उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसक घटनाओं के बाद तेजी से उभरे भीम आर्मी कि चर्चा आज सत्ता से लगायत सामंतवादी पंचायतो में है , सामन्तवादी विचारधारा को कुचलने ,उनके जुल्मो का दमन करने के लिए ही भीम आर्मी का उद्बभ्व देखा जा रहा है ,मनुवादी मीडिया में भीम आर्मी एक आतंकी खलनायक के रूप में लोकप्रिय हो रहा है .
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चर्चा है कि मनुवादी मीडिया से लगायत शासन सत्ता के लोग भीम आर्मी के फ़ैल रहे फन को कुचलने का चक्रव्यूह रच रहे है,सवाल उठता है कि चंद दिनों में बरगद कि तरह देश में फ़ैल चुके भीम आर्मी के सेनाओ पर सामंतवादी विचार धारा के लोग कैसे रोक लगा पाएगे ऐसे में जब भीम आर्मी के लोग कहते है एक रावण मारोगे तो हजार रावण जन्म लेंगे .
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इस सम्बन्ध में मनुवादी मीडिया का तर्क है कि भीम सेना के नाम से लोगों को कन्फ़्यूजन हो सकता है. सेना से आर्मी का मतलब निकाला जाता है.लेकिन इससे जुड़े लोग संविधान के दायरे में रहकर काम करने की बात करते हैं. दलितों को संगठित करने की बात करते हैं.मेरा मानना है कि ऐसी समानांतर सेनाएं खड़ी होने लगेंगी और ये ज्यादा उग्र तरीके से काम करेंगी तो लोकतंत्र के लिए अलग ढंग से चुनौती खड़ी हो सकती है.
ब्राहमणों कि वर्षो से चली आ रही परसुराम सेना इन मनुवादियो कि निगाहों में नहीं आया जबकि रास्ट्रीय राजधानी से लगायत राज्यों कि राजधानियों में परसुराम जयंती पर धूम धाम से प्रचार कर परसुराम कि पूजा होती है ,जिस दौरान ब्राहमनी व्यवथा को जिन्दा रखने का प्रण लिया जाता है किन्तु आज दलितों के मान स्वाभिमान कि रक्षा हेतु खड़ी भीम सेना और संघठन के करता धर्ता इनकी निगाहों में चुभ रहे है .
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फिरहाल सामंतवादी विचारधारा और गुंडागर्दी का विरोध करने का जज्बा दलित समाज में घर कर गया है ,अन्याय का प्रतिकार करना दलित समाज सीख चूका है ,ऐसे में इस जनभावना को कुचलना किसी सत्ता के बस कि बात नहीं .
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Khabar achchhi hai mere Bhai.. Has yahi kehna hai ki…darna nhi hai..padhna hai aur ladna hai..padhna is tarah se hai ki samnewala challenge na de sake..aur ladna is tarah hai ki samnewala kabhi challenge dene ki himmat na kare…dar k aage jeet hai…dar k pichhe jaoge to haar hai.