नई दिल्ली. गुड्स एंड सर्विस टैक्स को जुलाई से लागू करने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रही मोदी सरकार पर अब उनके सहयोगी बाबा रामदेव की अगुवाई वाली पतंजलि आयुर्वेद ने सवाल खड़ा कर दिया है . पतंजलि ने जीएसटी में आयुर्वेद उत्पादों पर कर की दर ऊंची रखने पर नाराजगी जताई है.
पतंजलि ने नाखुशी जताते हुए मोदी सरकार से सवाल किया है कि बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार के बिना लोग अच्छे दिन कैसे महसूस कर सकते हैं. कंपनी का कहना है कि आयुर्वेद से ही आम लोगों को सस्ती दर पर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा सकती हैं किन्तु अधिक टैक्स से आम लोगों से दूर होगा.
पतंजलि योगपीठ के प्रवक्ता के अनुसार जीएसटी में आयुर्वेदिक उत्पादों को उच्च श्रेणी दर में रखने से हम अचंभित हैं. सरकार का यह फैसला हमारे लिए निराशजनक है. आयुर्वेद से ही आम लोगों को सस्ती दर पर इलाज मिलता है. अधिक टैक्स लगाने से यह आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगा.केंद्र सरकार ने जीएसटी में 12 % टैक्स का प्रस्ताव रखा गया है जबकि मौजूदा में आयुर्वेदिक दवाओं और उत्पादों पर वैट सहित 7 फीसदी का टैक्स लगता है.
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एक अन्य खबर के अनुसार उद्योग संगठन एशोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन्स (एएमएएम) ने केंद्र कि मोदी सरकार से इस टैक्स दर को 5 प्रतिशत करने की मांग की है.संगठन का कहना है कि 12 फीसदी टैक्स से कुदरती दवाएं महंगी होने के साथ आम लोगों की पहुंच से भी बाहर हो जाएंगी.
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