दलित वर्ग में। इस लिहाज से सांसद रामशंकर कठेरिया शीर्ष नेतृत्व की पसंद हो सकते हैं, लेकिन उनके साथ जुड़ा विवाद उन्हें पीछे कर सकता है। राष्ट्रीय महामंत्री तथा केंद्रीय मंत्री रह चुके डा. कठेरिया को विवाद के चलते ही हाशिए पर डाल दिया गया है। वैसे भी उनकी बिरादरी की सीमित संख्या भी इसमें बाधा बन सकती है।
दलित वर्ग से प्रदेश महामंत्री एवं पूर्व सांसद विद्यासागर सोनकर भी जाने-पहचाने चेहरे हैं। संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले श्री सोनकर के पक्ष में एक बार और जाती है कि खटिक समाज का उत्तर प्रदेश में ठीक-ठाक आधार है। वैश्य समाज से मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल का नाम सबसे ऊपर है। श्री अग्रवाल संघ के विभाग प्रचारक के रूप में काम भी कर चुके हैं। राजेंद्र अग्रवाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में ना लिए जाने से भी संघ खफा है।
मोदी सरकार दावों में मस्त, अर्थव्यवस्था पस्त : रमेश
इन दोनों के अतिरिक्त दलित वर्ग के एक अन्य नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीराम चौहान का नाम प्रमुख है। श्री चौहान के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले पूर्व प्रचारक एवं पूर्व क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रकाश पाल भी दावेदार हैं। प्रकाश पाल पिछड़ी जाति से आते हैं। संगठन पर भी प्रकाश पाल की मजबूत पकड़ है। पिछड़ी जाति के कोटे से युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक कटारिया भी एक दावेदार हो सकते हैं।
अगड़ों में प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक का नाम सबसे आगे है। कानपुर-बुंदेलखंड के प्रभारी के तौर पर भाजपा को सबसे बड़ी जीत दिलाने के बाद उनका नाम सबसे ऊपर चल रहा है। माना जा रहा है कि चुनावी नजरिए से अगर दिक्कत नहीं हुई तो विजय बहादुर पाठक का प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय है। विजय बहादुर पाठक के प्रदर्शन से संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी खासे प्रसन्न हैं।
श्री पाठक को संगठन में काम करने का अनुभव होने के साथ मीडिया में भी मजबूत पकड़ है, जिसका लाभ वह पार्टी को मजबूती देने में कर सकते हैं। विजय बहादुर पाठक के पक्ष में एक बात और जाती है कि वह केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के भी चहेते हैं, लिहाजा समीकरणों की दिक्कत नहीं हुई तो विजय बहादुर पाठक भाजपा के अगले प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं।
योगी राज : हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े सदस्य पर आरोप, बाइक के ऊपर चढ़ाई कार
श्री पाठक के अलावा अगड़ी जाति से बीएचयू के पूर्व अध्यक्ष एसं राजपूत नेता जेपीएस राठौर तथा पूर्व मंत्री और आगरा से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ ब्राह्मण नेता हरिद्वार दुबे भी रेस में हैं। अब देखना है कि शीर्ष नेतृत्व किसे प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपता है। प्रदेश अध्यक्ष के अलावा उपाध्यक्ष, महामंत्री के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी खाली पदों पर नियुक्ति की जानी है।
दरअसल, इन पदों पर भी नियुक्ति में जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखे जाने की उम्मीद है, लेकिन लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार भाजपा के अगले प्रदेश अध्यक्ष की है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि कहीं पिछली बार प्रदेश अध्यक्ष तय करने में हुई देरी का पुनरावृत्ति फिर ना हो जाए।
(खबर कैसी लगी बताएं जरूर. आप हमें फेसबुक, ट्विटर और गूगल प्लस पर फॉलो भी कर सकते हैं.)